Tuesday, June 30, 2009

केंद्रीय मंत्री ने फोन कर के उन पर दबाव डालने की कोशिश की।

मद्रास हाई कोर्ट के जज ने खुली अदालत में यह कह कर सनसनी फैला दी कि फर्जी मार्क्सशीट से जुड़े एक मामले में केंद्रीय मंत्री ने फोन कर के उन पर दबाव डालने की कोशिश की। मंत्री चाहते थे कि इस मामले के आरोपी मेडिकल स्टूडंट और उसके डॉक्टर पिता को अग्रिम जमानत दे दी जाए। जस्टिस आर रघुपति ने कहा है कि अगर संबंधित पक्ष के वकील ने मंगलवार तक उनके सामने बिना शर्त माफीनामा पेश नहीं किया तो वह इस बारे में सरकार और प्रधानमंत्री को लिखेंगे। मामला पुडुचेरी के एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के छात्र एस . किरुबा श्रीधर और उसके डॉक्टर पिता सी कृष्णमूर्ति से जुड़ा है। इन दोनों के खिलाफ सीबीआई ने एक दलाल और पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय के एक अधिकारी की मदद से गैरकानूनी ढंग से अंक बढ़वाने का मामला दर्ज किया है। सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस आर रघुपति ने कहा , ' एक केंद्रीय मंत्री ने मुझसे फोन पर संपर्क कर इस मामले में फैसले को प्रभावित करने की कोशिश की। मंत्री ने इस बात के लिए दबाव बनाने की कोशिश की कि याचिका कर्ताओं को अग्रिम जमानत दे दी जाए। '
जस्टिसरघुपति ने केंद्रीय मंत्री का नाम नहीं बताया , लेकिन कहा कि अगर बिना शर्त माफी नहीं मांगी जाती है तो वह इस बातचीत का जिक्र अपने फैसले में करेंगे। इसके बाद उन्होंने यह मामला चीफ जस्टिस एच . एल . गोखले के पास इस अनुरोध के साथ भेज दिया कि इसे किसी दूसरे जज के सुपुर्द कर दिया जाए।

Sunday, June 28, 2009

आतंकवादियों को पल-पल पर दिशा निर्देश मिल रहे थे।

मुंबई आतंकी हमलों के दौरान आतंकवादियों को समाचार चैनलों से नहीं बल्कि लश्कर-ए-तैयबा के स्थानीय नेटवर्क से दिशा निर्देश मिल रहे थे। यह बात बीबीसी की एक विशेष रिपोर्ट में कही गई है। बीबीसी पर सोमवार शाम को प्रसारित होने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने आतंकवादियों की पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं से लगातार होती बातचीत के जो सबूत सौंपे हैं, उनसे भी यह साफ हो जाता है कि आतंकवादियों को पल-पल पर दिशा निर्देश मिल रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक इन दिशा निर्देशों से यह साफ हो जाता है कि लश्कर-ए-तैयबा के मुंबई स्थित नेटवर्क की इसमें अहम भूमिका रही है। स्थानीय सहयोग के बगैर इतनी सटीक जानकारी हासिल करना मुमकिन नहीं था। गौरतलब है कि अब तक भारत सरकार और प्रशासन की तरफ से कहा जाता रहा है कि मुंबई हमला बाहर से आए आतंकियों के एक समूह की कारगुजारी था और स्थानीय संपर्कों की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि संभव है, हमले में स्थानीय मुस्लिमों की भूमिका की बात आना सरकार के लिए सुविधाजनक न हो।

