Friday, October 31, 2014

कांग्रेस इतिहास को सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार के परिप्रेक्ष्य में देखना चाहती है

सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को धूमधाम से मनाने और इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के कार्यक्रम की कथित उपेक्षा को लेकर कांग्रेस ने मोदी पर तीखा हमला किया है। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि यह घृणित है और मोदी सरकार की छोटी सोच को दर्शाता है। कांग्रेस के एक अन्य नेता मणिशंकर अय्यर कहा कि नरेंद्र मोदी, सरदार पटेल की विरासत चुराने वाले चोर हैं। बीजेपी ने इसके जवाब में कहा है कि कांग्रेस इतिहास को सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार के परिप्रेक्ष्य में देखना चाहती है। 
गौरतलब है कि इंदिरा इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर उनके स्मारक शक्ति स्थल पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं पहुंचे। हालांकि, ट्विटर के जरिए और विजय चौक पर कार्यक्रम में भाषण के दौरान देश की पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की। यूपीए सरकार के कार्यकाल में इस दिन को इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के तौर पर काफी प्रचार के साथ मनाया जाता रहा है, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसके बदले पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि से जुडे कार्यक्रम से सरकार के दूरी बनाने पर नाराजगी जताते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि इंदिरा गांधी ने देश के लिए मौत को गले लगा लिया और प्रत्येक सरकार की जिम्मेदारी है कि उनके बलिदान का सम्मान करे। 
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आनंद शर्मा ने रिपोर्टरों से कहा, 'इंदिरा गांधी ने देश की एकता के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी। उनके प्रति ऐसा रवैया पक्षपातपूर्ण, अपमानजनक और संकीर्ण सोच को दर्शाता है।' कांग्रेस नेता ने कहा कि विडंबना है कि मोदी रन फॉर यूनिटी को हरी झंडी दिखा रहे थे, लेकिन हमारे समय की सबसे महान नेता की सर्वोच्च कुर्बानी का जिक्र तक नहीं किया। नरेंद्र मोदी पर पटेल की विरासत को कब्जाने की कोशिश करने का परोक्ष आरोप लगाते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि पटेल एक कांग्रेसी ते और भारत के उप-प्रधानमंत्री व गृह मंत्री रहते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबंधित किया था। 
कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि किसी नेता के अनादर करने का सवाल ही नहीं उठता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पटेल सबके लिए रोल मॉडल हैं। वेंकैया ने कहा, 'हर नेता का इतिहास में अपना स्थान है। सरदार पटेल स्वतंत्रता सेनानी रहे, देश को एकता के सूत्र में बांधा। इस लिहाज से वह सबके रोल मॉडल हो सकते हैं।' बीजेपी के प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि मोदी ने इंदिरा गांधी को भी ट्विटर के जरिए श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। 
उधर, इंदिरा गांधी के स्मारक पर आयोजिक कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की। मोदी वहां नहीं पहुंचे और सरदार पटेल की 139वीं जयंती पर इंडिया गेट पर आयोजित 'रन फॉर यूनिटी' को हरी झंडी दिखाई। शक्ति स्थल स्थित समारोह स्थल पर भजन और इंदिरा गांधी के भाषण के अंश भी चलाए गए। इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री के आवास पर भी एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां 30 वर्ष पहले उनकी हत्या कर दी गई थी। इसे अब स्मारक के रूप में बदल दिया गया है।

Wednesday, October 29, 2014

काला धन: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी 627 नामों की लिस्ट

