Monday, September 29, 2014

चीनी मीडिया में नरेंद्र मोदी

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वीजा दिए जाने से इनकार के बाद उन्हें लुभाने की अमेरिका की कोशिशों को चीनी मीडिया ने काफी हास्यास्पद करार दिया है। चीन के सरकारी मीडिया में छपे एक लेख में कहा गया है कि अमेरिका भारत के साथ अपने संबंधों को फिर से मजबूती देना चाहता है ताकि चीन को रोकने की अपनी नीति को बढ़ावा दे सके। 
ग्लोबल टाइम्स के वेब एडिशन के एक लेख में कहा गया है, 'अमेरिका में मोदी को इस बार जिस तरह का आतिथ्य-सत्कार मिल रहा है, वह इस तथ्य के ठीक उलट है कि अमेरिकी सरकार ने उन्हें 2005 में वीजा देने से इनकार कर दिया था। 
सरकारी शंघाई इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज के एक स्कॉलर ने अपने लेख में लिखा है, 'बहरहाल, उनकी लेटेस्ट यात्रा भी बहुत सुगम नहीं रही है। मोदी की अमेरिका यात्रा से ठीक पहले न्यू यॉर्क की एक अदालत ने गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों में उनकी कथित भूमिका के लिए उनके खिलाफ समन जारी किया। 
लेख में कहा गया है, 'मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले और उसके बाद अमेरिका का अलग-अलग रुख बिल्कुल हास्यास्पद है। दुनिया की नंबर एक ताकत को कूटनीतिक तौर पर इस तरह का व्यवहार शोभा नहीं देता।' लेख के मुताबिक, वास्तव में यह ग्लोबल गवर्नेंस में नैतिकता और मानवाधिकार के मानदंड से खुद को बाहर रखने की अमेरिका की इच्छा को दर्शाता है। इससे यह भी पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में अमेरिका भारत से असंतुष्ट रहा है । 
भारत और अमेरिका के लक्ष्यों में स्पष्ट अंतर की ओर इशारा करते हुए लेख में कहा गया, 'रणनीति और सुरक्षा के मामले में भारत के लक्ष्यों और अमेरिका के लक्ष्यों में अंतर अब भी बरकरार है।' लेख में इस बात को लेकर संकेत दिया गया है कि चीन के बढ़ने से भारत में शंकाएं हैं, लेकिन वह वॉशिंगटन की चीन पर काबू पाने की नीति का हिस्सा नहीं बनना चाहता है। अमेरिका रक्षा सहयोग को नीति के तौर पर सबसे ऊपर रखने की उम्मीद करता है, जबकि भारत की रुचि इस बात में है कि अमेरिकी हथियार निर्माता भारत में निवेश करें।

Thursday, September 25, 2014

बाढ़ से तबाह हुए क्षेत्रों में पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक योगदान दें

केंद्र सरकार ने सभी सांसदों से कहा है कि वे जम्मू-कश्मीर में बाढ़ से तबाह हुए क्षेत्रों में पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक योगदान दें।
एक सरकारी बयान के अनुसार सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सभी सांसदों से अनुरोध किया है कि वे 'सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना'(MPLADS) के फंड से जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्यों में योगदान दें।राव इंद्रजीत सिंह ने इस बारे में सभी सांसदों को पत्र लिखा है।
सांसदों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि योजना के दिशा निर्देश के पैरा 2.8 के अनुसार सांसद किसी भी आपदा के समय देश भर में प्रभावित इलाकों में पुनर्वास कार्यों के लिए ज्यादा से ज्यादा एक करोड़ रुपये दे सकते हैं।
लेटर में लिखा गया है कि जम्मू-कश्मीर में बाढ़ और भूस्खलन से हुई तबाही के बाद बडे पैमाने पर पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्यों की जरुरत है। ऐसे में सांसदों को मदद के लिए आगे आना चाहिए।

Wednesday, September 24, 2014

भारत ने नायाब उपलब्धि हासिल की

अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत ने नायाब उपलब्धि हासिल की है। भारतीय अनुसंधान संस्थान (इसरो) का मार्स ऑर्बिटर मिशन यानी मंगलयान सुबह 8 बजे करीब मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया। यह उपलब्धि हासिल करने के बाद भारत दुनिया में पहला ऐसा देश बन गया, जिसने अपने पहले ही प्रयास में यह सफलता हासिल की है। एशिया से कोई भी देश यह सफलता हासिल नहीं कर सका है। चीन और जापान के अब तक प्रयास विफल रहे हैं, जबकि अमेरिका को मंगल तक पहुंचने के लिए सात प्रयास करने पड़े थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और मावेन की टीम ने भारतीय यान के मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचने के लिए इसरो को बधाई दी है।
गौरतलब है कि 450 करोड़ रुपये की लागत वाला एमओएम बहुत कम खर्च वाला मिशन है। नासा के मंगल यान मावेन की लागत का यह दसवां हिस्सा है।
 