Tuesday, June 23, 2009

यूनीक ट्रांजैक्शन नंबर (यूटीएन) जरूरी तौर पर बताना होगा।

जिन लोगों का इनकम टैक्स सोर्स पर ही कट जाता है (टीडीएस),उन्हें रिटर्न भरने के लिए कुछ इंतजार करना पड़ सकता है। ऐसे लोगों को फॉर्म पर एक नया नंबर जरूरी तौर पर बताना होगा। इसे यूनीक ट्रांजैक्शन नंबर (यूटीएन) का नाम दिया गया है। तमाम वेतनभोगी कर्मचारी टीडीएस को दायरे में आते हैं। बैंक में जमा फिक्स्ड डिपॉजिट पर टीडीएस ही लागू होता है।
यूटीएन क्यों, पैन क्योंनहीं
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रिटर्न फॉर्म में कुछ बदलाव किए हैं, जिनमें यूटीएन के लिए जगह दी गई है। अब लोग पूछ सकते हैं कि पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) के होते हुए यूटीएन क्यों जरूरी है? सूत्रों का कहना है कि पैन में कुछ समस्याएं हैं। जैसे कुछ लोगों के पास एक से ज्यादा पैन हैं।
कौन देगा यह नंबर
यूटीएन देने का काम एनएसडीएल (नैशनल सिक्युरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड) को दिया गया है। इंडिविजुअल कैटिगरी के तहत रिटर्न भरने वाले यह नंबर स्त्रोत पर टैक्स काटने वाले या संग्रह करने वाले से हासिल करेंगे। आप वेतनभोगी हैं तो आपको यह नंबर आपकी कंपनी देगी। एफडी पर लगे टैक्स पर बैंक भी यह नंबर देंगे।
कब मिलेगा यह
नंबर एनएसडीएल कब यूटीएन देगा, यह सवाल पूछे जाने पर टैक्स अधिकारियों ने कहा है कि डिपार्टमेंट ने एनएसडीएल से इस बारे में 30 जून तक जानकारी मांगी है। जानकार बता रहे हैं कि 2008-09 के लिए कंपनियों से फॉर्म-16 और बैंकों से टीडीएस सर्टिफिकेट बिना यूटीएन ही मिले हैं। इस वित्त वर्ष के लिए रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। यूटीएन को लेकर आम लोगों को परेशानी न हो, इसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड एक हफ्ते के अंदर स्थिति स्पष्ट कर सकता है। एक्सर्पट्स का कहना है कि अभी टैक्स रिटर्न भरने में 40 दिन बाकी हैं, सो रिटर्न भरने के लिए इंतजार किया जा सकता है।
बिना नंबर क्या परेशानी
टैक्सपेयर तभी क्लेम पा सकेंगे, जब वे यूटीएन बताएंगे। किसी भी टीडीएस या टीसीएस (स्त्रोत पर टैक्स संग्रह) के क्रेडिट पर क्लेम की इजाजत तभी होगी, जब असेसी हर टीसीएस और टीडीएस क्लेम के लिए सही यूटीएन बताएं। इस यूटीएन को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के डेटाबेस में मौजूद यूटीएन से मैच करना जरूरी है। बहरहाल, एक्सपर्ट इस बारे में स्पष्ट नहीं बता पा रहे हैं कि बिना यूटीएन जमा किया गया रिटर्न वैध होगा या नहीं।
यह अच्छा है या बुरा
प्रमुख लॉ फर्म अमरचंद मंगलदास के पार्टनर असीम चावला यूटीएन का स्वागत करते हुए कहते हैं कि यह ऑनलाइन टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन सिस्टम के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम है। लेकिन दूसरे जानकारों का कहना है कि इससे भारी उलझन पैदा हो गई है। निर्देश बहुत देर से जारी किया गया है और इतने कम समय में सभी को नंबर नहीं दिया जा सकता।

Sunday, June 21, 2009

बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर आगे बढ़ाना चाहते हैं। नक्सली नेता

