Monday, October 20, 2014

सरकार के लिए इकनॉमिक रिफॉर्म्स करना आसान

महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव के बाद अगले 1 साल तक सिर्फ 2 राज्यों में चुनाव होंगे। इससे नरेंद्र मोदी सरकार के लिए इकनॉमिक रिफॉर्म्स करना आसान हो सकता है। आर्थिक सुधारों की शुरुआत संसद के शीतकालीन सत्र से की जा सकती है। उसके बाद अगले फाइनैंशल ईयर का बजट पेश किया जाएगा। अगर सरकार रिफॉर्म्स की राह पर आगे बढ़ती है तो इकनॉमिक ग्रोथ तेज करने और रोजगार के मौके बढ़ाने में मदद मिलेगी। 
महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव के चलते मोदी सरकार ने कुछ अहम फैसलों को टाल दिया था। अगले साल की शुरुआत में सिर्फ जम्मू-कश्मीर और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए सरकार के लिए पॉलिसी रिफॉर्म करना आसान हो सकता है। अगले साल के अंत में बिहार में चुनाव होंगे, जहां बीजेपी जेडी (यू) से सत्ता छीनने की कोशिश करेगी।
 
पॉलिसी रिफॉर्म्स की शुरुआत सरकार ने शनिवार शाम से ही कर दी। उसने डीजल को डीकंट्रोल कर दिया और गैस के दाम बढ़ाए। इससे एनर्जी एक्सप्लोरेशन और प्रॉडक्शन बढ़ाने में मदद मिलेगी। बीजेपी के एक सीनियर लीडर ने बताया कि आने वाले दिनों में और बड़े रिफॉर्म्स का ऐलान हो सकता है। बड़े सरकारी अफसरों ने भी इसकी पुष्टि की। 
पॉलिसी मेकिंग से जुड़े एक बड़े अफसर ने कहा, 'सरकार ने साफ संकेत दिए हैं कि वह पेंडिंग रिफॉर्म्स पर आगे बढ़ेगी। जहां भी रिफॉर्म की जरूरत होगी, उसे किया जाएगा और हम इसके लिए तैयार हैं।' इस मामले में बार्कलेज कैपिटल के सिद्धार्थ सान्याल ने कहा, '2015 के अंत तक सरकार के पास काफी काम करने की गुंजाइश है। इस दौरान सिर्फ दो राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।' सरकार का अगला कदम कैबिनेट विस्तार का हो सकता है। इसमें कुछ अहम पोर्टफोलियो में बदलाव किए जा सकते हैं।
 
पिछले हफ्ते ब्यूरोक्रेसी में भी बड़े बदलाव हुए थे। फाइनैंस मिनिस्ट्री में इस बदलाव के बाद जो नई टीम बनी है, उससे इकनॉमिक रिफॉर्म्स तेज किए जाने के संकेत मिलते हैं। सरकार इकनॉमिक ग्रोथ तेज करने की कोशिश कर रही है। मोदी सरकार ने अरविंद सुब्रमण्यन को नया चीफ इकनॉमिक एडवाइजर बनाया है, जबकि राजीव महर्षि को इकनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी का पद दिया गया है।
 
अप्रैल-जून क्वॉर्टर में जीडीपी ग्रोथ 5.7 पर्सेंट रही थी, जो 9 तिमाहियों में सबसे अधिक है। हालांकि जुलाई और अगस्त महीने में से हरेक में इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन में सिर्फ 0.4 पर्सेंट ही रही। मोदी सरकार इनवेस्टमेंट रिवाइवल की कोशिश भी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के कैंसल किए गए कोल ब्लॉक्स की नीलामी की तैयारी चल रही है। फाइनैंशल सेक्टर रिफॉर्म्स पर भी काम हो रहा है, जिसका सुझाव फाइनैंशल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉर्म्स कमिशन (एफएसएलआरसी) ने दिया था। इंश्योरेंस रेग्युलेशन, जीएसटी, इनफ्लेशन को लेकर सॉलिड स्ट्रैटेजी, लेबर रिफॉर्म्स और बिजनस को आसान बनाने वाले प्रशासनिक उपाय शामिल 

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