प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मंत्रिपरिषद को बताया है कि सरकार विदेशों
में कथित तौर पर काला धन जमा करने वाले कुछ लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट को बताने
जा रही है। ऐसे लोगों के नाम बताए जाएंगे, जिनके खिलाफ इस मामले में
जांच जारी है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को दिवाली से पहले
अपने मंत्रियों को दिए डिनर के मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ नाम बताए
जाएंगे। केंद्रीय कैबिनेट में शिवसेना के एकमात्र प्रतिनिधि अनंत गीते भी इस डिनर
में मौजूद थे।
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान विदेशों में भारतीयों द्वारा जमा कराए गए काले धन के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था और वादा किया था कि उसकी सरकार इसे वापस लाएगी। सरकार ने पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि संबंधित देशों से हुए समझौते के तहत ब्लैक मनी जमा करने वालों के नाम सार्वजनिक तौर पर उजागर नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन जांच एजेंसियों को नाम दिए जा सकते हैं। इसे लेकर बीजेपी पर अपने रुख से यू-टर्न लेना का आरोप लगाते हुए कांग्रेस और दूसरी विरोधी पार्टियों ने हमला बोला था।
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान विदेशों में भारतीयों द्वारा जमा कराए गए काले धन के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था और वादा किया था कि उसकी सरकार इसे वापस लाएगी। सरकार ने पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि संबंधित देशों से हुए समझौते के तहत ब्लैक मनी जमा करने वालों के नाम सार्वजनिक तौर पर उजागर नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन जांच एजेंसियों को नाम दिए जा सकते हैं। इसे लेकर बीजेपी पर अपने रुख से यू-टर्न लेना का आरोप लगाते हुए कांग्रेस और दूसरी विरोधी पार्टियों ने हमला बोला था।
विपक्ष के आरोपों के जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने
कहा था, 'हमें नामों को सार्वजनिक करने
में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उन्हें विधिवत कानूनी प्रक्रिया के तहत ही सार्वजनिक किया जा सकता है।
डीटीएए (दोहरे कराधान से बचाव की संधि) इसमें बाधा बन रही है, जिस पर जर्मनी और तत्कालीन
यूपीए सरकार के बीच 19 जून, 1995 को हस्ताक्षर किया गया था।' जेटली ने यह बयान
स्विट्जरलैंड से लौटे प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के बाद दिया था। अधिकारियों के दौरे
से यह बात भी सामने आई थी कि जिनीवा के एचएसबीसी बैंक में 700 भारतीयों के अकाउंट हैं। यह
लिस्ट भारत को फ्रेंच अधिकारियों की ओर से उपलब्ध कराई गई है।
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