गरीब और सर्वहारा की बात करने वाले माओवादी जहां अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं वहीं गरीबों के बच्चों को वे जबरन अपनी 'सेना' में शामिल कर रहे हैं। यही नहीं ये बच्चे पढ़-लिख न पाएं इसके लिए वे ग्रामीण इलाकों में बनी स्कूलों की इमारतों को उड़ा रहे हैं। बहाना यह है कि इन स्कूल इमारतों का इस्तेमाल सुरक्षा बल करते हैं। उनका दोहरा चरित्र इसी बात से सामने आता है कि वे झारखंड के मशहूर नेतरहाट स्कूल के प्रबंधन पर अपने बच्चों को पढ़ाने का दबाव डाल रहे हैं। झारखंड के पुलिस महानिदेशक विष्णु दयाल राम के मुताबिक नक्सली नेता झारखंड के गरीब बच्चों और महिलाओं का शोषण कर रहे हैं। उनका विरोध करने वाले लोगों को वह बुरी तरह प्रताड़ित करते हैं। मांडर के एक स्कूली छात्र काली मुंडा का उदाहरण देते हुए वे बताते हैं कि लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण के दौरान नक्सलियों ने काली का अपहरण कर लिया। उस पर नक्सलियों के बाल दस्ते में शामिल होने का दबाव डाला गया। मना करने पर उसे बेरहमी से मारा-पीटा गया और मरा जानकर जंगलों में फेंक दिया। जाते-जाते नक्सली काली की कमर में नशीली सुई भी लगा गए। काली तीन दिन तक जंगल में बेहोश पड़ा रहा। संयोग से जंगल में लकड़ी बीनने गई महिलाओं से उसे देख लिया। उन्होंने उसे अस्पताल पहुंचाया। मुश्किल से डॉक्टरों ने काली की जान बचाई। पुलिस महानिदेशक के मुताबिक एक ओर नक्सली गरीबों के बच्चों को हथियार कमा कर क्रांति का पाठ पढ़ाना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर आगे बढ़ाना चाहते हैं। नक्सली नेता रूपेश का बेटा बेंगलुरु के बड़े इंजीनियरिंग कॉलिज में पढ़ रहा है। कुछ नक्सली नेता देश को सबसे ज्यादा आईएएस और आईपीएस अफसर देने वाले नेतरहाट स्कूल के प्रबंधन पर दबाव डाल रहे हैं कि उनके बच्चों को भी वहां पढ़ाया जाए। यही नहीं कई ग्रामीण युवतियों को जबरन नक्सली बनाया गया। पुलिस प्रमुख के मुताबिक नक्सलियों के चंगुल से छूटी कुछ युवतियों ने पुलिस को जो दास्तान सुनाई है वह रोंगटे खड़े करने वाली है। पिछले 6 महीने में ही नक्सलियों ने झारखंड के ग्रामीण इलाकों में एक दर्जन से ज्यादा स्कूलों भवन उड़ा दिए हैं। इतने ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक भवन और पंचायत भवन उन्होंने ध्वस्त किए हैं। विकास न होने की बात करने वाले नक्सली खुद विकास रोक रहे हैं। झारखंड पुलिस प्रमुख यह भी स्वीकार करते हैं कि नक्सलवाद की आड़ में संगठित अपराधी गिरोह चल रहे हैं। जिनका मूल काम लोगों से लेवी वसूलना और विकास के काम को रोकना है। उनका यह भी कहना है कि राज्य की जनता भी नक्सलियों की असलियत समझ रही है। इसीलिए उसने नक्सलियों के विरोध के बाद भी चुनावों में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। विष्णु दयाल राम के मुताबिक झारखंड प्रशासन चाहता है कि नक्सली मुख्य धारा में शामिल हों और सकारात्मक भूमिका निभाएं। इसके लिए विशेष समर्पण नीति भी बनाई गई है।

Friday, June 19, 2009

बातें छोटी हैं, पर इसी से शहर बेहतर होगा। आदित्य ठाकरे

उनके खानदान में राजनीति के अलावा कुछ नहीं होता। बीए द्वितीय वर्ष में उनका विषय है राजनीति विज्ञान, फिर भी आदित्य ठाकरे का दावा है कि वे राजनेताओं के लाडलों वाला ड्रीम शेयर नहीं करते। बल्कि अपने एनजीओ 'ड्रीम वी शेयर' को वे छात्र आंदोलन से जोड़ने का वादा करते हैं। पर लोग हैं कि उनके इस कदम को हर तरह से विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं को शिवसेना की तरफ खींचने के प्रयासों से ही जोड़कर देख रहे हैं। पहले कविताएं लिखकर और फिर पिता शिवसेना कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ चुनावी सभाओं में जाकर वे पहले ही दर्शा चुके हैं कि लाइमलाइट उन्हें पसंद है। महज 19 साल की उम्र में वे जिस बेबाकी से मीडिया से बात करते दिखे, इससे भी साफ होता है कि वे पूरी तैयारी से मैदान में उतरे हैं। उनसे एनबीटी की खास बातचीत:

दो साल पहले आपकी कविताओं का अलबम आया था। उस समय के 17 साल के आदित्य और आज 19 साल के आदित्य में काफी फर्क दिखता है। कैसे हुआ यह सब?
हां मैं बड़ा हो गया हूं। कॉलिज में (सेंट जेवियर्स) आ गया हूं तो बाल भी बड़े रख लिए हैं, दाढ़ी भी आ गई है।

और आपकी कविताएं? अगला अलबम कब आएगा?
कुछ कविताएं लिखी हैं तो कुछ अधूरी पड़ी हैं। अलबम तो पता नहीं कब आएगा।

अचानक एनजीओ और वो भी शायना एनसी के साथ?
अचानक नहीं। एक दिन मैं अल्टामाउंट रोड से बांद्रा जा रहा था कि ट्रैफिक में बुरी तरह फंस गया। उसी वक्त लगा कि यह दिक्कत तो हर मुम्बईकर झेल रहा है। ऐसी ही और भी समस्याएं हैं। दोस्तों से चर्चा की, तो सबने माना कि शहर में समस्याएं हैं और यहां रहना है, तो हमें ही इसका ख्याल भी रखना होगा। शायना जी से इस बारे में बात हुई, तो उन्होंने भी हां कर दी। और अब हम 'आई लव मुम्बई' के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

