मुंबई हमलों के आरोपी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब की बुधवार को एक 10 साल की लड़की ने अदालत में पहचान की। हमलों में विकलांग हुई लड़की ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर यात्रियों पर अंधाधुंध गोलीबारी करने वाले एक बंदूकधारी के रूप में कसाब की शिनाख्त की। लड़की का पिता अदालत में फूट पड़ा और कसाब को फांसी पर लटकाने की गुहार की। विशेष जज एम. एल. तहलियानी की अदालत में बुधवार को उस समय भावनात्मक दृश्य उपस्थित हो गया, जब इस केस की अब तक की सबसे कम उम्र की गवाह देविका रोतवान पेश हुई। देविका से अदालत ने पूछा कि क्या वह कटघरे में खड़े तीन आरोपियों में से बंदूकधारी की पहचान कर सकती है? कसाब समेत तीनों आरोपी कटघरे में खड़े थे, जिनमें से देविका ने कसाब की ओर उंगली दिखाई, हालांकि कसाब ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 26 नवंबर की रात की घटना का विवरण देते हुए देविका ने बताया कि जबर्दस्त आवाज हुई। मेरे पिता ने कहा कि हमें यहां से चलना चाहिए और हम मुड़कर एक दिशा में जाने लगे, जबकि मेरा भाई दूसरी दिशा में भागने लगा। जब हम भाग रहे थे, तो मैंने दो लोगों को गोली चलाते देखा। मेरे दाएं पैर में भी एक गोली लगी और मेरे पांव में से खून निकलने लगा। देविका सीएसटी रेल टर्मिनस पर हमलों के संबंध में अदालत के सामने प्रस्तुत होने वाले तीन प्रत्यक्षदर्शियों में से एक है। देविका के पिता नटवरलाल और गोलीबारी में घायल होने वाला एक एएसआई भी बुधवार को अदालत के सामने पेश हुआ। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर अंधाधुंध गोलीबारी का प्रत्यक्षदर्शी नटवरलाल रोतवान अदालत के सामने फूट पड़ा। कसाब की ओर इशारा करते हुए रोतवान ने कहा कि वह व्यक्ति जो यहां बैठा है, उसे फांसी पर लटकाया जाना चाहिए। जब जज तहलियानी ने रोतवान से शांत होने के लिए कहा तो उसने कहा, जिसे चोट लगी वही दर्द समझ सकता है। कसाब की ओर देखते हुए उसने कहा, लोगों को क्या दया नहीं आती? क्या उसके कोई मां-बाप नहीं हैं? यह मेरी बच्ची की जिंदगी का सवाल है। जज ने जब देविका से पूछा कि क्या वह शपथ लेने का मतलब समझती है, तो उसने कहा, यह जानती हूं कि मुझे सत्य कहना है। झूठ कहना पाप है। देविका ने अदालत से कहा कि परिवार की पुणे जाने की योजना थी और सभी लोग छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के मुख्य प्रतीक्षालय में बैठे थे, तभी हमला हुआ। कसाब के वकील अब्बास काजमी ने देविका से जिरह नहीं की। जज ने देविका से कुछ सवाल किए। जब देविका को अदालत में लाया गया तो काजमी ने इस बात को आधार बनाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई कि देविका के पिता नटवरलाल को इससे पहले अदालत के सामने हाजिर किया गया। काजमी ने कहा कि यह अदालत को पूर्वाग्रही बनाने का प्रयास है, क्योंकि देविका सक्षम गवाह नहीं है। कसाब के वकील ने तर्क दिया कि देविका का बयान पहले दर्ज नहीं किया गया और न ही अभियोजन ने उसे गवाह के रूप में पेश किया। लेकिन अदालत ने काजमी की दलील को खारिज कर दिया और विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम को देविका से पूछताछ की अनुमति दी।
Thursday, June 11, 2009
आतंकवादियों के साथ कोई नर्मी नहीं होनी चाहिये,
मुंबई हमलों के आरोपी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब की बुधवार को एक 10 साल की लड़की ने अदालत में पहचान की। हमलों में विकलांग हुई लड़की ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर यात्रियों पर अंधाधुंध गोलीबारी करने वाले एक बंदूकधारी के रूप में कसाब की शिनाख्त की। लड़की का पिता अदालत में फूट पड़ा और कसाब को फांसी पर लटकाने की गुहार की। विशेष जज एम. एल. तहलियानी की अदालत में बुधवार को उस समय भावनात्मक दृश्य उपस्थित हो गया, जब इस केस की अब तक की सबसे कम उम्र की गवाह देविका रोतवान पेश हुई। देविका से अदालत ने पूछा कि क्या वह कटघरे में खड़े तीन आरोपियों में से बंदूकधारी की पहचान कर सकती है? कसाब समेत तीनों आरोपी कटघरे में खड़े थे, जिनमें से देविका ने कसाब की ओर उंगली दिखाई, हालांकि कसाब ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 26 नवंबर की रात की घटना का विवरण देते हुए देविका ने बताया कि जबर्दस्त आवाज हुई। मेरे पिता ने कहा कि हमें यहां से चलना चाहिए और हम मुड़कर एक दिशा में जाने लगे, जबकि मेरा भाई दूसरी दिशा में भागने लगा। जब हम भाग रहे थे, तो मैंने दो लोगों को गोली चलाते देखा। मेरे दाएं पैर में भी एक गोली लगी और मेरे पांव में से खून निकलने लगा। देविका सीएसटी रेल टर्मिनस पर हमलों के संबंध में अदालत के सामने प्रस्तुत होने वाले तीन प्रत्यक्षदर्शियों में से एक है। देविका के पिता नटवरलाल और गोलीबारी में घायल होने वाला एक एएसआई भी बुधवार को अदालत के सामने पेश हुआ। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर अंधाधुंध गोलीबारी का प्रत्यक्षदर्शी नटवरलाल रोतवान अदालत के सामने फूट पड़ा। कसाब की ओर इशारा करते हुए रोतवान ने कहा कि वह व्यक्ति जो यहां बैठा है, उसे फांसी पर लटकाया जाना चाहिए। जब जज तहलियानी ने रोतवान से शांत होने के लिए कहा तो उसने कहा, जिसे चोट लगी वही दर्द समझ सकता है। कसाब की ओर देखते हुए उसने कहा, लोगों को क्या दया नहीं आती? क्या उसके कोई मां-बाप नहीं हैं? यह मेरी बच्ची की जिंदगी का सवाल है। जज ने जब देविका से पूछा कि क्या वह शपथ लेने का मतलब समझती है, तो उसने कहा, यह जानती हूं कि मुझे सत्य कहना है। झूठ कहना पाप है। देविका ने अदालत से कहा कि परिवार की पुणे जाने की योजना थी और सभी लोग छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के मुख्य प्रतीक्षालय में बैठे थे, तभी हमला हुआ। कसाब के वकील अब्बास काजमी ने देविका से जिरह नहीं की। जज ने देविका से कुछ सवाल किए। जब देविका को अदालत में लाया गया तो काजमी ने इस बात को आधार बनाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई कि देविका के पिता नटवरलाल को इससे पहले अदालत के सामने हाजिर किया गया। काजमी ने कहा कि यह अदालत को पूर्वाग्रही बनाने का प्रयास है, क्योंकि देविका सक्षम गवाह नहीं है। कसाब के वकील ने तर्क दिया कि देविका का बयान पहले दर्ज नहीं किया गया और न ही अभियोजन ने उसे गवाह के रूप में पेश किया। लेकिन अदालत ने काजमी की दलील को खारिज कर दिया और विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम को देविका से पूछताछ की अनुमति दी।
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