सुबह 7 बज कर 17 मिनट पर 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) यान को मंगल की कक्षा में प्रवेश कराने वाले थ्रस्टर्स के साथ तेजी से सक्रिय हुई ताकि मंगल ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) यान की गति इतनी धीमी हो जाए कि लाल ग्रह उसे खींच ले। मंगलयान को मंगल की कक्षा खींच सके, इसके लिए यान की गति 22.1 किमी प्रति सेकंड से घटा कर 4.4 किमी प्रति सेकंड की गई और फिर यान में डाले गए कमांड से मार्स ऑर्बिटर इन्सर्शन की प्रक्रिया संपन्न हुई। यह यान सोमवार को मंगल के बेहद करीब पहुंच गया था। जिस समय एमओएम कक्षा में प्रविष्ट हुआ, पृथ्वी तक इसके संकेतों को पहुंचने में करीब 12 मिनट 28 सेकंड का समय लगा। ये संकेत नासा के कैनबरा और गोल्डस्टोन स्थित डीप स्पेस नेटवर्क स्टेशनों ने ग्रहण किए और आंकड़े रीयल टाइम पर यहां इसरो स्टेशन भेजे गए। अंतिम पलों में सफलता का पहला संकेत तब मिला जब इसरो ने घोषणा की कि भारतीय मंगल ऑर्बिटर के इंजनों के प्रज्ज्वलन की पुष्टि हो गई है। 
एक ओर मंगल मिशन इतिहास के पन्नों पर स्वयं को सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा रहा था, वहीं दूसरी ओर इसरो के कमांड केंद्र में अंतिम पल बेहद व्याकुलता भरे थे। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के साथ मंगल मिशन की सफलता के साक्षी बने नरेंद्र ने कहा कि मंगल के 51 मिशनों में से 21 मिशन ही सफल हुए हैं, लेकिन हम सफल रहे। खुशी से फूले नहीं समा रहे प्रधानमंत्री ने इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन की पीठ थपथपाई और अंतरिक्ष की यह अहम उपलब्धि हासिल कर इतिहास रचने के लिए भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई दी।
 
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने देशवासियों को भी बधाई दी। उन्होंने कहा, 'कम साधन में इतनी बड़ी सिद्धि हासिल करने वाले हमारे वैज्ञानिक अभिनंदन के अधिकारी हैं। मुझे उनका अभिनंदन करते हुए गर्व हो रहा है।' उन्होंने कहा, 'आज मंगल का MOM (मार्श ऑर्बिटर मिशन) से मिलन हो गया। यह भारत के वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। जब इसका नाम MOM रखा गया था, तभी समझ गया था कि 'मां' कभी बेटे को निराश नहीं करती।'
ऑर्बिटर अपने उपकरणों के साथ कम-से-कम 6 माह तक कक्षा में दीर्घ वृत्ताकार पथ पर घूमता रहेगा और आंकड़े पृथ्वी पर भेजते रहेंगे। संभावना है कि यान पर फिट रंगीन कैमरे से बुधवार दोपहर से मंगल ग्रह की तस्वीरें मिलने लगेंगी। भारत मंगल ग्रह पर जीवन के सूत्र तलाशने के साथ ही वहां के पर्यावरण की जांच करना चाहता है। कुल 1,350 किग्रा वजन वाले अंतरिक्ष यान में पांच उपकरण लगे हैं। इन उपकरणों में एक सेंसर, एक कलर कैमरा और एक थर्मल इमैजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल हैं। सेंसर लाल ग्रह पर जीवन के संभावित संकेत मीथेन यानी मार्श गैस का पता लगाएगा। कलर कैमरा और थर्मल इमैजिंग स्पेक्ट्रोमीटर लाल ग्रह की सतह का और उसमें मौजूद खनिज संपदा का अध्ययन कर आंकड़े जुटाएंगे।
भारत का मंगल अभियान कामयाब होने के साथ ही अंतरिक्ष में उसका रुतबा काफी बढ़ गया है। मंगल की कक्षा में यान को सफलतापूर्वक पहुंचाने के बाद भारत लाल ग्रह की कक्षा या जमीन पर यान भेजने वाला चौथा देश बन गया है। अब तक यह उपलब्धि अमेरिका, यूरोप और रूस को मिली थी। जाहिर है इस सफलता से स्पेस बिजनेस के मामले में भी भारत नई छलांग लगा सकता है। इससे उसे विदेशी सैटलाइट्स लॉन्च करने के नए ऑर्डर मिलने के पूरे आसार हैं। इस समय मंगल के राज जानने के लिए सात मिशन काम कर रहे हैं। ये सभी अमेरिकी मिशन हैं। उसका सबसे ताजा प्रयास मावेन के रूप में सामने आया है। इसके अलावा मार्स ओडिसी, मार्स एक्सप्रेस और मार्स ऑर्बिटर मंगल की परिक्रमा कर रहे हैं। दो रोवर्स- स्पिरिट और अपॉर्च्युनिटी भी मंगल पर मौजूद हैं। इसके साथ ही लैंडर- फीनिक्स भी वहां तैनात हैं।
 
मंगलयान के मुख्य तरल इंजन का सोमवार को सफल परीक्षण किया गया था। मंगल की कक्षा में पहुंचने से पहले इस इंजन का टेस्ट बहुत जरूरी और चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि यान का मुख्य इंजन पिछले 300 दिन (करीब 10 महीने) से स्लीप मोड में था। इसरो के मुताबिक, इंजन ने तय योजना के तहत 4 सेकंड तक ठीक काम किया था। सोमवार की सफलता के साथ ही भारत मंगल ग्रह के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में अपना उपग्रह पहुंचाने वाला एशिया का पहला देश बन गया था।
मंगलयान को पिछले साल 5 नवंबर को 2 बजकर 36 मिनट पर इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से रवाना किया गया था और यह 1 दिसंबर 2013 को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल गया था। इसे पोलर सैटलाइट लॉन्च वीइकल (पीएसएलवी) सी-25 की मदद से छोड़ा गया था। अमेरिका और रूस ने अपने मंगलयान छोड़ने के लिए इससे बड़े और खासे महंगे रॉकेटों का प्रयोग किया। इसे पहले पिछले साल ही 19 अक्टूबर को छोड़े जाने की योजना थी, लेकिन दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में मौसम खराब होने के कारण यह काम टाल दिया गया था। इस पर 450 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस यान का वजन 1350 किलो है। मंगलयान को छोड़े जाने के बाद से इसके यात्रा मार्ग में सात करेक्शन किए गए, ताकि यह मंगल की दिशा में अपनी यात्रा जारी रख सके।