क्या कहना चाहते हैं इसके माध्यम से?
मैं कुछ कहना नहीं चाहता। बस युवाओं से आग्रह करूंगा कि अपने बिजी शेड्यूल से थोड़ा वक्त निकालकर शहर के लिए कुछ करें। ग्लोबल वार्मिंग और शंघाई जैसी बड़ी बातें करने के बजाय खुद पेड़ लगाएं, शहर को साफ रखें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें। बातें छोटी हैं, पर इसी से शहर बेहतर होगा।

आपके टीचर्स का क्या कहना है?
वे सब सपोर्टिव हैं। उनके गाइडंस से ही हमने कॉलिज स्टूडंट्स के बीच जाकर सेमिनार किए और इस मुहिम से जोड़ना शुरू किया।

और राजनीति? एनजीओ को आप राजनीति की नर्सरी की तरह तो इस्तेमाल नहीं करेंगे?
प्लीज इसमें राजनीति को मत देखिए। मुझे राजनीति में आना होगा, तो सीधे आऊंगा। मुझे छिपकर या बाईपास से आने की क्या जरूरत है!

तो राजनीति में कब आएंगे?
पता नहीं। माता-पिता कहते हैं कि यह क्षेत्र संघर्ष का है, अगर आना है तो सोच-समझकर आना। अभी तो 19 साल का हूं। शहर के लिए कुछ करना चाहता हूं। आगे क्या करूंगा अभी सोचा नहीं है।

और पढ़ाई?
हां वह तो चल ही रही है।

आपके विषय क्या हैं?
पॉलिटिकल साइंस, इंग्लिश और इतिहास।

पंजाब नैशनल बैंक के एक लॉकर से करीब 9 लाख रुपये के जेवर गायब

यहां सेक्टर-22 स्थित पंजाब नैशनल बैंक के एक लॉकर से करीब 9 लाख रुपये के जेवर गायब हो गए। लॉकर हरविंद्र सिंह और उसकी पत्नी वनीता के नाम है। हरविंद्र सिंह की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। हरविंद्र सिंह ने बताया कि मेरा और पत्नी के नाम पर संयुक्त लॉकर इस बैंक में है। हमने अपनी जूलरी इस लॉकर में रखी हुई थी। पिछली बार मैं 16 मई 2009 को बैंक में आया था और लॉकर ऑपरेट किया था। उस दिन मैं दो कंगन रखकर गया था। लॉकर में करीब 30 तोले के सोने के जेवर रखे हुए थे। हरविंद्र टयूटर हैं।
हरविंद्र सिंह ने बताया कि मैं गुरुवार को अपनी पत्नी के गहने लेने आया तो लॉकर से सारा जेवर गायब मिला। जिस बैग में जेवर रखे हुए थे, वह बैग लॉकर में ही रखा मिला। बैंक के चीफ मैनेजर सुभाष गुप्ता ने बताया कि 16 मई को हरविंद्र सिंह के साथ बैंक के डिप्टी मैनेजर डॉ. विमल कुमार जिंदल गए थे। चूंकि एक चाबी बैंक अधिकारियों और दूसरी चाबी लॉकर होल्डर के पास रहती है और दोनों ही चाबियों के प्रयोग करने पर ही लॉकर खुलता है, जबकि बंद एक ही चाबी से हो जाता है। अगर लॉकर सही तरीके से बंद न हो तो चाबी बाहर नहीं निकलती। चंडीगढ़ के एएसपी मधुर वर्मा ने कहा कि अभी मामला दर्ज नहीं किया है, अलबत्ता, जांच शुरू कर दी है। बैंक के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी जा रही है। सीएफएसएल टीम को भी बुलाया गया है।

Tuesday, June 16, 2009

बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के मामले में राष्ट्रीय राजधानी एक लिस्ट में टॉप पर

बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के मामले में राष्ट्रीय राजधानी एक लिस्ट में टॉप पर है। इसने मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों को काफी पीछे छोड़ दिया है। पुलिस के आंकड़ों के हवाले से एक एनजीओ ने बताया है कि दिल्ली में बुजुर्गों के खिलाफ होने वाले अपराध मुंबई के मुकाबले चार गुना ज्यादा हैं, जबकि बेंगलुरु के मुकाबले दो गुना ज्यादा। हेल्पेज इंडिया की एक स्टडी में यह बात सामने आई है। यह एनजीओ बुजुर्गों के कल्याण के लिए काम करता है। बताया गया है कि दिल्ली में 10 लाख बुजुर्ग हैं। पिछले साल दिल्ली में बुजुर्गों के खिलाफ जितने भी अपराध हुए, उनमें उन्हें चोट पहुंचाने की सबसे ज्यादा घटनाएं (42.2 पर्सेंट) हुईं। इसके बाद हत्या (35.5 पर्सेंट) और डकैती (13.3 पर्सेंट) के मामले आते हैं। एक और खास बात यह है कि बुजुर्गों के लिए मुसीबत खुद अपने बच्चे और रिश्तेदार पैदा करते हैं। लेकिन परिवार की लाज बचाने और निर्भरता के कारण वे जुबान नहीं खोलते। 52 पर्सेंट बुजुर्गों को प्रॉपर्टी के लिए उनके बच्चे या रिश्तेदार प्रताड़ित करते हैं। बुजुर्गों के खिलाफ अपराध करने वालों में 50 पर्सेंट बेटे और बहू हैं। इसके बाद पड़ोसियों का नंबर आता है। फिर दूसरे लोग बुजुर्गों को अपना शिकार बनाते हैं। प्रॉपर्टी के लिए बुजुर्गों को प्रताड़ित किए जाने के सबसे ज्यादा मामले साउथ दिल्ली में दर्ज किए गए हैं। यह इलाका पॉश कॉलोनियों का है। सेंट्रल दिल्ली में ऐसे मामलों का हिस्सा 20.8 पर्सेंट है। बुजुर्गों की प्रताड़ना शारीरिक, मानसिक या आर्थिक किसी भी प्रकार की हो सकती है।

Monday, June 15, 2009

संसद का बजट सत्र दो जुलाई से शुरू होगा

संसद का बजट सत्र दो जुलाई से शुरू होगा और 2009-10 का आम बजट लोकसभा में छह जुलाई को पेश होगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बजट सत्र के कार्यक्रम के बारे में निर्णय किया गया। रेल मंत्री ममता बनर्जी तीन जुलाई को रेल बजट पेश करेंगी। दो जुलाई को शुरू होने वाला सत्र सात अगस्त को खत्म होगा। पहले ही दिन आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि बजट 31 जुलाई से पहले पास हो जाएगा ताकि फिर से लेखानुदान की जरूरत नहीं पड़े। आर्थिक सर्वेक्षण, रेल बजट और केंद्रीय बजट पेश किए जाने के बाद चुनींदा मंत्रालयों की अनुदान की मांगों पर चर्चा होगी।

Thursday, June 11, 2009

आतंकवादियों के साथ कोई नर्मी नहीं होनी चाहिये,


मुंबई हमलों के आरोपी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब की बुधवार को एक 10 साल की लड़की ने अदालत में पहचान की। हमलों में विकलांग हुई लड़की ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर यात्रियों पर अंधाधुंध गोलीबारी करने वाले एक बंदूकधारी के रूप में कसाब की शिनाख्त की। लड़की का पिता अदालत में फूट पड़ा और कसाब को फांसी पर लटकाने की गुहार की। विशेष जज एम. एल. तहलियानी की अदालत में बुधवार को उस समय भावनात्मक दृश्य उपस्थित हो गया, जब इस केस की अब तक की सबसे कम उम्र की गवाह देविका रोतवान पेश हुई। देविका से अदालत ने पूछा कि क्या वह कटघरे में खड़े तीन आरोपियों में से बंदूकधारी की पहचान कर सकती है? कसाब समेत तीनों आरोपी कटघरे में खड़े थे, जिनमें से देविका ने कसाब की ओर उंगली दिखाई, हालांकि कसाब ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 26 नवंबर की रात की घटना का विवरण देते हुए देविका ने बताया कि जबर्दस्त आवाज हुई। मेरे पिता ने कहा कि हमें यहां से चलना चाहिए और हम मुड़कर एक दिशा में जाने लगे, जबकि मेरा भाई दूसरी दिशा में भागने लगा। जब हम भाग रहे थे, तो मैंने दो लोगों को गोली चलाते देखा। मेरे दाएं पैर में भी एक गोली लगी और मेरे पांव में से खून निकलने लगा। देविका सीएसटी रेल टर्मिनस पर हमलों के संबंध में अदालत के सामने प्रस्तुत होने वाले तीन प्रत्यक्षदर्शियों में से एक है। देविका के पिता नटवरलाल और गोलीबारी में घायल होने वाला एक एएसआई भी बुधवार को अदालत के सामने पेश हुआ। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर अंधाधुंध गोलीबारी का प्रत्यक्षदर्शी नटवरलाल रोतवान अदालत के सामने फूट पड़ा। कसाब की ओर इशारा करते हुए रोतवान ने कहा कि वह व्यक्ति जो यहां बैठा है, उसे फांसी पर लटकाया जाना चाहिए। जब जज तहलियानी ने रोतवान से शांत होने के लिए कहा तो उसने कहा, जिसे चोट लगी वही दर्द समझ सकता है। कसाब की ओर देखते हुए उसने कहा, लोगों को क्या दया नहीं आती? क्या उसके कोई मां-बाप नहीं हैं? यह मेरी बच्ची की जिंदगी का सवाल है। जज ने जब देविका से पूछा कि क्या वह शपथ लेने का मतलब समझती है, तो उसने कहा, यह जानती हूं कि मुझे सत्य कहना है। झूठ कहना पाप है। देविका ने अदालत से कहा कि परिवार की पुणे जाने की योजना थी और सभी लोग छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के मुख्य प्रतीक्षालय में बैठे थे, तभी हमला हुआ। कसाब के वकील अब्बास काजमी ने देविका से जिरह नहीं की। जज ने देविका से कुछ सवाल किए। जब देविका को अदालत में लाया गया तो काजमी ने इस बात को आधार बनाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई कि देविका के पिता नटवरलाल को इससे पहले अदालत के सामने हाजिर किया गया। काजमी ने कहा कि यह अदालत को पूर्वाग्रही बनाने का प्रयास है, क्योंकि देविका सक्षम गवाह नहीं है। कसाब के वकील ने तर्क दिया कि देविका का बयान पहले दर्ज नहीं किया गया और न ही अभियोजन ने उसे गवाह के रूप में पेश किया। लेकिन अदालत ने काजमी की दलील को खारिज कर दिया और विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम को देविका से पूछताछ की अनुमति दी।

