Friday, March 13, 2015

एंप्लॉयीज प्रविडेंट फंड (ईपीएफ) से संबंधित कानून में भारी बदलाव

एंप्लॉयीज को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए सरकार एंप्लॉयीज प्रविडेंट फंड (ईपीएफ) से संबंधित कानून में भारी बदलाव करने पर गौर कर रही है। एंप्लॉयीज की ओर से 12% अनिवार्य कॉन्ट्रिब्यूशन को समाप्त करने का सुझाव दिया गया है, लेकिन पीएफ पर होने वाले कंपनी के खर्च को सरकार बरकरार रखने के पक्ष में है।
इसके साथ ही विधि मंत्रालय ईपीएफ के दायरे को सिर्फ बेसिक सैलरी से हटाकर इसमें हर तरह के भत्ते (सैलरी पैकेज) को भी शामिल करना चाह रहा है। सभी तरह के भत्तों में एंप्लॉयीज को अधिकृत छुट्टी, हड़ताल और छंटनी के लिए भुगतान की जाने वाली राशि भी शामिल होगी। इसके अलावा उन अन्य भत्तों को भी शामिल किया जाएगा, जो कंपनी एंप्लॉयीज को दो महीने से कम के अंतराल पर भुगतान करती है। अभी जिस बदलाव की बात हो रही है इसका प्रस्ताव करीब दो साल पहले ही आया था, लेकिन उस समय इंडस्ट्री चेंबर्स ने कंपनियों पर भारी सैलरी बोझ का हवाला देते हुए इसका विरोध किया था, जिसके बाद इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया था।

केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को फिर से लाने का प्रयास कर रही है। भले ही इसके चलते एंप्लॉयीज की जेब में हर महीने सैलरी के रूप में कम रकम आएगी लेकिन प्रविडेंट फंड में इससे ज्यादा रकम ट्रांसफर होगी। एंप्लॉयीज घर ज्यादा सैलरी ले जा सके इसके लिए कुछ इंडस्ट्री सेगमेंट या कंपनियों में एंप्लॉयीज को कम कॉन्ट्रिब्यूशन करने का प्रावधान बनाया जाएगा। इस संबंध में सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की जाएगी।
इस कानून के ड्राप्ट में ईपीएफ कवरेज के दायरे में उन कंपनियों को भी लाने का प्रस्ताव है जहां 20 से कम एंप्लॉयीज काम कर रहे हैं। इस प्रस्ताव पर भी अतीत में चर्चा हुई थी। इसके अलावा अपीलीय ट्राइब्यूनल को मजबूत करने, धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों के मामले में रिकवरी को बढ़ाने और जुर्माने की राशि को बढ़ाने का भी प्रावधान है।
विधेयक के ड्राफ्ट को ट्रेड यूनियनों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिनको यह भय है कि इस विधेयक को पारित हो जाने के बाद उनका प्रभाव कम जाएगा। इस प्रस्ताव से परिचित सूत्र ने बताया कि सरकार ने सुझाव दिया है कि ईपीएफ ऑर्गनाइजेशन के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की संरचना में बदलाव होगा। इसमें कंपनियों और कर्मचारियों के पांच-पांच प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। इसमें बोर्ड मेंबर्स के कार्यकाल को भी दो लगातार कार्यकाल तक प्रतबिंधित करने का प्रस्ताव है। इस बिल के भय से ट्रेड यूनियन्स श्रम और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करने की मांग कर रहे हैं।

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