वर्ल्ड कप को एक बार फिर हाथ में लेने से दो जीत दूर खड़ी भारतीय क्रिकेट टीम
के सामने कल सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के रूप में अब तक की सबसे कठिन चुनौती
होगी। टीम इंडिया को खेल के हर क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।
छह सप्ताह पहले ही दोनों टीमें टेस्ट और त्रिकोणीय वनडे सीरीज में एक-दूसरे से खेल
चुकी है, जिसमें माइकल क्लार्क की टीम का पलड़ा भारी रहा था। क्रिकेट
के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच एशेज सीरीज और भारत-पाकिस्तान
मुकाबलों के अलावा पिछले कुछ साल में भारत और आस्ट्रेलिया के मैच भी कम रोमांचक
नहीं हुए हैं।
पिछली बार धोनी के शेरों ने अपनी सरजमीं पर मोटेरा
(अहमदाबाद) में 2011 वर्ल्ड कप के क्वॉर्टर फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया को 14 बॉलों के रहते 5 विकेट से हरा कर उनका बिस्तर गोल किया था। इस बार कंगारुओं से हमारी भिड़ंत
उन्हीं के घरेलू मैदान सिडनी में में होने जा रही है। सिडनी में भारतीय फैन्स की
दीवानगी का आलम यह है कि संख्या के मामले में वे स्थानीय दर्शकों को पीछे छोड़
सकते हैं। यह बात ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क को परेशान कर रही है। आयोजकों
का मानना है कि 42 हजार की क्षमता वाले सिडनी क्रिकेट ग्राउंड की अब तक बिकीं
टिकटों में से 70 फीसदी टिकटें भारतीय फैन्स ने खरीदी हैं।
यह मुकाबला डेविड वॉर्नर की बैटिंग और मोहम्मद शमी की गेंदबाजी का भी होगा, मिशेल स्टार्क की कहर बरपाती गेंदों और रनों के रूप में शरारे उगलते विराट कोहली के बल्ले का भी होगा और अश्विन की कैरम गेंदबाजी और ग्लेन मैक्सवेल की आक्रामक बल्लेबाजी का भी होगा। सभी की नजरें कोहली पर होंगी, जो पहले मैच में पाकिस्तान के खिलाफ सेंचुरी बनाने के बाद से एक फिफ्टी भी नहीं मार सके हैं। कोहली हालांकि दबाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में माहिर हैं और उनके पास यह सबसे बड़ा मौका है। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर दोनों टीमें गुरुवार को एक-दूसरे के आमने सामने होंगी तो यह मुकाबला कमोबेश बराबरी का होगा, जिसमें पिछले प्रदर्शन मायने नहीं रखेंगे। मौजूदा फॉर्म के आधार पर देखें तो भारत ने टूर्नामेंट में लगातार सात जीत दर्ज की है लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों फॉर्मैट में वह पिछले सात मैचों में जीत दर्ज नहीं कर सका है, जिसमें वर्ल्ड कप का एक अभ्यास मैच शामिल है।
ऑस्ट्रेलिया दौरे के उस शर्मनाक प्रदर्शन का गम भारत ने वर्ल्ड कप में शानदार खेल दिखाकर दूर कर दिया। वर्ल्ड कप से पहले दिशाहीन लग रही टीम इंडिया का अचानक मानो कायाकल्प हो गया और उसके प्रदर्शन ने विरोधियों को भी चकित कर डाला। आम तौर पर भारत की कमजोर कड़ी मानी जाने वाली गेंदबाजी उसकी ताकत साबित हुई है। मोहम्मद शमी (17 विकेट), उमेश यादव (14) और मोहित शर्मा (11) मिलकर 70 में से 42 विकेट ले चुके हैं। भारतीय बोलरों ने सात मैचों में पूरे 70 विकेट चटकाए हैं।
ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती सिडनी की पिच होगी, जो उसे रास नहीं आती। इस धीमी पिच पर साउथ अफ्रीकी ने क्वॉर्टर फाइनल में श्रीलंका को हराया था, जिसमें इमरान ताहिर ने चार और जेपी डुमिनी ने तीन विकेट लिए थे। सिडनी की पिच को भारतीय स्पिनरों के लिए मददगार समझा जा रहा है। ऐसे में भारत के अश्विन और रविंद्र जडेजा उन पर भारी पड़ सकते हैं। अश्विन 12 विकेट ले चुके हैं और अपनी गेंदों से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया को टीम में एक अच्छे स्पिनर की कमी खलेगी। उसके पास धीमे गेंदबाज के रूप में सिर्फ स्टीवन स्मिथ हैं।
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन समेत अधिकांश विशेषज्ञों की राय है कि टॉस जीतने वाली टीम को पहले बल्लेबाजी चुननी चाहिए। भारतीय बोलरों ने अभी तक उम्दा प्रदर्शन किया है। शिखर धवन 367 रन बना चुके हैं, लेकिन उनके लिए यह पिच आसान नहीं होगी क्योंकि ऑफ स्टम्प पर पड़ती उछालभरी गेंदों ने उन्हें अक्सर परेशान किया है। स्टार्क और जॉनसन उनकी इस कमजोरी का पूरा फायदा उठाना चाहेंगे। रोहित शर्मा का बल्ला क्वॉर्टर फाइनल तक खोमोश था, लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ क्वॉर्टर फाइनल में उन्होंने 137 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया को याद होगा कि एमसीजी पर त्रिकोणीय सीरीज के पहले मैच में रोहित ने उनके खिलाफ 138 रन बनाए थे, जिसके बाद वह हैमस्ट्रिंग चोट का शिकार हो गए थे।
