Thursday, October 3, 2013

अध्यादेश पर मचे बवाल के बीच सरकार ने इसे वापस लेने का फैसला किया

सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश पर मचे बवाल के बीच सरकार ने इसे वापस लेने का फैसला किया। बुधववार शाम को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया।
इससे पहले सुबह में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और इसके बाद पार्टी कोर ग्रुप में इस पर चर्चा हुई। हमारे कांग्रेस कोर ग्रुप ने सरकार से कहा कि अध्यादेश को वापस लिया जाना चाहिए। इसके बाद प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति प्रवण मुखर्जी से मुलाकात की।

कोर ग्रुप की बैठक में आम राय बनी कि जनभावना अध्यादेश के खिलाफ है और राष्ट्रपति ने इसे लौटा दिया तो सरकार की और किरकिरी हो जाएगी। सूत्रों की मानें तो पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री को अध्यादेश वापस लेने का सुझाव दिया। कोर ग्रुप ने प्रधानमंत्री से कहा कि वह शाम 6 बजे होने वाली कैबिनेट बैठक में सहयोगी दलों को विश्वास में लेकर अध्यादेश वापसी की तैयारी करें। इस बैठक में प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी के अलावा गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और अहमद पटेल शामिल थे। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी शहर से बाहर होने के कारण इस बैठक में शामिल नहीं हो सके।
साफ है कि अध्यादेश वापस लेने का फैसला कोर ग्रुप में ही हो चुका था, लेकिन इसके ऐलान से पहले शाम को कैबिनेट की मीटिंग में सहयोगी पार्टियों के मंत्रियों को विश्वास में लेना था। दरअसल, राहुल ने जिस शैली में अध्यादेश को बकवास बताते हुए फाड़कर फेंकने की बात कही थी इससे सहयोगी दल काफी खुश नहीं थे। इसलिए कांग्रेस इस मसले पर सहयोगियों को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहती थी।

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