Monday, September 22, 2014

छह महीने के भीतर 20 हजार कॉल किए शादीशुदा जज ने

कहते हैं, प्रेम की कोई सीमा और बंधन नहीं होता है। इस पर जब प्रेम एकतरफा हो, तो वह हवा की तरह किस ओर अपना रुख मोड़ ले, कोई नहीं बता सकता। एक ऐसी ही प्रेम कहानी है एक शादीशुदा जज की। इस प्रेमी ने कॉलेज में साथ पढ़ने वाली युवती को लगभग छह महीने के भीतर 20 हजार कॉल किए और साढ़े 4 हजार एसएमएस भेजे। कोई रिस्पॉंस नहीं मिला तो एक दिन युवती के घर तक पहुंच गये। सूरत के उमरा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है।
वडोदरा में फर्स्ट क्लास जुडिशल मैजिस्ट्रेट नीलेश चौहाण और अनीता (नाम परिवर्तित) कॉलेज में साथ पढ़ते थे। नीलेश कॉलेज के दिनों से ही अनीता को चाहते थे, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई। पढ़ाई पूरी होने के बाद दोनों अलग हो गए। लेकिन नीलेश अपनी चाहत दबा नहीं पाए। इस बीच उनकी शादी भी हो गई। एक दिन नीलेश को पता चला कि अनीता सूरत में है। उन्होंने किसी तरह उसका सेलफोन नंबर पता कर लिया। उसके बाद रोजाना फोन करना शुरू किया। रात-दिन जब मौका मिलता फोन करते, कभी एसएमएस भेजते। नीलेश के इस व्यवहार से उनके परिवार वाले भी परेशान थे। पति की हरकत का पता चलने पर पत्नी ने आत्महत्या करने की भी कोशिश की। इसके बाद भी वह अपनी हरकत से बाज नहीं आए।
20 नवंबर को अनीता अपने घर के बाहर थी। उसे देखकर आरोपी उसके घर तक पहुंच गया और वह अनीता को साथ ले जाने पर अड़ गया। किसी तरह आसपास के लोगों ने समझाया। इस घटना से परेशान युवती काफी घबरा गई। उसने उमरा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज करा दिया। आरोपी ने सूरत कोर्ट में एफिडेविट जमा कर माफी मांग ली और अग्रिम जमानत ले ली। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, जमानत कैंसल करने के लिए गुजरात हाई कोर्ट में अर्जी लगाई। हाई कोर्ट ने सूरत कोर्ट के आदेश को कायम रखने का ऑर्डर जारी किया।
मामले की जांच करने वाले उमरा थाने के पीआई एस. जी. राणा ने बताया कि आरोपी औसतन 50 से 60 कॉल करता था। रात को भी कॉल कर परेशान करता था। शिकायत करने वाली युवती के फोन की जांच करने पर आरोपी के इतने कॉल्स और एसएमएस भेजे जाने का पता चला।

Saturday, September 20, 2014

महंगाई घटने की वजह

महंगाई घटने की वजह क्या है‌? इसका श्रेय किसे मिलना चाहिए? मोदी या राजन को या इसके पीछे कोई छिपी ताकत है? क्या जमाखोर मोदी एडमिनिस्ट्रेशन के डर से कम स्टॉक कर रहे हैं? क्या RBI के ब्याज दर ऊंची बनाए रखने के कदम का असर धीरे-धीरे दिखने लगा है? क्या दुनियाभर में क्रूड ऑयल, मेटल और दूसरी कमोडिटी की कीमत में आ रही कमी से इंडिया को फायदा हो रहा है? ये तीनों बातें तो सही हैं, लेकिन सरकार और RBI के कदमों का असर विवाद का विषय है। इसकी बड़ी वजह अकाट्य आंकड़े हैं।
इनफ्लेशन इंडेक्स कई कमोडिटी बास्केट से बना है जिसमें सबका अलग वेटेज है। इनसे पता चलता है कि पिछले साल इनकी अहमियत और डिमांड ज्यादा थी और इस साल इनमें थोड़ी कम तेजी आई है। इकनॉमिस्ट इसको बेस इफेक्ट बताते हैं। बेस इफेक्ट ज्यादा होने से महंगाई कम दिखती है। मतलब 2012-13 में कीमतें 2013-14 के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ीं। ऐसा नहीं है कि इस दौरान सब्जियों और मछली के दाम में कमी आई। इसका मतलब सिर्फ इतना है कि महंगाई पिछली बार से कम रही है।

