केंद्रीय सूचना आयोग ने विदेश मंत्रालय से 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी की कैबिनेट में मौजूद कथित जासूसों के नाम बताने को कहा है। आयोग ने अनुज धर नाम के व्यक्ति ने आरटीआई ऐप्लिकेशन पर यह निर्देश दिया। अनुज ने युद्ध के दौरान अमेरिकी खुफिया एजंसी सीआईए के एक एजंट द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी 'लीक' करने के बाबत जानकारी मांगी थी। 1971 में खबरें आई थीं कि एक सीनियर मंत्री ने कैबिनेट मीटिंग से जुड़ी अहम जानकारी सीआईए को लीक कर दी थीं। इसके बाद हंगामा मच गया था। अनुज ने अपनी किताब में इस मामले की विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने उन लोगों के नाम और अन्य जानकारियां मांगी हैं, जो सीआईए के संपर्क में थे और जिन्होंने कांग्रेस वर्किन्ग कमिटी की कार्यवाही से जुड़ी जानकारियां लीक की थीं। विदेश मंत्रालय पहले इस संदर्भ में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर चुका है। मंत्रालय का कहना था कि यह मांग विदेशी सरकारों, अखबारों और किताबों की रिपोर्ट्स पर आधारित है। चूंकि ये रिपोर्ट्स विश्वसनीय नहीं होतीं इसलिए भारत सरकार उन पर ध्यान नहीं देती। मंत्रालय का यह भी कहना था कि प्रशासन 20 साल से ज्यादा पुरानी घटनाओं से जुड़ी जानकारी और तथ्य देने के लिए बाध्य नहीं है। अब इन्फर्मेशन कमिश्नर अन्नपूर्णा दीक्षित ने कहा है कि आयोग केंद्रीय जन सूचना अधिकारी को पॉइंट वाइज सूचनाएं देने का निर्देश देता है। विदेश मंत्रालय साफ-साफ बताए कि उसके पास यह जानकारी है या नहीं। अगर है तो वे अपीलकर्ता को ये जानकारियां उपलब्ध कराएं।
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