Sunday, June 7, 2009

महिला रामेश्वरम मंदिर की सबसे रहस्यमयी दाता

स्विट्जरलैंड की एक महिला रामेश्वरम मंदिर की सबसे रहस्यमयी दाता हैं। एलिजाबेथ जीगलर नाम की यह महिला पिछले तीन साल से रामनाथस्वामी मंदिर को हर साल करीब चार लाख रुपये दान दे रही हैं। हाल में तो उन्होंने मंदिर को 2.08 करोड़ रुपये भेजे हैं। लेकिन मंदिर के अधिकारियों ने उन्हें कभी नहीं देखा। मंदिर के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की चेयरपर्सन भानुमति नचियार के मुताबिक, ऐसा लगता है कि एलिजाबेथ अक्सर मंदिर आती रहीं हैं और यहां के देवता रामनाथस्वामी व देवी पर्वतवर्धिनी की पूजा करती रही हैं। लेकिन मैंने उन्हें कभी नहीं देखा। 2006 में जब भानुमति ने चेयरपर्सन का पद संभाला तो उन्हें फाइलों में एलिजाबेथ का 12 अक्टूबर 2004 का लिखा पत्र मिला। इसमें एलिजाबेथ ने मंदिर को दान देने की इच्छा व्यक्त की थी। भानुमति ने फैक्स से एलिजाबेथ के खत का जवाब भेजा और उन्हें दान की रकम भेजने के लिए बैंक अकाउंट का ब्यौरा दिया। एलिजाबेथ ने पूरी तत्परता के साथ तुरंत चार लाख रुपये भेजे। तब से वह हर साल रुपये भेज रही हैं। भानुमति के मुताबिक, हमारी यह अदृश्य दाता हर साल चार से पांच लाख रुपये भेज रही हैं। सबको यह जरूर मालूम है कि एलिजाबेथ जिनीवा में वकील हैं। कुछ महीने पहले एलिजाबेथ ने फैक्स भेजकर कहा कि मैं मोटी रकम दान करना चाहती हूं। जवाब मिलते ही 19 फरवरी को उन्होंने 2.08 करोड़ रुपये भेजे। किसी को इतनी बड़ी रकम आने की उम्मीद नहीं थी। एलिजाबेथ ने रकम खर्च किए जाने के बारे में कुछ निदेर्श भी भेजे। उन्होंने कहा कि दैनिक पूजा के साथ-साथ ये रुपये महाशिवरात्रि और रुद्र पूजा (दोनों पर्व साल में एक बार) के अलावा 11 दिसंबर को कम से कम 101 गरीब लोगों को भोजन कराने पर खर्च किए जाने चाहिए। हालांकि यह नहीं बताया कि 11 दिसंबर की तारीख का उनके जीवन में क्या महत्व है।

Wednesday, June 3, 2009

दिल्ली सरकार की नजर एलपीजी पर दी जा रही 40 रुपए प्रति सिलेंडर की सब्सिडी खत्म करने पर है।