इसके बावजूद महंगाई मीडिया की सुर्खियों में है। कुछ इंटेलेक्चुअल्स का मानना है कि टमाटर और प्याज की कीमत का ऊंची बयाज दरों से ज्यादा लेना-देना नहीं है। दूसरी तरफ टीम राजन को लगता है कि ऊंची ब्याज दर से जमाखोरों को दिक्कत होती है, होलसेल प्राइस पर अंकुश लगता है जिससे कंजयूमर इनफ्लेशन में कमी आती है। बड़ी बात तो यह है कि वे इस बात पर भरोसा करते हैं और इकनॉमिस्ट्स को उनके इस विश्वास से डिगाना नामुमकिन है कि इन सबसे महंगाई में कमी आती है।
अगर महंगाई का अनुमान ज्यादा होता है, मतलब जब बहुत से लोगों को लगता है महंगाई बढ़ेगी, सेलर्स को दाम बढ़ाने का लालच आता है और ट्रेड यूनियंस ज्यादा सेलरी हाइक की डिमांड करते हैं, तो महंगाई का चक्र अपने आप शुरू हो जाता है। अगर महंगाई का अनुमान इस साल मॉनसून में अनियमितता और बुआई वाले इलाके में कमी आने से बढ़ा है, तो इसकी वजह MSP में मामूली बढ़ोतरी हो सकती है, जिस रेट पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है।
सच्चाई यह है कि महंगाई पर किसी एक का पूरा जोर नहीं चलता इसलिए किसी को इसका पूरा क्रेडिट नहीं दिया जा सकता। जिस देश में ट्रेन टिकट और ग्रॉसरी क्रेडिट कार्ड से खरीदे जाते हों, वहां ऊंची ब्याज दरों से कंजयूमर डिमांड को कुछ हद तक घटाया जा सकता है, लेकिन इंडिया में ऐसा नहीं है। यहां तो मॉनेटरी पॉलिसी का कंजयूमर प्राइस इंडेक्स (जिस पर राजन करीब से नजर रखते हैं) में शामिल उन चीजों की डिमांड पर थोड़ा बहुत फर्क पड़ता है।

Wednesday, September 17, 2014

मां ने मिठाई खिलाकर बेटे को आशीर्वाद में पांच हजार एक रुपये दिए

अपने 64वें जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मां हीराबेन से आशीर्वाद लेने गांधीनगर पहुंचे। मोदी को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और वियतनाम दौरे पर गए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी फोन करके जन्मदिन की शुभकामानएं दीं।
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह पहला जन्मदिन है और इस मौके पर वह एक दिन पहले ही अहमदाबाद पहुंच गए थे। बुधवार सुबह वह अहमदाबाद से 23 किलोमीटर दूर गांधीनगर में सेक्टर 22 में अपने छोटे भाई पंकज मोदी के घर पहुंचे, जहां उनकी मां भी रहती हैं। उन्होंने मां हीराबेन के पांव छुए और मां ने मिठाई खिलाकर बेटे को आशीर्वाद में पांच हजार एक रुपये दिए, जिसे पीएम ने कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिया। मोदी और उनके परिवार की मुलाकात करीब 20 मिनट चली। यहां के निकलकर मोदी ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया
 

मोदी को जापानी पीएम शिंजो आबे का जन्मदिन की बधाई के लिए फोन किया। हाल ही में मोदी जापान यात्रा से वापस आए हैं। मोदी की जापान यात्रा के बाद दोनों देशों के रिश्तों में गर्मी आई है। जापानी पीएम के बधाई फोन को भी इसी रूप में देखा जा रहा है। आज चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी भारत दौरे के पहले दिन दोपहर को अहमदाबाद पहुंचने वाले हैं। दोनों नेता अहमदाबाद में साथ डिनर करेंगे।
मोदी ने आज सुबह ही ट्वीट कर कहा, 'चीन और इंडिया के बीच खास रिश्ता है। हम दोनों मिलकर नया इतिहास रच सकते हैं। बेहतर कल और संपूर्ण मानवता के लिए दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्ते जरूरी हैं।' दोनों देशों के बीच उन मुद्दों पर भी बातें होंगी जिनसे रिश्तों में मधुरता की जमीन मजबूत होगी। वे मुद्दे भी होंगे जिनकी वजह से दोनों के संबंधों में खटास आती रहती है।

Monday, September 15, 2014

सोने का भाव अगले साल तेज

सोने का भाव अगले साल तेज हो सकता है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के ग्लोबल हेड (मेटल्स) जेरेमी ईस्ट ने कहा है कि भारत और चीन में गोल्ड की डिमांड बढ़ने के कारण कीमतों में उछाल आ सकता है। 
चीन इस साल भारत को पीछे छोड़कर दुनिया में गोल्ड का सबसे बड़ा कंजयूमर हो गया। यह अगले साल भी सोने की जोरदार खरीदारी कर सकता है। दूसरी तरफ, इंडिया अपनी खरीदारी से ग्लोबल मार्केट में बड़ा असर डालने वाला देश नहीं रह गया है। इसकी बड़ी वजह करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) काबू करने के लिए सोने के इंपोर्ट पर सरकार की तरफ से लगाई गई बंदिशें हैं। हालांकि CAD में कमी आने पर सरकार ने अपनी सख्त पॉलिसी को थोड़ा उदार बनाया है।
 
आर्थिक स्थितियों में सुधार आने की वजह से अमेरिका में जूलरी की डिमांड बढ़ने पर सोने की कीमत में बना बेयरिश ट्रेंड 2015 में खत्म हो सकता है और इसमें तेजी की शुरुआत हो सकती है। ईस्ट ने बताया, 'चीन के सोने की खरीदारी करते रहने, इंडिया की डिमांड में सुधार आने और अमेरिका में डिमांड बढ़ने पर सोने के दाम में मजबूती आ सकती है। सोने को लेकर इंडिया और चीन में कॉम्पिटिशन हो सकता है।' तीन-चार साल पहले सोने के ग्लोबल मार्केट में चीन की डिमांड इतनी नहीं थी कि उससे कीमतों में फर्क पैदा हो, लेकिन अब यह दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड कंजूयमर हो गया है। इसने 2011 से 2013 के बीच 1400 टन गोल्ड का इंपोर्ट किया है।
 
