Tuesday, February 4, 2014

आम आदमी पार्टी (आप) और दिल्ली सरकार के लिए शर्मिंदगी का एक और सबब सामने

दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती पर स्पैमिंग में शामिल होने के आरोप के बाद आम आदमी पार्टी (आप) और दिल्ली सरकार के लिए शर्मिंदगी का एक और सबब सामने आ गया है। इस बार आरोप पार्टी में दूसरे नंबर के नेता माने जाने वाले और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी शिक्षा एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री मनीष सिसोदिया पर लगा है। आरोप है कि सिसोदिया के एनजीओ कबीर के लिए जो फॉरेन फंड्स आए थे, उसका उन्होंने निजी इस्तेमाल किया। मुख्यमंत्री केजरीवाल भी इस एनजीओ की गवर्निंग बॉडी में हैं।
यह मामला पुराना है और गृह मंत्रालय के अकाउंट कंट्रोलर की ओर से जारी जांच में कहा गया है, 'कई मामलों में बताए गए खर्च और उसके कागजात में कोई मेल नहीं हैं। जिन अनियमिततताओं के आरोप हैं, उनमें सिसोदिया की पत्नी को बिना रशीद के किराये देने, कर्मचारियों का ब्‍योरा न होना, कैशबुक का गायब होना, ऐसी यात्राओं के खर्च दिखाए गए हैं जिनका कोई ब्योरा नहीं है और हद तो यह है कि शिक्षा मंत्री की कार की सर्विसिंग के लिए भी भुगतान इस फंड से किया गया है।
बताया गया है कि कबीर ने 2008 से 2011-12 के दौरान आरटीआई के कार्यकर्ताओं को 17.7 लाख रुपये का भुगतान किया गया है, पर जांच टीम को इसके लिए किए गए समझौता पत्र नहीं दिखाए गए। जांच टीम को कर्मचारियों को सैलरी और भत्ता देने के सबूत भी नहीं मिले।
इस एनजीओ को 2005-06 से 2010-11 के दौरान विदेशों से 2 करोड़ रुपये की मदद मिली। फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेग्युलेशन ऐक्ट के तहत एनजीओ की 2005-06 से 2011-12 के दौरान जांच की गई है। सिसोदिया ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इस मामले में कोर्ट से उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है, लेकिन अब राजनीतिक कारणों से इसे तूल दिया जा रहा है।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एनजीओ पांडव नगर स्थित उनके घर से चल रहा था और इसके लिए उनकी पत्नी सीमा को 12,000 रुपये प्रतिमाह किराया दिया गया। हालांकि, इस किराए की कोई रशीद उपलब्ध नहीं कराई गई। कबीर का सीमा के साथ कोई रेंट एग्रीमेंट भी नहीं दिखाया गया। इतना ही नहीं, जब टीम ने 2006 से 2008 की कैशबुक मांगी तो सिसोदिया ने जांच टीम को बताया कि ऑफिस बदलने के क्रम में कहीं गुम हो गईं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सिसोदिया को 11 जुलाई 2008 को देहरादून ट्रिप के लिए 17, 900 रुपये का भुगतान किया गया लेकिन बिल के मुताबिक गाड़ी दिल्ली-बहराइच-दिल्ली के लिए किराये पर ली गई थी। यह भी नहीं बताया गया कि इस ट्रिप का मकसद क्या था और कितने लोग गए थे। जांच रिपोर्ट में टिप्पणी की गई है कि प्रथम दृष्टया यह मामला धोखाधड़ी का लग रहा है।
सिसोदिया को 23 नंवबर, 2008 को दिल्ली-लखनऊ-दिल्ली के लिए 6656 रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन उनके साथ यात्रा करने वाले वैभव कुमार और दिव्या ज्योति कबीर के बोर्ड में नहीं हैं। इसके अलावा 23 अप्रैल 2008 को सिसोदिया को चित्रकूट जाने के लिए 2496 रुपये दिए गए लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह यात्रा ऑफिशल थी कि नहीं। इसके अलावा 11 अगस्त 2008 को कबीर के फंड्स से सिसोदिया ने अपनी ऑल्टो कार की सर्विसिंग के लिए 3900 रुपये का भुगतान किया। रिपोर्ट में कहा गया, 'विदेश से मिले अनुदान का निजी इस्तेमाल के लिए किए गए फर्जीवाड़े का यह एक और प्रमाण है।'

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