दिल्ली में सीएनजी की कीमतों में 2.10 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि अब जहां सिर्फ वक्त की बात रह गई है, वहीं रसोई गैस की कीमतें बढ़ने की सुगबुगाहट भी साफ दिखने लगी है। आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रही दिल्ली सरकार की नजर एलपीजी पर दी जा रही 40 रुपए प्रति सिलेंडर की सब्सिडी खत्म करने पर है। सरकार ने अभी तक इस बारे में खुलकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन तथ्य यही है कि एलपीजी सब्सिडी से दिल्ली सरकार पर 165 करोड़ रुपए सालाना का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। सब्सिडी के कारण दिल्ली में गैस सिलेंडर कीमत 280 रुपए है जबकि बाकी राज्यों में यह 320 रुपए के आसपास है। ऐसे में 22 जून को पेश होने वाले बजट से पहले एलपीजी की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है।
दिल्ली सरकार का सबसे अधिक जोर राष्ट्रमंडल परियोजनाओं और आधारभूत ढांचे के विकास पर है। दिल्ली सरकार इस समय जो प्रमुख सब्सिडी दे रही है, वह एलपीजी और बिजली क्षेत्र में है। पिछले वित्त वर्ष में दिल्ली सरकार का कर संग्रह लक्ष्य से 1,300 करोड़ रुपए कम रहा था। विचार-विमर्श की प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, 'वरिष्ठ अधिकारी इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं कि एलपीजी में सब्सिडी किस हद तक खत्म की जा सकती है। दरअसल, यह सब्सिडी पिछले साल जून में तब दी गई थी जब केंद्र सरकार ने एलपीजी सिलेंडर की कीमत 50 रुपए बढ़ाई थी। दिल्ली में रसोई को इस झटके से बचाने के लिए सरकार ने अपनी तरफ से सेल्स टैक्स में छूट के जरिए 40 रुपए की सब्सिडी दी थी। इस तरह दिल्ली वालों को गैस सिलेंडर पर सिर्फ 10 रुपए ज्यादा देने पड़े थे। अब जबकि दिल्ली सरकार के राजस्व पर दबाव पड़ रहा है तो इस सब्सिडी को खत्म करना एक विकल्प हो सकता है।' दिल्ली सरकार ने सब्सिडी देने का फैसला ऐसे वक्त पर किया था जब कुछ महीने बाद ही पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव होने थे। अब दिल्ली में 2012 से पहले कोई बड़ा चुनाव नहीं है। एमसीडी के चुनाव 2012 में होंगे। ऐसे में सरकार पर लोकलुभावन फैसले लेने का बहुत दबाव नहीं है। अगर दिल्ली सरकार की माली हालत पर नजर डालें तो दिल्ली सरकार की ओर से 25 फरवरी को पेश अंतरिम बजट में कर संग्रह लक्ष्य से 1,300 करोड़ रुपए कम रहने की बात कही गई थी। इसके अलावा 2008-09 के बजट में दिल्ली सरकार ने कुछ सामान पर वैट में छूट दी थी और राज्य में किसी भी तरह का कर नहीं बढ़ाया था। सरकार की तरफ से सख्त कदम उठाने की आशंका इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन होना है। अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया था कि सरकार के पास इतना ही पैसा है कि खेल आयोजन के लिए पहले से मंजूर योजनाओं को अमल में लाया जा सके। राष्ट्रमंडल की नई योजनाओं को अमल में लाने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है। ऐसे में सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठा सकती है। अंतरिम बजट पर नजर डालें तो रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों की मंदी के कारण कर संग्रह कम रहा। सरकार ने वित्त वर्ष 2008-09 में 13,840 करोड़ रुपए के कर संग्रह का लक्ष्य रखा था, लेकिन मंदी के कारण वित्त वर्ष 2008-09 में सिर्फ 12,535 करोड़ रुपए कर राजस्व के रूप में मिल पाया। इस तरह मंदी ने कर संग्रह में 1,317 करोड़ रुपए की सेंध लगाई है। सरकार के लिए तसल्ली की बात यही है कि कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष के 11,966.50 करोड़ रुपए से 4.65 फीसदी अधिक रहने का अनुमान है।