ईस्ट ने कहा, 'मेरे हिसाब से अगले साल सोने की कीमतों में मजबूती आ सकती है। हालांकि मुझे नहीं लगता कि इसकी कीमत फिर 1900 डॉलर प्रति औंस तक जाएगी। इनवेस्टर्स की ओर से डिमांड में स्थिरता आ गई है।' ईस्ट ने सोने की कीमतों के लिए कोई टारगेट नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने यह जरूर माना कि डॉलर में मजबूती और ऊंचा इंटरेस्ट रेट सोने की सेहत के लिए सही नहीं रहेंगे।
 माइनर्स की हेजिंग की बात पर ईस्ट ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि शॉर्ट टर्म में उनकी तरफ से कोई हेजिंग हो रही है, लेकिन अगर सोने का भाव 100 डॉलर प्रति औंस गिरकर 1,150 डॉलर से नीचे आ जाता है तो कुछ माइंस में माइनिंग बंद हो सकती है। बुल रन की एक वजह यह भी थी कि माइनर्स ने हेजिंग बंद कर दी थी।' उन्होंने बताया कि चीन की माइनिंग कंपनियां फ्यूचर्स एक्सचेंज पर जोरदार तरीके से हेजिंग कर रही थीं। 
उन्होंने कहा कि चीन में कंजम्पशन में नाटकीय ढंग से तेजी आने से गोल्ड मार्केट पर असर के मामले में इंडिया की प्रासंगिकता घटी है। चीन में सोने को बढ़ावा देने वाली सरकारी नीतियों के चलते एशियाई बाजार लंदन मेटल एक्सचेंज के मुकाबले ज्यादा अहम हो गया है। जल्द ही एशिया की कीमतें ग्लोबल गोल्ड मार्केट के लिए प्राइस बेंचमार्क हो जाएंगी।
 

Thursday, September 11, 2014

मोदी लहर को जोरदार और कमजोर साबित करने की कोशिश के इर्दगिर्द

उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा और एक लोकसभा सीट के उपचुनाव मुख्य रूप से मोदी लहर को जोरदार और कमजोर साबित करने की कोशिशों के इर्दगिर्द घूम रहे हैं। इस लहर के सहारे लोकसभा चुनाव में अपनी सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाली बीजेपी एक बार फिर उसी के बल पर अपना दबदबा साबित करना चाहती है। वहीं, समाजवादी पार्टी (एसपी) और कांग्रेस की नजर बीजेपी के इस सबसे बड़े हथियार की धार कुंद करके एक तीर से दो निशाने लगाने पर है।
लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत और बिहार व उत्तराखंड में हाल में हुए उपचुनाव में अनुकूल परिणाम नहीं आने के बाद अब बीजेपी का पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश के उपचुनावों पर टिक गया है। वह लोकसभा चुनाव में परवान चढ़ चुके मोदी फैक्टर को मुख्य केंद्र बनाकर बेहद आक्रामक अंदाज में प्रचार कर रही है।

दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव में करारा झटका पा चुकी सत्तारूढ़ एसपी और कांग्रेस मोदी फैक्टर को एक छलावा मात्र साबित करने की कोशिश करते हुए इसके लिये मोदी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल को नाकामियों से भरा बताकर मोदी लहर को भ्रमजाल करार दे रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अपने विधायकों के सांसद बनने के कारण खाली हुई सीटों को दोबारा हासिल करने के लिये बढ़-चढ़कर चुनाव प्रचार कर रही बीजेपी के लिये मोदी फैक्टर उसके मनोबल का आधार है। हालांकि यह उसके लिये शेर की सवारी करने जैसा है, क्योंकि मोदी लहर के जादू को भुनाना उसके लिये चुनौती भी है।
उपचुनाव प्रचार में खासकर बीजेपी और एसपी के बीच जबर्दस्त होड़ हो रही है। बीजेपी ने प्रचार के मैदान में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा राजनाथ सिंह समेत छह केंद्रीय मंत्रियों की अगुवाई में 39 स्टार प्रचारकों की फौज उतारी है। एसपी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उपचुनाव प्रचार की कमान खुद संभाली है। किसी उपचुनाव में सम्भवत: ऐसा पहली बार हुआ है।

