डिफेंस
मिनिस्ट्री ने सिक्यॉरिटी के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके तहत विदेशी
फर्मों के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को सुरक्षा जांच के मामले में
विदेशियों की तरह देखा जाएगा। मंत्रालय ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि
मीडिया से बातचीत सिर्फ सेक्रेटरी लेवल तक सीमित होगी और सभी फोटोकॉपी का रेकॉर्ड
रखना होगा। मिनिस्ट्री ने ये गाइडलाइंस पेट्रोलियम मंत्रालय में गुप्त सूचनाओं के
लीकेज के खुलासे के मद्देनजर जारी की हैं। गाइडलाइंस में मिनिस्ट्री
और डिफेंस संस्थानों के एक्सेस पर कंट्रोल और आईटी सिस्टम से लीक रोकने की बात है।
साथ ही, यह भी चेतावनी दी गई है कि इंटरनल मिलिट्री फोन लाइंस भी
सुरक्षित नहीं हैं। ये तमाम बातें निगरानी वाले कैमरों और एक्सेस-कंट्रोल डिवाइसेज
के इंस्टॉलेशन के अलावा हैं।
नए सिस्टम के तहत फॉरेन फर्मों में काम करने वाले एग्जिक्युटिव्स के लिए साउथ ब्लॉक स्थित डिफेंस मिनिस्ट्री के दफ्तर या बाकी सैन्य इकाइयों में एंट्री करना काफी मुश्किल होगा। जैसा कि विदेशी नागरिकों के मामले में होता है, इन एग्जिक्युटिव्स को भी 10 दिन पहले सिक्यॉरिटी क्लीयरेंस के लिए अप्लाई करना होगा।
इससे पहले विदशी फर्मों में काम करने वाले भारतीय एग्जिक्युटिव्स के लिए मिनिस्ट्री में एंट्री अपेक्षाकृत आसान थी। ऐसे एग्जिक्युटिव्स आखिरी वक्त में भी अपॉइंटमेंट ले सकते थे। डिफेंस मिनिस्ट्री ने मीडिया के साथ बातचीत पर भी सख्ती की है। मंत्रालय के निर्देश के मुताबिक, सिर्फ मंत्री, सेक्रेटरी और अधिकृत अफसर ही प्रेस को सूचना दे सकेंगे।
डिफेंस मिनिस्ट्री को यह भी नहीं भरोसा है कि उसका अपना कम्युनिकेशन नेवटर्क सुरक्षित है। लिहाजा, सभी अधिकारियों को इंटरनल टेलिफोन सिस्टम के जरिये भी गुप्त मामलों पर बात नहीं करने की चेतावनी दी गई है। गाइडलाइंस में खासतौर पर कहा गया है कि टेलिफोन के जरिये किसी भी तरह की बातचीत सुरक्षित नहीं है। इसमें कहा गया है, 'टेलिफोन के जरिये आधिकारिक मुद्दों पर बात करते वक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।'
मिनिस्ट्री की गाइडलाइंस में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कुछ अधिकारियों में डॉक्युमेंट्स को अपने घर ले जाने की प्रवृत्ति होती है, जबकि सुरक्षा संबंधी निर्देशों में साफ तौर पर यह बात कही गई है कि इसकी इजाजत नहीं है और इसके लिए खास मंजूरी तभी दी जा सकती है, जब इसकी सख्त जरूरत आन पड़ी हो।
गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि मंत्रालय में हुई सभी फोटोकॉपी का रेकॉर्ड रखना होगा और सभी गुप्त दस्तावेजों को किसी खास जगह पर रखना चाहिए। साथ ही, एक सीनियर अफसर की अगुवाई में सभी रद्दी कागजों को नष्ट किया जाना चाहिए। सुरक्षा उल्लंघन के कुछ मामले सामने आने के बाद नए निर्देश जारी किए गए हैं।
सेना के एक सीनियर ऑफिसर की तरफ से फोन पर विदेशी नागरिक को सूचनाएं मुहैया कराने की बात भी सामने आई थी। इस विदेशी नागरिक ने खुद को सीनियर ब्यूरोक्रेट बताते हुए फोन पर बात की थी। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि नए नियम से काम करना काफी मुश्किल हो गया है।
नए सिस्टम के तहत फॉरेन फर्मों में काम करने वाले एग्जिक्युटिव्स के लिए साउथ ब्लॉक स्थित डिफेंस मिनिस्ट्री के दफ्तर या बाकी सैन्य इकाइयों में एंट्री करना काफी मुश्किल होगा। जैसा कि विदेशी नागरिकों के मामले में होता है, इन एग्जिक्युटिव्स को भी 10 दिन पहले सिक्यॉरिटी क्लीयरेंस के लिए अप्लाई करना होगा।
इससे पहले विदशी फर्मों में काम करने वाले भारतीय एग्जिक्युटिव्स के लिए मिनिस्ट्री में एंट्री अपेक्षाकृत आसान थी। ऐसे एग्जिक्युटिव्स आखिरी वक्त में भी अपॉइंटमेंट ले सकते थे। डिफेंस मिनिस्ट्री ने मीडिया के साथ बातचीत पर भी सख्ती की है। मंत्रालय के निर्देश के मुताबिक, सिर्फ मंत्री, सेक्रेटरी और अधिकृत अफसर ही प्रेस को सूचना दे सकेंगे।
डिफेंस मिनिस्ट्री को यह भी नहीं भरोसा है कि उसका अपना कम्युनिकेशन नेवटर्क सुरक्षित है। लिहाजा, सभी अधिकारियों को इंटरनल टेलिफोन सिस्टम के जरिये भी गुप्त मामलों पर बात नहीं करने की चेतावनी दी गई है। गाइडलाइंस में खासतौर पर कहा गया है कि टेलिफोन के जरिये किसी भी तरह की बातचीत सुरक्षित नहीं है। इसमें कहा गया है, 'टेलिफोन के जरिये आधिकारिक मुद्दों पर बात करते वक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।'
मिनिस्ट्री की गाइडलाइंस में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कुछ अधिकारियों में डॉक्युमेंट्स को अपने घर ले जाने की प्रवृत्ति होती है, जबकि सुरक्षा संबंधी निर्देशों में साफ तौर पर यह बात कही गई है कि इसकी इजाजत नहीं है और इसके लिए खास मंजूरी तभी दी जा सकती है, जब इसकी सख्त जरूरत आन पड़ी हो।
गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि मंत्रालय में हुई सभी फोटोकॉपी का रेकॉर्ड रखना होगा और सभी गुप्त दस्तावेजों को किसी खास जगह पर रखना चाहिए। साथ ही, एक सीनियर अफसर की अगुवाई में सभी रद्दी कागजों को नष्ट किया जाना चाहिए। सुरक्षा उल्लंघन के कुछ मामले सामने आने के बाद नए निर्देश जारी किए गए हैं।
सेना के एक सीनियर ऑफिसर की तरफ से फोन पर विदेशी नागरिक को सूचनाएं मुहैया कराने की बात भी सामने आई थी। इस विदेशी नागरिक ने खुद को सीनियर ब्यूरोक्रेट बताते हुए फोन पर बात की थी। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि नए नियम से काम करना काफी मुश्किल हो गया है।
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