देश के सबसे छोटे केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप में ऊंचे राजनीतिक संपर्कों
वाली एक महिला ऑफिसर की हरकतों के चलते अपनी तरह का एक अलग घोटाला सामने आया है।
हाल यह है कि इसका भंडाफोड़ करने के बाद इसकी खासियत से सरकारी हेलीकॉप्टर ऑपरेटर
पवन हंस के चीफ विजिलेंस ऑफिसर प्रभात कुमार इतने प्रभावित हुए कि वह अपने संगठन
के जर्नल हंसध्वनि में इसके बारे में तफसील से लिखने से खुद को रोक न सके।
पवन हंस में हुए इस घोटाले के बारे में जो कुछ कुमार ने लिखा है, उसमें उन्होंने सवालों में
घिरी महिला का नाम नहीं दिया है। पवन हंस के अधिकारियों ने ईटी को बताया कि महिला
का नाम लेना उचित नहीं होगा क्योंकि मामले की जांच चल रही है और हो सकता है कि
इसमें क्रिमिनल चार्जेज फाइल किए जाएं।
साल 2008 से 2013 तक यह स्कैम चला। विजिलेंस के अधिकारियों ने मई 2014 में इसका भंडाफोड़ किया। महिला पवन हंस के लक्षद्वीप स्टेशन में बेस असिस्टेंट
थी। जांच करने वाले अधिकारियों ने बताया कि महिला के पास इस पद की जरूरी योग्यता
नहीं थी, फिर भी उसे तैनात किया गया। उसे उसके पद के दायरे से कहीं ज्यादा फाइनैंशल
पावर्स भी दी गईं।
लक्षद्वीप से ऑपरेट करने के लिए पवन हंस एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को लैंडिंग और पार्किंग फीस देती है। महिला का काम था एएआई को पेमेंट के लिए चेक तैयार करना। अधिकारियों ने पाया कि महिला चेक बनाते समय जानबूझकर गलतियां कर देती थी। करेक्शंस को अप्रूव करने के लिए फिर सीनियर ऑथराइज्ड ऑफिसर्स के दस्तखत की जरूरत होती थी। इसी मोड़ पर स्कैम हुआ।
कुमार ने बताया, 'वह महिला बेस मैनेजरों के पास दस्तखत लेने तब जाती थी, जब वे बिजी हों। वह बताया करती थी कि पेयी नेम में बदलाव करना है और इस पर वह संबंधित अधिकारी से दस्तखत भी ले लेती थी। बाद में महिला वह नाम काट देती थी, जिसे असल में भुगतान होना था और उसकी जगह सेल्फ लिखकर पैसे निकाल लेती थी।'
पवन हंस के अधिकारियों ने कहा कि इस घोटाले में महिला के अलावा दूसरे लोग भी हो सकते हैं। एक जनरल मैनेजर को सस्पेंड किया भी जा चुका है। बैंक और एएआई के कुछ अधिकारियों पर भी शक है।
लक्षद्वीप से ऑपरेट करने के लिए पवन हंस एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को लैंडिंग और पार्किंग फीस देती है। महिला का काम था एएआई को पेमेंट के लिए चेक तैयार करना। अधिकारियों ने पाया कि महिला चेक बनाते समय जानबूझकर गलतियां कर देती थी। करेक्शंस को अप्रूव करने के लिए फिर सीनियर ऑथराइज्ड ऑफिसर्स के दस्तखत की जरूरत होती थी। इसी मोड़ पर स्कैम हुआ।
कुमार ने बताया, 'वह महिला बेस मैनेजरों के पास दस्तखत लेने तब जाती थी, जब वे बिजी हों। वह बताया करती थी कि पेयी नेम में बदलाव करना है और इस पर वह संबंधित अधिकारी से दस्तखत भी ले लेती थी। बाद में महिला वह नाम काट देती थी, जिसे असल में भुगतान होना था और उसकी जगह सेल्फ लिखकर पैसे निकाल लेती थी।'
पवन हंस के अधिकारियों ने कहा कि इस घोटाले में महिला के अलावा दूसरे लोग भी हो सकते हैं। एक जनरल मैनेजर को सस्पेंड किया भी जा चुका है। बैंक और एएआई के कुछ अधिकारियों पर भी शक है।
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