Tuesday, September 9, 2014

'क्या आप वेश्या बनना चाहती हैं? अगर नहीं, तो इसे पढ़ें और सोचें।

विश्व हिंदू परिषद (वीचएपी) के गुजराती में छपे पर्चे में यह बात कही गई है। इस पर्चे को गुजरात में बांटा जा रहा है, जिसमें मुस्लिम युवकों द्वारा हिंदू लड़कियों को लुभाए जाने को लेकर चेतावनी दी गई है। नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में यह दक्षिणपंथी संस्था गुजरात में सुस्त हो गई थी, जो अब फिर से सक्रिय होकर अपना अजेंडा आगे बढ़ा रही है।
इस पर्चे में आरोप लगाया गया है कि मुस्लिम युवक अमीर और गरीब हिंदू लड़कियों को अपने बाइक दिखाकर लुभाते हैं और उन्हें अपनी दूसरी और तीसरी पत्नी बनाकर उन्हें वेश्वावृत्ति में धकेल देते हैं। इसमें कहा गया है, 'हिंदू लड़कियों को आकर्षित करने के लिए मुस्लिम गुंडों को करोड़ों रुपए उपलब्ध कराए जाते हैं।'
मुस्लिमों की धार्मिक संस्था जमात-ए-इस्लामी हिंद का कहना है कि इस तरह के घृणा फैलाने वाले अभियान पर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की चुप्पी चिंताजनक है। जमात-ए-इस्लामी की गुजरात इकाई के प्रेजिडेंट शकील अहमद ने बताया, 'यह आश्चर्यजनक है कि इस के पर्चे मीडिया तक पहुंचते हैं, लेकिन पुलिस को नहीं मिलते। मेरा सीधा सवाल है: सुरक्षा बल क्या कर रहे हैं और इस पर पुलिस ने खुद से कार्रवाई क्यों नहीं की?'
गुजरात के फाइनैंस मिनिस्टर और राज्य सरकार के प्रवक्ता नितिन पटेल और बीजेपी महासचिव विजय रूपानी ने वीएचपी के इस पर्चे के बारे में अनिभिज्ञता जाहिर की। पटेल ने बताया, 'मैंने न तो ऐसा कुछ सुना है और न ही देखा है।' गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष आर. सी. फालदू ने इस मामले पर कुछ भी कहने से मना कर दिया। उनका कहना था कि चूंकि विश्व हिंदू परिषद ने यह पर्चा छपवाया है, लिहाजा इस पर वही टिप्पणी कर सकती है।
गुजरात विश्व हिंदू परिषद के प्रेजिडेंट दिलीप त्रिवेदी ने बताया कि संस्थान इस सिलसिले में लोगों को इसलिए जागरूक किया जा रहा है, क्योंकि ऐसे मामले संगठित तरीके से बढ़ रहे हैं। उन्होंने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'अगर धर्मों से इतर विवाह की इक्का-दुक्का घटनाएं होतीं, तो इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी जाती। पर्चे के अलावा हम बैठक कर लोगों को इस बारे में बता रहे हैं।'
विश्व हिंदू परिषद के पर्चे में आरोप लगाया गया है कि मुसलमान पुरुष हिंदू महिलाओं को लुभाने या रेप करने और उन्हें अपनी दूसरी, तीसरी और चौथी पत्नी बनाने को अपनी धार्मिक जिम्मेदारी समझते हैं। पर्चे में यह भी कहा गया है कि 1047 से अब तक मुस्लिम आबादी 10 गुना बढ़ गई है। हालांकि, वीएचपी के एक सीनियर प्रतिनिधि ने माना कि पर्चे में इस्तेमाल की भाषा जरूरत से ज्यादा आक्रामक है। उन्होंने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया, 'ऐसा नहीं होना चाहिए था। यही बात कम आक्रामक लहजे में भी कही जा सकती है।'

Friday, September 5, 2014

चीनी राष्ट्रपति ने भी सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान दौरा रद्द करने का फैसला किया।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब पाकिस्तान नहीं जाएंगे। श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे के बाद चीनी राष्ट्रपति ने भी सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान दौरा रद्द करने का फैसला किया। वह सितंबर के मध्य में पाक दौरे पर जानेवाले थे। इस फैसले से चीन ने सदाबहार साथी रहे पाकिस्तान को सीधा संदेश दिया है कि बड़े आयोजनों से पहले वह ऐसे राजनीतिक उठापटक से निबट ले।
यह भारत के लिए बेहद अच्छी खबर है। भारत ने चीनी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री दोनों देशों का दौरा एक साथ किए जाने का लगातार विरोध किया है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि चीन और पाकिस्तान के बीच परमाणु संधि और पाक अधिकृत कश्मीर में चीन द्वारा बुनियादी संरचनाओं से जुड़ी परियोजनाओं को बढ़ावा देने का भारत जबर्दस्त विरोध करता रहा है। दोनों देशों (चीन-पाकिस्तान) के बीच सामरिक साझेदारी भी भारत की दुखती रग बनी रही है।

शी का यह पाकिस्तान दौरा इस लिहाज से काफी महत्वपूर्ण था कि इस दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक और सामरिक क्षेत्र से जुड़े कई समझौते होने के अनुमान लगाए जा रहे थे। चीनी राष्ट्रपति को लाहौर-कराची मोटर वे सेक्शन का शिलान्यास करने और बिजली परियोजनाओं की शुरुआत करने के साथ पाक-चीन के बीच प्रस्तावित रेल लिंक को भी अंतिम रूप देना था। दोनों देश चीनी कम्पनियों द्वारा चीन के शिनजियांग और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के बीच आर्थिक गलियारा बनाए जाने की योजना को भी अंतिम रूप देने में लगे हैं।
चीन ने अगले सात सालों में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण और बिजली से जुड़ी कई पाकिस्तानी परियोजनाओं में 32 अरब डॉलर के निवेश किए जाने की घोषणा थी। सितंबर में शी का भारत दौरे के बाद पाकिस्तान और फिर श्रीलंका जाने की योजना थी। 14 से 17 सितम्बर के बीच राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के वियतनाम दौरे को देखते हुए शी के कार्यक्रम में बदलाव किया गया था, जिसके मुताबिक वो पहले पाकिस्तान जाते। फिर श्रीलंका का दौरा करने के बाद उनका भारत आगमन का कार्यक्रम था। राष्ट्रपति बनने के बाद शी भारतीय उप महाद्वीप की पहली यात्रा पर आएंगे। 17 से 19 सितम्बर के बीच भारत दौरे पर वह देश की आधारभूत संरचनाओं में भारी मदद की घोषणा कर सकते हैं।
पूर्व उच्चायुक्त जी पार्थसारथी ने कहा, 'पाकिस्तान दौरे को रद्द करने के पीछे चीनी राष्ट्रपति की सुरक्षा की चिंता मुख्य वजह होगी। इस फैसले ने पाकिस्तान को काफी कड़ा संदेश दिया है कि वह सुरक्षा संबंधी मुश्किलों से निबटने के लिए अपनी संरचनाओं को मजबूत करने के साथ-साथ उग्रवादी ताकतों को भी नियंत्रित करे।'
विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए शी की सुरक्षा टीम बुधवार को इस्लामाबाद में थी, जो वहां के मौजूदा हालातों के बीच किए गए सुरक्षा इंतजामों से संतुष्ट नहीं थी। शी को इस्लामाबाद के बदले लाहौर आने की सलाह दी गई, लेकिन उनके सुरक्षा दल ने इसकी भी अनुमति नहीं दी।
पिछले महीने श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंद्र राजपक्षे ने भी पाकिस्तान के राजनीतिक हालात को देखते हुए वहां का दौरा रद्द कर दिया था। इसे पाकिस्तानी सरकार के लिए बड़ी चिंता के सबब के रूप में देखा गया।