ऑस्ट्रेलिया के लिए ग्लेन मैक्सवेल मैच विनर साबित हो सकते हैं, जिन्हें आईपीएल की वजह से भारतीय बोलरों के खिलाफ खेलने का खासा अनुभव है। मिशेल स्टार्क गेंदबाजी में और डेविड वॉर्नर बल्लेबाजी में खतरनाक साबित हो सकते हैं, जबकि शेन वॉटसन भी फॉर्म में लौट चुके हैं। टूर्नामेंट के अब सिर्फ दो मैच बाकी है और ऐसे में दोनों कप्तानों के लिए भी बहुत कुछ दांव पर लगा है। माइकल क्लार्क वनडे टीम में उनकी उपयोगिता को लेकर सवाल उठा रहे आलोचकों को खामोश कर सकते हैं या महेंद्र सिंह धोनी लगातार दो वर्ल्ड कप जिताकर भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अपना नाम अमर कर सकते हैं।
यह मुकाबला डेविड वॉर्नर की बैटिंग और मोहम्मद शमी की गेंदबाजी का भी होगा, मिशेल स्टार्क की कहर बरपाती गेंदों और रनों के रूप में शरारे उगलते विराट कोहली के बल्ले का भी होगा और अश्विन की कैरम गेंदबाजी और ग्लेन मैक्सवेल की आक्रामक बल्लेबाजी का भी होगा। सभी की नजरें कोहली पर होंगी, जो पहले मैच में पाकिस्तान के खिलाफ सेंचुरी बनाने के बाद से एक फिफ्टी भी नहीं मार सके हैं। कोहली हालांकि दबाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में माहिर हैं और उनके पास यह सबसे बड़ा मौका है। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर दोनों टीमें गुरुवार को एक-दूसरे के आमने सामने होंगी तो यह मुकाबला कमोबेश बराबरी का होगा, जिसमें पिछले प्रदर्शन मायने नहीं रखेंगे। मौजूदा फॉर्म के आधार पर देखें तो भारत ने टूर्नामेंट में लगातार सात जीत दर्ज की है लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों फॉर्मैट में वह पिछले सात मैचों में जीत दर्ज नहीं कर सका है, जिसमें वर्ल्ड कप का एक अभ्यास मैच शामिल है।
ऑस्ट्रेलिया दौरे के उस शर्मनाक प्रदर्शन का गम भारत ने वर्ल्ड कप में शानदार खेल दिखाकर दूर कर दिया। वर्ल्ड कप से पहले दिशाहीन लग रही टीम इंडिया का अचानक मानो कायाकल्प हो गया और उसके प्रदर्शन ने विरोधियों को भी चकित कर डाला। आम तौर पर भारत की कमजोर कड़ी मानी जाने वाली गेंदबाजी उसकी ताकत साबित हुई है। मोहम्मद शमी (17 विकेट), उमेश यादव (14) और मोहित शर्मा (11) मिलकर 70 में से 42 विकेट ले चुके हैं। भारतीय बोलरों ने सात मैचों में पूरे 70 विकेट चटकाए हैं।
ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती सिडनी की पिच होगी, जो उसे रास नहीं आती। इस धीमी पिच पर साउथ अफ्रीकी ने क्वॉर्टर फाइनल में श्रीलंका को हराया था, जिसमें इमरान ताहिर ने चार और जेपी डुमिनी ने तीन विकेट लिए थे। सिडनी की पिच को भारतीय स्पिनरों के लिए मददगार समझा जा रहा है। ऐसे में भारत के अश्विन और रविंद्र जडेजा उन पर भारी पड़ सकते हैं। अश्विन 12 विकेट ले चुके हैं और अपनी गेंदों से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया को टीम में एक अच्छे स्पिनर की कमी खलेगी। उसके पास धीमे गेंदबाज के रूप में सिर्फ स्टीवन स्मिथ हैं।
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन समेत अधिकांश विशेषज्ञों की राय है कि टॉस जीतने वाली टीम को पहले बल्लेबाजी चुननी चाहिए। भारतीय बोलरों ने अभी तक उम्दा प्रदर्शन किया है। शिखर धवन 367 रन बना चुके हैं, लेकिन उनके लिए यह पिच आसान नहीं होगी क्योंकि ऑफ स्टम्प पर पड़ती उछालभरी गेंदों ने उन्हें अक्सर परेशान किया है। स्टार्क और जॉनसन उनकी इस कमजोरी का पूरा फायदा उठाना चाहेंगे। रोहित शर्मा का बल्ला क्वॉर्टर फाइनल तक खोमोश था, लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ क्वॉर्टर फाइनल में उन्होंने 137 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया को याद होगा कि एमसीजी पर त्रिकोणीय सीरीज के पहले मैच में रोहित ने उनके खिलाफ 138 रन बनाए थे, जिसके बाद वह हैमस्ट्रिंग चोट का शिकार हो गए थे।
ऑस्ट्रेलिया के लिए ग्लेन मैक्सवेल मैच विनर साबित हो सकते हैं, जिन्हें आईपीएल की वजह से भारतीय बोलरों के खिलाफ खेलने का खासा अनुभव है। मिशेल स्टार्क गेंदबाजी में और डेविड वॉर्नर बल्लेबाजी में खतरनाक साबित हो सकते हैं, जबकि शेन वॉटसन भी फॉर्म में लौट चुके हैं। टूर्नामेंट के अब सिर्फ दो मैच बाकी है और ऐसे में दोनों कप्तानों के लिए भी बहुत कुछ दांव पर लगा है। माइकल क्लार्क वनडे टीम में उनकी उपयोगिता को लेकर सवाल उठा रहे आलोचकों को खामोश कर सकते हैं या महेंद्र सिंह धोनी लगातार दो वर्ल्ड कप जिताकर भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अपना नाम अमर कर सकते हैं।
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