भारतीय नौकरशाह सबसे निचले पायदान पर

एशिया की 12 बड़ी आर्थिक शक्तियों में सिंगापुर के प्रशासनिक अधिकारी एक सर्वे में सबसे ज्यादा योग्य पाए गए हैं। बिजनेस सर्वे में भारतीय नौकरशाहों को सबसे निचले पायदान पर रखा गया है और कहा गया है कि उनके साथ काम करने का अनुभव काफी सुस्त और कष्ट देने वाला है। यह भी कहा गया है कि एशियाई देशों के नौकरशाह विपरीत परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। हॉन्गकॉन्ग की पॉलिटिकल और इकनॉमिक रिस्क कंसल्टेंसी (पीईआरसी)की ओर से किए गए इस सर्वे में सिंगापुर को लगातार तीसरी बार पहले पायदान पर रखा गया है। हॉन्गकॉन्ग को दूसरे, थाइलैंड को तीसरे, साउथ कोरिया को चौथे, जापान को पांचवे, मलयेशिया को छठे, ताइवान को सातवें, वियतनाम को आठवें, चीन को नौवें, फिलीपीन को दसवें, इंडोनेशिया को 11वें और भारत को 12वें नंबर पर रखा गया है। यह सर्वे पिछली बार साल 2007 में किया गया था।
रिपोर्ट में कहा है कि सामान्य दिनों में (जब सिस्टम पर कोई खास दबाव नहीं होता)इन एशियाई देशों के नौकरशाह काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं, पर बुरे हालात में इन नौकरशाहों का प्रदर्शन ऐसा होता है कि उस वक्त उनके कामकाज में न तो पारदर्शिता दिखती है और न ही जिम्मेदारी का बोध। थाइलैंड के बारे में इस सर्वे में खास तौर पर कहा गया है कि इस देश में राजनीतिक उथल-पुथल और विरोधों के बीच वहां के सिविल सर्वेंट्स ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'शायद देश में जारी दिक्कतों की वजह से ही प्रशासनिक अधिकारियों ने जिम्मेदारीपूर्वक अपनी ड्यूटी निभाई है।' यही वजह है कि सर्वे में थाइलैंड को तीसरे पायदान पर रखा गया है।

Tuesday, June 2, 2009

करीब 200 से अधिक वस्तुओं के दाम में इजाफा हुआ

यूपी में सोमवार से बढ़ी हुई टैक्स दरें लागू कर दी गई हैं। इससे कई वस्तुएं आधा प्रतिशत से एक प्रतिशत तक महंगी हो गई हैं। मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा। करीब 200 से अधिक वस्तुओं के दाम में इजाफा हुआ है। यूपी में नई कर प्रणाली वैल्यू ऐडेड टैक्स (वैट) जनवरी 2008 को लागू की गई थी। इस के तहत टैक्स के तीन स्लैब चार प्रतिशत, आठ प्रतिशत और 12.5 प्रतिशत बनाए गए थे। सरकार ने वैट में संसोधन कर टैक्स रेट (वैट) में इजाफा कर दिया है। पहले जिन आइटमों पर चार प्रतिशत टैक्स था, उनको बढ़ाकर साढ़े चार प्रतिशत कर दिया गया है। जिन आइटमों पर टैक्स 12.5 प्रतिशत था, उसे 13.5 प्रतिशत कर दिया गया है। नए टैक्स रेट सोमवार से लागू हो गए हैं। दुकानदार पब्लिक से नए टैक्स रेट की दर से माल की कीमत वसूलने लगे हैं। कमर्शल टैक्स डिपार्टमंट के अडिशनल कमिश्नर राजेश्वर शुक्ला के मुताबिक यूपी सरकार के प्रमुख सचिव देश दीपक वर्मा की ओर से जारी सर्कुलर में शेड्यूल सेकंड में शामिल वस्तुओं पर टैक्स .5 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। इस कैटिगरी में 140 वस्तुओं को रखा गया है। शेड्यूल 5 में शामिल वस्तुओं पर टैक्स एक प्रतिशत बढ़ा है। कमर्शल टैक्स डिपार्टमंट के अफसरों का कहना है कि राजस्व बढ़ाने के लिए टैक्स रेट में इजाफा किया गया है। सूत्रों के मुताबिक शेड्यूल सेकंड में शामिल 140 चीजों में प्रमुख रूप से एसिड, टेलिफोन उपकरण, पीबीएक्स और ईपीएबीएक्स, मार्बल गुड्स, ऑडियो विडियो कसेट, साइकल, ट्राइसाइकल, रिक्शा और टायर, ट्यूब, तारकोल, मोमबत्ती, ड्रग्स, दवाइयां, वैक्सीन, सिरिंज, कंप्यूटर स्टेशनरी बगैरह शामिल हैं। शैड्यूल पांच में शामिल आइटमों में सीमेंट, मोटर वाहन, टाइल्स, टीवी, रेस्तरां और होटलों के अलावा कैंटीनों में इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थ, पेंट मशीनें, कॉस्मेटिक वगैरह शामिल हैं। इन पर टैक्स एक प्रतिशत बढ़ाया गया है।