Wednesday, September 3, 2014

एक मुस्लिम कसाई गणेश उत्सव मना रहा है

गुजरात में47 साल का एक मुस्लिम कसाई और उसका परिवार सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल देते हुए अपने घर में गणेश उत्सव मना रहा है। इस परिवार का कहना है कि गणपति ने उन्हें खुशहाली और समृद्धि दी है।
गुजरात के गोधरा से करीब 60 किलोमीटर दूर पंचमहल जिले में अपने शिवराजपुर गांव में अनीश कुरैशी, उनकी पत्नी और तीन बच्चे पिछले पांच साल से गणेश उत्सव मना रहे हैं। इस बार भी उन्होंने अपने घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की है।
अनीश ने बताया, 'मैंने अपने घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की है। गणेश चतुर्थी से शुरू होने वाले 10 दिन के उत्सव के दौरान हम आरती और पूजा करते हैं।' उन्होंने बताया कि पूरे परिवार की भगवान गणेश में बहुत श्रद्धा है और पिछले कई साल से वे उनकी पूजा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पांच साल पहले उन्होंने भगवान गणेश की मूर्ति अपने घर लाने का फैसला किया था। इसने उनके परिवार में खुशहाली और समृद्धि लाई और भगवान में उनकी आस्था मजबूत की। अनीश की 15 साल की बेटी रूखसाना ने बताया, 'भगवान गणेश की पूजा शुरू करने के बाद हमारा खुद का घर हो गया। इससे पहले हम किराएदार के तौर पर रहते थे।'
शिवराजपुर गांव के सरपंच कानूभाई सोनी ने बताया, 'अनीश ने भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द्र का एक अनोखा उदाहरण पेश किया है। गांव के हिंदू लोग आरती और पूजा के वक्त दर्शन के लिए कुरैशी के घर जाते हैं।' उन्होंने बताया कि मूर्ति विसर्जन में कुरैशी के साथ 5 हजार की आबादी वाला लगभग समूचा गांव भाग लेता है।

सेक्युलर लोगों पर निशाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सेक्युलर लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके अपने साथ गीता रखने पर भारत के टीवी चैनलों पर बहसें शुरू हो सकती हैं। मोदी ने कहा, 'मैं तोहफा देने के लिए गीता साथ लाया हूं। मैं दुनियाभर में जहां भी लोगों से मिलता हूं, उन्हें गीता देता हूं। जब मैं जापानी राजा से मिला तो मैंने उन्हें गीता दी क्योंकि मेरे पास देने के लिए इससे ज्यादा कीमती चीज नहीं है और दुनिया के पास पाने के लिए इससे ज्यादा कीमती कुछ नहीं है।'
लेकिन मोदी ने संदेह जताया कि भारत के धर्मनिरपेक्ष लोगों को यह बात पसंद नहीं आएगी। उन्होंने कहा, 'इस पर टीवी डिबेट हो जाएगी। मेरे सारे सेक्युलर दोस्त कहेंगे कि मोदी पता नहीं खुद को क्या समझता है। मुझे समझ नहीं आता कि ऐसे विषयों पर बहस क्यों होती है।' मोदी ने यह बात तोक्यों में भारतीयों को एक समूह के बीच कही।
मोदी का यह निशाना ध्रुवीकरण के आरोपों को लेकर हो सकता है। हाल ही में भारत में कई बार ऐसी बहसें हो चुकी हैं जब कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मोदी और बीजेपी पर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का आरोप लगाया है।
कई बीजेपी नेता यूपी में संप्रदायविशेष विरोधी बयानबाजी कर चुके हैं। हाल ही में गोरखपुर से पार्टी के सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि जहां भी मुसलमानों की तादाद 20-25 फीसदी से ज्यादा होती है, वहीं दंगे होते हैं। उनके इस बयान की खासी आलोचना हुई थी लेकिन पार्टी ने उन्हें यूपी उपचुनाव में प्रचार की कमान सौंप दी है।

Monday, September 1, 2014

मोदी ने कहा, 'अब मैं ज्ञानवान महसूस कर रहा हूं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसके लिए वह वहां के कारोबारियों के लिए भारत में निवेश का बेहतर माहौल तैयार करने का वादा कर रहे हैं। जापान के पांच दिनों के दौरे पर गए प्रधानमंत्री ने वहां के कारोबारियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय में जापानियों को निवेश में मदद के लिए एक विशेष टीम 'जापान प्लस' गठित की जाएगी। उन्होंने चीन का नाम लिए बिना '21वीं सदी के एशिया' के लिए भारत और जापान को स्वाभाविक साझेदार बताकर इशारों-इशारों में अपनी मंशा भी जता दी।
सोमवार को तोक्यो में जापान चैंबर ऑफ कॉमर्स में हिन्दी में दिए अपने भाषण में कहा कि 21 वीं सदी एशिया की होगी यह तो सभी मानते हैं, लेकिन यह सदी कैसी होगी यह भारत और जापान के संबंधों पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, 'दुनिया दो धाराओं में बंटी है, एक विस्तारवाद की धारा है और दूसरी विकासवास की धारा है। हमें तय करना है कि विश्व को विस्तारवाद के चंगुल में फंसने देना है या विकासवाद के मार्ग पर जाने के लिए अवसर पैदा करना है। इन दिनों 18वीं सदी का विस्तारवाद नजर आता है, कहीं किसी के समंदर में घुस जाना, कहीं किसी की सीमा में घुस जाना। 21वीं सदी में शांति और प्रगति के लिए भारत और जापान की बड़ी ज़िम्मेदारी है।'

