Sunday, June 21, 2009

बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर आगे बढ़ाना चाहते हैं। नक्सली नेता

गरीब और सर्वहारा की बात करने वाले माओवादी जहां अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं वहीं गरीबों के बच्चों को वे जबरन अपनी 'सेना' में शामिल कर रहे हैं। यही नहीं ये बच्चे पढ़-लिख न पाएं इसके लिए वे ग्रामीण इलाकों में बनी स्कूलों की इमारतों को उड़ा रहे हैं। बहाना यह है कि इन स्कूल इमारतों का इस्तेमाल सुरक्षा बल करते हैं। उनका दोहरा चरित्र इसी बात से सामने आता है कि वे झारखंड के मशहूर नेतरहाट स्कूल के प्रबंधन पर अपने बच्चों को पढ़ाने का दबाव डाल रहे हैं। झारखंड के पुलिस महानिदेशक विष्णु दयाल राम के मुताबिक नक्सली नेता झारखंड के गरीब बच्चों और महिलाओं का शोषण कर रहे हैं। उनका विरोध करने वाले लोगों को वह बुरी तरह प्रताड़ित करते हैं। मांडर के एक स्कूली छात्र काली मुंडा का उदाहरण देते हुए वे बताते हैं कि लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण के दौरान नक्सलियों ने काली का अपहरण कर लिया। उस पर नक्सलियों के बाल दस्ते में शामिल होने का दबाव डाला गया। मना करने पर उसे बेरहमी से मारा-पीटा गया और मरा जानकर जंगलों में फेंक दिया। जाते-जाते नक्सली काली की कमर में नशीली सुई भी लगा गए। काली तीन दिन तक जंगल में बेहोश पड़ा रहा। संयोग से जंगल में लकड़ी बीनने गई महिलाओं से उसे देख लिया। उन्होंने उसे अस्पताल पहुंचाया। मुश्किल से डॉक्टरों ने काली की जान बचाई। पुलिस महानिदेशक के मुताबिक एक ओर नक्सली गरीबों के बच्चों को हथियार कमा कर क्रांति का पाठ पढ़ाना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर आगे बढ़ाना चाहते हैं। नक्सली नेता रूपेश का बेटा बेंगलुरु के बड़े इंजीनियरिंग कॉलिज में पढ़ रहा है। कुछ नक्सली नेता देश को सबसे ज्यादा आईएएस और आईपीएस अफसर देने वाले नेतरहाट स्कूल के प्रबंधन पर दबाव डाल रहे हैं कि उनके बच्चों को भी वहां पढ़ाया जाए। यही नहीं कई ग्रामीण युवतियों को जबरन नक्सली बनाया गया। पुलिस प्रमुख के मुताबिक नक्सलियों के चंगुल से छूटी कुछ युवतियों ने पुलिस को जो दास्तान सुनाई है वह रोंगटे खड़े करने वाली है। पिछले 6 महीने में ही नक्सलियों ने झारखंड के ग्रामीण इलाकों में एक दर्जन से ज्यादा स्कूलों भवन उड़ा दिए हैं। इतने ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक भवन और पंचायत भवन उन्होंने ध्वस्त किए हैं। विकास न होने की बात करने वाले नक्सली खुद विकास रोक रहे हैं। झारखंड पुलिस प्रमुख यह भी स्वीकार करते हैं कि नक्सलवाद की आड़ में संगठित अपराधी गिरोह चल रहे हैं। जिनका मूल काम लोगों से लेवी वसूलना और विकास के काम को रोकना है। उनका यह भी कहना है कि राज्य की जनता भी नक्सलियों की असलियत समझ रही है। इसीलिए उसने नक्सलियों के विरोध के बाद भी चुनावों में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। विष्णु दयाल राम के मुताबिक झारखंड प्रशासन चाहता है कि नक्सली मुख्य धारा में शामिल हों और सकारात्मक भूमिका निभाएं। इसके लिए विशेष समर्पण नीति भी बनाई गई है।

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