केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को ब्लैक मनी मामले में एक अडिशनल
हलफनामा दाखिल कर सकती है। सरकार इस हलफनामे में सफाई देगी कि उस कदम का गलत अर्थ
निकाला गया कि जिन विदेशी बैंकों के अकाउंट्स की जांच इनकम टैक्स लॉ के तहत शुरू
नहीं की गई है उन नामों का खुलासा नहीं होगा। केंद्र सरकार इस हलफनामे में उन तीन
भारतीयों के नामों का खुलासा करेगी जिनके खिलाफ विदेशी बैंकों में गोपनीय तरीके से
पैसे रखने के मामले में जांच शुरू हो गई है। सरकार आगे चलकर ब्लैक मनी से जुड़े
अन्य नामों का भी खुलासा करेगी जिनके खिलाफ जांच शुरू हो जाएगी। इन नामों में
यूपीए सरकार से जुड़े लोग भी हैं।
सरकार को लगता है कि ब्लैक मनी मामले में अवैधता की जांच शुरू किए बिना नामों का खुलासा करना निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा जिसमें आरबीआई के नियमों के मुताबिक किसी भी भारतीय को यह हक है कि वह हर साल विदेशी बैंक में वैध तरीके से 1 लाख 25 हजार डॉलर जमा कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील राम जेठमलानी की याचिका पर कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह बेईमानी से विदेशी बैंकों में जमा किए गए भारतीय पैसों को वापस लाने के लिए हाई लेवल का टास्क फोर्स गठित करे। इसमें सारी खुफिया जानकारी जुटाकर कानूनी प्रक्रिया के तहत विदेशी बैंकों में जमा अवैध धनों की शिनाख्त की बात कही गई थी। कोर्ट के आदेश पर तब की यूपीए सरकार ने जेठमलानी से उन भारतीयों नामों का खुलासा किया था जिनके अकाउंट लिचटेंस्टाइन बैंक में थे और जर्मन सरकार ने दोहरे कराधान बचाव समझौते के तहत सूचना मुहैया कराई थी।
इस मामले में नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि जर्मनी की आपत्तियों के कारण वह उन भारतीयों के नामों खुलासा तब तक नहीं कर सकती है जब तक कि उनके खिलाफ फाइनैंशल लॉ के तहत अनियमितता की जांच शुरू नहीं हो जाती। इससे पहले नामों का खुलासा करने से द्विपक्षीय समझौते की शर्तों का उल्लंघन होगा।
इसमें कहा गया है कि भारत सरकार अमेरिका समेत दूसरे देशों से कुछ महत्वपूर्ण दोहरे कराधान बचाव समझौते में लगी है। कोर्ट को बताया गया है कि इन संधियों के माध्यम से ही विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के ब्लैक मनी से जुड़ी सूचनाओं के स्रोत तक पहुंचा जा सकता है। सरकार ने कोर्ट से कहा था कि यदि हम समझौतों के करारों का उल्लंघन करते हैं तो विदेशी बैंकों में भारतीयों द्वारा छुपाकर रखे गए पैसों से जुड़े डेटा दूसरे देश साझा करने से इनकार कर देंगे।
केंद्र सरकार ने इस हलफनामे के जरिए कोर्ट को आश्वस्त किया है कि वह उन भारतीयों के नामों का खुलासा करने के लिए तैयार है जिनके विदेशी बैंक खातों की जांच की सिफारिश की गई है। जेठमलानी ने सरकार के इस स्टैंड पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि सरकार सब कुछ रहस्य बनाकर रखना चाहती है। उन्होंने दोहरे कराधान बचाव समझौते के बारे में कहा था कि यह सब कुछ छुपाने की चाल है।
सरकार को लगता है कि ब्लैक मनी मामले में अवैधता की जांच शुरू किए बिना नामों का खुलासा करना निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा जिसमें आरबीआई के नियमों के मुताबिक किसी भी भारतीय को यह हक है कि वह हर साल विदेशी बैंक में वैध तरीके से 1 लाख 25 हजार डॉलर जमा कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील राम जेठमलानी की याचिका पर कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह बेईमानी से विदेशी बैंकों में जमा किए गए भारतीय पैसों को वापस लाने के लिए हाई लेवल का टास्क फोर्स गठित करे। इसमें सारी खुफिया जानकारी जुटाकर कानूनी प्रक्रिया के तहत विदेशी बैंकों में जमा अवैध धनों की शिनाख्त की बात कही गई थी। कोर्ट के आदेश पर तब की यूपीए सरकार ने जेठमलानी से उन भारतीयों नामों का खुलासा किया था जिनके अकाउंट लिचटेंस्टाइन बैंक में थे और जर्मन सरकार ने दोहरे कराधान बचाव समझौते के तहत सूचना मुहैया कराई थी।
इस मामले में नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि जर्मनी की आपत्तियों के कारण वह उन भारतीयों के नामों खुलासा तब तक नहीं कर सकती है जब तक कि उनके खिलाफ फाइनैंशल लॉ के तहत अनियमितता की जांच शुरू नहीं हो जाती। इससे पहले नामों का खुलासा करने से द्विपक्षीय समझौते की शर्तों का उल्लंघन होगा।
इसमें कहा गया है कि भारत सरकार अमेरिका समेत दूसरे देशों से कुछ महत्वपूर्ण दोहरे कराधान बचाव समझौते में लगी है। कोर्ट को बताया गया है कि इन संधियों के माध्यम से ही विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के ब्लैक मनी से जुड़ी सूचनाओं के स्रोत तक पहुंचा जा सकता है। सरकार ने कोर्ट से कहा था कि यदि हम समझौतों के करारों का उल्लंघन करते हैं तो विदेशी बैंकों में भारतीयों द्वारा छुपाकर रखे गए पैसों से जुड़े डेटा दूसरे देश साझा करने से इनकार कर देंगे।
केंद्र सरकार ने इस हलफनामे के जरिए कोर्ट को आश्वस्त किया है कि वह उन भारतीयों के नामों का खुलासा करने के लिए तैयार है जिनके विदेशी बैंक खातों की जांच की सिफारिश की गई है। जेठमलानी ने सरकार के इस स्टैंड पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि सरकार सब कुछ रहस्य बनाकर रखना चाहती है। उन्होंने दोहरे कराधान बचाव समझौते के बारे में कहा था कि यह सब कुछ छुपाने की चाल है।
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