एशिया की 12 बड़ी आर्थिक शक्तियों में सिंगापुर के प्रशासनिक अधिकारी एक सर्वे में सबसे ज्यादा योग्य पाए गए हैं। बिजनेस सर्वे में भारतीय नौकरशाहों को सबसे निचले पायदान पर रखा गया है और कहा गया है कि उनके साथ काम करने का अनुभव काफी सुस्त और कष्ट देने वाला है। यह भी कहा गया है कि एशियाई देशों के नौकरशाह विपरीत परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। हॉन्गकॉन्ग की पॉलिटिकल और इकनॉमिक रिस्क कंसल्टेंसी (पीईआरसी)की ओर से किए गए इस सर्वे में सिंगापुर को लगातार तीसरी बार पहले पायदान पर रखा गया है। हॉन्गकॉन्ग को दूसरे, थाइलैंड को तीसरे, साउथ कोरिया को चौथे, जापान को पांचवे, मलयेशिया को छठे, ताइवान को सातवें, वियतनाम को आठवें, चीन को नौवें, फिलीपीन को दसवें, इंडोनेशिया को 11वें और भारत को 12वें नंबर पर रखा गया है। यह सर्वे पिछली बार साल 2007 में किया गया था।
रिपोर्ट में कहा है कि सामान्य दिनों में (जब सिस्टम पर कोई खास दबाव नहीं होता)इन एशियाई देशों के नौकरशाह काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं, पर बुरे हालात में इन नौकरशाहों का प्रदर्शन ऐसा होता है कि उस वक्त उनके कामकाज में न तो पारदर्शिता दिखती है और न ही जिम्मेदारी का बोध। थाइलैंड के बारे में इस सर्वे में खास तौर पर कहा गया है कि इस देश में राजनीतिक उथल-पुथल और विरोधों के बीच वहां के सिविल सर्वेंट्स ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'शायद देश में जारी दिक्कतों की वजह से ही प्रशासनिक अधिकारियों ने जिम्मेदारीपूर्वक अपनी ड्यूटी निभाई है।' यही वजह है कि सर्वे में थाइलैंड को तीसरे पायदान पर रखा गया है।
रिपोर्ट में कहा है कि सामान्य दिनों में (जब सिस्टम पर कोई खास दबाव नहीं होता)इन एशियाई देशों के नौकरशाह काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं, पर बुरे हालात में इन नौकरशाहों का प्रदर्शन ऐसा होता है कि उस वक्त उनके कामकाज में न तो पारदर्शिता दिखती है और न ही जिम्मेदारी का बोध। थाइलैंड के बारे में इस सर्वे में खास तौर पर कहा गया है कि इस देश में राजनीतिक उथल-पुथल और विरोधों के बीच वहां के सिविल सर्वेंट्स ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'शायद देश में जारी दिक्कतों की वजह से ही प्रशासनिक अधिकारियों ने जिम्मेदारीपूर्वक अपनी ड्यूटी निभाई है।' यही वजह है कि सर्वे में थाइलैंड को तीसरे पायदान पर रखा गया है।
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