माना जा रहा है कि मोदी के इस बयान का निशाना चीन था क्योंकि भारत और जापान दोनों के चीन के साथ सीमा विवाद हैं। चीन और जापान के बीच पूर्वी चीन सागर में कुछ द्वीपों को लेकर विवाद चल रहा है। जापान में इन द्वीपों को सेनकाकू के नाम से जाना जाता है, जबकि चीन के लोग इसे तियाओयू के नाम से जानते हैं। भारत में भी लद्दाख के क्षेत्र में चीन के सैनिक आए दिन घुसपैठ करते रहते हैं। पूरे अरुणाचल प्रदेश पर चीन अपना दावा जताता है। दक्षिणी चीन सागर में भी भारत और चीन के हित आपस में टकरा रहे हैं। इसके अलावा ब्रह्मपुत्र पर बांध, अक्साई चीन, पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित में चीनी की लगातार तेज होतीं गतिविधियां भी दोनों देशों के बीच विवाद के कारण हैं।
प्रधानमंत्री ने जापानी निवेशकों को आमंत्रित करते हुए बेहतर निवेश माहौल और तुरंत फैसले होने का वादा किया। कारोबारियों से रू-ब-रू मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा, 'गुजराती होने के नाते व्यवसाय मेरे खून में है। इसलिए मेरे लिए इसे समझना आसान है। कारोबारियों को काम करने के लिए अच्छा माहौल चाहिए और यह उपलब्ध कराना सिस्टम और शासन की ज़िम्मेदारी है। हम इसी के लिए काम कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पिछला एक दशक कठिनाई में गुज़रा है, लेकिन अब पहली ही तिमाही में 5.7% की विकास दर के साथ हमने जंप लगाया है। इससे विश्वास पैदा हुआ है। नियम और कानूनों को बदले जा रहे हैं, जिनके परिणाम निकट भविष्य में दिखने लगेंगे।'
मोदी ने कहा, 'भारत और जापान की जिम्मेदारी द्विपक्षीय संबंधों से भी आगे जाकर है। भारतीय और जापानी कारोबारी दुनिया की अर्थव्यवस्था को दिशा दे सकते हैं।' उन्होंने कहा कि हम स्किल डिवलेपमेंट और रिसर्च में जापान से मदद लेना चाहते हैं। हम सरकार के काम में तकनीक और 'क्लीन एनर्जी' के इस्तेमाल को बढ़ाना चाहते हैं, जिसमें जापान हमारी मदद कर सकता है। इस मौके पर मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत 'जापान प्लस' टीम बनाने का ऐलान भी किया, जो भारत में जापानी निवेश को आसान बनाने की दिशा में काम करेगी।
इससे पहले मोदी जापान की शिक्षा प्रणाली को समझने के लिए एक 'छात्र' के तौर पर 136 साल पुराने स्कूल गए ताकि ऐसी ही प्रणाली अपने देश में भी लागू की जा सके। प्रधानमंत्री ने भारत में जापानी भाषा पढ़ाने के लिए यहां के शिक्षकों को आमंत्रित किया और 21 वीं सदी को सही मायने में एशिया की सदी बनाने के उद्देश्य से एशियाई देशों में भाषाओं तथा सामाजिक मूल्यों के लिए सहयोग को आगे बढ़ाने की अपनी वकालत के बीच ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का प्रस्ताव भी दिया।
मोदी ने तेइमेई प्राइमरी स्कूल में कहा, 'यहां आने का मेरा इरादा यह समझना है कि आधुनिकीकरण, नैतिक शिक्षा और अनुशासन जापान की शिक्षा प्रणाली में किस प्रकार एकाकार हुए हैं। मैं 136 साल पुराने स्कूल में सबसे उम्रदराज छात्र के तौर पर आया हूं।' प्रधानमंत्री को उप शिक्षा मंत्री माएकावा केहाई ने जापान की शिक्षा प्रणाली, खास कर सरकार संचालित प्रणाली और कामों के बारे में विस्तार से बताया। मोदी ने कुछ सवाल पूछे जैसे सिलेबस कैसे तैयार किया जाता है, क्या अगली क्लास में प्रमोट करने के लिए परीक्षा एकमात्र मानदंड है, क्या छात्रों को सजा दी जाती है और उन्हें नैतिक शिक्षा कैसे दी जाती है?
मोदी ने स्कूल के दौरे के दौरान कहा, 'अब मैं ज्ञानवान महसूस कर रहा हूं।' उन्होंने कहा, 'पूरी दुनिया जानती है कि 21 वीं सदी एशिया की होगी। इसे वास्तविकता में बदलने के लिए एशियाई देशों को भाषाओं और सामाजिक मूल्यों की दिशा में सहयोग बढ़ाना चाहिए। इससे पूरी मानवता की सेवा होनी चाहिए।' मोदी ने कहा कि सीबीएसई ने भारत में जापानी भाषा के पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है लेकिन देश में दक्ष जापानी टीचरों की कमी है। उन्होंने जापानी टीचरों को भारत में पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया।