ऑपिनियन
पोल्स के चलते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चिंता में पड़ गया है। उसकी चिंता यह है कि
इन चुनाव सर्वेक्षणों में बीजेपी की शानदार जीत का जो अनुमान लगाया जा रहा है, उसके चलते पार्टी के समर्थक कुछ
ज्यादा ही राहत महसूस कर सकते हैं और इससे मतदान के आगामी चरणों में दिक्कत हो
सकती है। लिहाजा आरएसएस ने आने वाले दिनों में डोर टु डोर कैंपेन चलाने का फैसला
किया है ताकि वोटर्स को उत्साहित किया जा सके। संघ पूर्वी और मध्य यूपी पर ज्यादा
ध्यान देगा।
संघ को 2004 की याद आ रही है, जब अति उत्साहित होकर शाइनिंग इंडिया कैंपेन चलाने वाली बीजेपी आम चुनाव में हार गई थी। इसे देखते हुए संघ ने ज्यादा से ज्यादा वोटर्स तक पहुंचने का प्लान बनाया है। आरएसएस के एक सीनियर पदाधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, 'बेंगलुरु में कम वोटिंग को देखते हुए इस कदम की जरूरत महसूस की गई। वहां उम्मीद थी कि लोग मोदी के फेवर में उमड़ पड़ेंगे।' बेंगलुरु में 50 पर्सेंट वोट ही पड़े, जबकि कर्नाटक के शेष हिस्सों में औसतन 67 पर्सेंट मतदान हुआ। संघ डर जता रहा है कि इंटरनेट पर दिखने वाला समर्थन वोटिंग में नहीं बदल सका।
आरएसएस के एक सूत्र ने कहा, 'ऐसा ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में हुआ था, जब आम आदमी पार्टी ने डोर टु डोर कैंपेन में हमें पीट दिया था।' इसी साल बेंगलुरु में हुई अपनी प्रतिनिधि सभा में संघ ने बीजेपी प्रेजिडेंट राजनाथ सिंह और बीजेपी के संगठन मंत्री राम लाल की मौजूदगी में इस बात पर चर्चा की थी कि वोटर्स के संतुष्ट होकर घर में बैठे रहने और टेक्नॉलजी पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करने के क्या खतरे हो सकते हैं।
सूत्र ने बताया, 'यह बात बिल्कुल साफ की गई थी कि हमें टेक्नॉलजी पर ज्यादा भरोसा नहीं करना है।' सेंट्रल और ईस्टर्न यूपी में संघ के स्वयंसेवक डोर टु डोर कैंपेन करेंगे। फैजाबाद में जिला बीजेपी के पदाधिकारी दिवाकर सिंह इससे जुड़ी योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हर बूथ पर संघ के कम से कम दो लोग होंगे।' उन्होंने कहा कि हर जिले के लिए स्वयंसेवकों को जिम्मेदारी पहले ही दे दी गई है।
संघ के प्रवक्ता राम माधव से ईटी ने संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। संघ के सीनियर लीडर्स की ओर से तय प्लान के अनुसार, हर लोकसभा क्षेत्र को समुदाय, लिंग और उम्र के हिसाब से बांटा गया है और इसका जिम्मा स्वयंसेवकों को दिया गया है। संघ के सूत्र ने बताया, 'हर स्वंयसेवक विभाग प्रचारक को रिपोर्ट देगा, जो इसके संघ के सह-कार्यवाह और नॉर्थ जोन के इंचार्ज कृष्ण गोपाल के पास भेजेंगे।' उन्होंने कहा, '2009 के चुनाव में ईस्टर्न यूपी की 27 सीटों में से 4 ही बीजेपी को मिली थीं। इसे देखते हुए इस बार ज्यादा ताकत झोंकी जाएगी।'
संघ को 2004 की याद आ रही है, जब अति उत्साहित होकर शाइनिंग इंडिया कैंपेन चलाने वाली बीजेपी आम चुनाव में हार गई थी। इसे देखते हुए संघ ने ज्यादा से ज्यादा वोटर्स तक पहुंचने का प्लान बनाया है। आरएसएस के एक सीनियर पदाधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, 'बेंगलुरु में कम वोटिंग को देखते हुए इस कदम की जरूरत महसूस की गई। वहां उम्मीद थी कि लोग मोदी के फेवर में उमड़ पड़ेंगे।' बेंगलुरु में 50 पर्सेंट वोट ही पड़े, जबकि कर्नाटक के शेष हिस्सों में औसतन 67 पर्सेंट मतदान हुआ। संघ डर जता रहा है कि इंटरनेट पर दिखने वाला समर्थन वोटिंग में नहीं बदल सका।
आरएसएस के एक सूत्र ने कहा, 'ऐसा ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में हुआ था, जब आम आदमी पार्टी ने डोर टु डोर कैंपेन में हमें पीट दिया था।' इसी साल बेंगलुरु में हुई अपनी प्रतिनिधि सभा में संघ ने बीजेपी प्रेजिडेंट राजनाथ सिंह और बीजेपी के संगठन मंत्री राम लाल की मौजूदगी में इस बात पर चर्चा की थी कि वोटर्स के संतुष्ट होकर घर में बैठे रहने और टेक्नॉलजी पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करने के क्या खतरे हो सकते हैं।
सूत्र ने बताया, 'यह बात बिल्कुल साफ की गई थी कि हमें टेक्नॉलजी पर ज्यादा भरोसा नहीं करना है।' सेंट्रल और ईस्टर्न यूपी में संघ के स्वयंसेवक डोर टु डोर कैंपेन करेंगे। फैजाबाद में जिला बीजेपी के पदाधिकारी दिवाकर सिंह इससे जुड़ी योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हर बूथ पर संघ के कम से कम दो लोग होंगे।' उन्होंने कहा कि हर जिले के लिए स्वयंसेवकों को जिम्मेदारी पहले ही दे दी गई है।
संघ के प्रवक्ता राम माधव से ईटी ने संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। संघ के सीनियर लीडर्स की ओर से तय प्लान के अनुसार, हर लोकसभा क्षेत्र को समुदाय, लिंग और उम्र के हिसाब से बांटा गया है और इसका जिम्मा स्वयंसेवकों को दिया गया है। संघ के सूत्र ने बताया, 'हर स्वंयसेवक विभाग प्रचारक को रिपोर्ट देगा, जो इसके संघ के सह-कार्यवाह और नॉर्थ जोन के इंचार्ज कृष्ण गोपाल के पास भेजेंगे।' उन्होंने कहा, '2009 के चुनाव में ईस्टर्न यूपी की 27 सीटों में से 4 ही बीजेपी को मिली थीं। इसे देखते हुए इस बार ज्यादा ताकत झोंकी जाएगी।'
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