जिन लोगों का इनकम टैक्स सोर्स पर ही कट जाता है (टीडीएस),उन्हें रिटर्न भरने के लिए कुछ इंतजार करना पड़ सकता है। ऐसे लोगों को फॉर्म पर एक नया नंबर जरूरी तौर पर बताना होगा। इसे यूनीक ट्रांजैक्शन नंबर (यूटीएन) का नाम दिया गया है। तमाम वेतनभोगी कर्मचारी टीडीएस को दायरे में आते हैं। बैंक में जमा फिक्स्ड डिपॉजिट पर टीडीएस ही लागू होता है।
यूटीएन क्यों, पैन क्योंनहीं
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रिटर्न फॉर्म में कुछ बदलाव किए हैं, जिनमें यूटीएन के लिए जगह दी गई है। अब लोग पूछ सकते हैं कि पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) के होते हुए यूटीएन क्यों जरूरी है? सूत्रों का कहना है कि पैन में कुछ समस्याएं हैं। जैसे कुछ लोगों के पास एक से ज्यादा पैन हैं।
कौन देगा यह नंबर
यूटीएन देने का काम एनएसडीएल (नैशनल सिक्युरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड) को दिया गया है। इंडिविजुअल कैटिगरी के तहत रिटर्न भरने वाले यह नंबर स्त्रोत पर टैक्स काटने वाले या संग्रह करने वाले से हासिल करेंगे। आप वेतनभोगी हैं तो आपको यह नंबर आपकी कंपनी देगी। एफडी पर लगे टैक्स पर बैंक भी यह नंबर देंगे।
कब मिलेगा यह
नंबर एनएसडीएल कब यूटीएन देगा, यह सवाल पूछे जाने पर टैक्स अधिकारियों ने कहा है कि डिपार्टमेंट ने एनएसडीएल से इस बारे में 30 जून तक जानकारी मांगी है। जानकार बता रहे हैं कि 2008-09 के लिए कंपनियों से फॉर्म-16 और बैंकों से टीडीएस सर्टिफिकेट बिना यूटीएन ही मिले हैं। इस वित्त वर्ष के लिए रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। यूटीएन को लेकर आम लोगों को परेशानी न हो, इसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड एक हफ्ते के अंदर स्थिति स्पष्ट कर सकता है। एक्सर्पट्स का कहना है कि अभी टैक्स रिटर्न भरने में 40 दिन बाकी हैं, सो रिटर्न भरने के लिए इंतजार किया जा सकता है।
बिना नंबर क्या परेशानी
टैक्सपेयर तभी क्लेम पा सकेंगे, जब वे यूटीएन बताएंगे। किसी भी टीडीएस या टीसीएस (स्त्रोत पर टैक्स संग्रह) के क्रेडिट पर क्लेम की इजाजत तभी होगी, जब असेसी हर टीसीएस और टीडीएस क्लेम के लिए सही यूटीएन बताएं। इस यूटीएन को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के डेटाबेस में मौजूद यूटीएन से मैच करना जरूरी है। बहरहाल, एक्सपर्ट इस बारे में स्पष्ट नहीं बता पा रहे हैं कि बिना यूटीएन जमा किया गया रिटर्न वैध होगा या नहीं।
यह अच्छा है या बुरा
प्रमुख लॉ फर्म अमरचंद मंगलदास के पार्टनर असीम चावला यूटीएन का स्वागत करते हुए कहते हैं कि यह ऑनलाइन टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन सिस्टम के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम है। लेकिन दूसरे जानकारों का कहना है कि इससे भारी उलझन पैदा हो गई है। निर्देश बहुत देर से जारी किया गया है और इतने कम समय में सभी को नंबर नहीं दिया जा सकता।
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