सभी विदेशी अकाउंट होल्डर्स के नामों को शेयर करने के सुप्रीम कोर्ट का निर्देश विभिन्न देशों से हुए टैक्स संधियों में गोपनीयता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के लिए चिंताजनक स्थिति बन गई है। इससे अमेरिका से भेजे जाने वाले धन पर भी बुरा असर पड़ सकता है। बिना कोई प्रॉसिक्यूशन के किसी अकाउंट होल्डर का नाम पब्लिक में आने से अमेरिका के साथ होने वाले फॉरन अकाउंट टैक्स कम्पलाइअंस ऐक्ट (एफएटीसीए) करार बुरी तरह प्रभावित होगा। इसमें गोपनीयता कायम रखने की प्रतिबद्धता है। विशेषज्ञों का कहना है कि विभिन्न सरकारों के बीच बिना एफएटीसीए समझौते के विदेशों से भेजे जाने वाले धन यहां तक कि निर्यात भुगतान पर मिलने वाले 30 पर्सेंट टैक्स पर बुरा असर पड़ेगा।
भारत और दूसरे देश विभिन्न सरकारों के बीच 31 दिसंबर से समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं कि 2015 से टैक्स की जवाबदेही को सुनिश्चित किया जा सके। एफएटीसीए समझौते पर यूपीए सरकार में पहल हुई थी लेकिन औपचारिक रूप से यह करार अब फइनल स्टेज में था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिना प्रॉसिक्यूशन के विदेशी अकाउंट होल्डर्स के नाम पब्लिक में लाने से बुरा असर केवल अमेरिका से हुए समझौतों पर ही नहीं पड़ेगा बल्कि सरकार की उन कोशिशों को भी धक्का लगेगा जिनमें विदेशों में गोपनीय तरीके से रखे गए अवैध पैसों के बारे में सूचनाएं हासिल कर टैक्स नियमों की कसौटी पर कसने में लगी है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से तल्ख लहजे में 24 घंटे के अंदर बंद लिफाफे में सभी फॉरन अकाउंट होल्डर्स के नाम सौंपने का निर्देश दिया है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि आप नाम पब्लिक में लाते हैं तो स्विस अथॉरिटी से कोई और सूचना हासिल करने की हसरत छोड़ दें। रेवेन्यू सेक्रेटरी शक्तिकांत दास के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधि मंडल से स्विटजरलैंड हाल ही में तथाकथित एचएसबीसी अकाउंट होल्डर्स से जुड़ी सूचनाएं साझा करने को राजी हुआ था। इसमें शर्त थी की भारत पहले इन अकाउंट्स की जांच पूरी करेगा। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच जानकारी स्वतः आदान-प्रदान करने की बात बनी थी।
इसी तरह जी20 देशों के बीच प्रस्तावित ऑटोमैटिक सूचना अदान-प्रदान समझौते में गोपनीयता एक शर्त है। इसमें 48 देशों के बीच सहमति बनी थी जिसमें भारत भी शामिल है। इस करार पर 2017 से पहले हस्ताक्षर होने थे। जाहिर है सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इस करार पर भी असर पड़ने की आशंका बन गई है। एक्सपर्ट का कहना है कि इसमें गोपनीयता बेहद अहम है। सरकार लगातार कह रही थी कि बिना प्रॉसिक्यूशन के नाम पब्लिक में लाना विभिन्न देशों से हुए समझौते का उल्लंघन होगा। यहां तक कि जर्मन अथॉरिटिज ने नामों के खुलासे पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। सरकार यह भी कह रही थी कि उसका इरादा किसी के नाम छुपाने का नहीं है बल्कि हम कई संधियों से बंधे हैं।

Monday, October 27, 2014

केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को ब्लैक मनी मामले में एक अडिशनल हलफनामा दाखिल कर तीन कालेधन धारकों के नाम बताए

केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को ब्लैक मनी मामले में एक अडिशनल हलफनामा दाखिल कर सकती है। सरकार इस हलफनामे में सफाई देगी कि उस कदम का गलत अर्थ निकाला गया कि जिन विदेशी बैंकों के अकाउंट्स की जांच इनकम टैक्स लॉ के तहत शुरू नहीं की गई है उन नामों का खुलासा नहीं होगा। केंद्र सरकार इस हलफनामे में उन तीन भारतीयों के नामों का खुलासा करेगी जिनके खिलाफ विदेशी बैंकों में गोपनीय तरीके से पैसे रखने के मामले में जांच शुरू हो गई है। सरकार आगे चलकर ब्लैक मनी से जुड़े अन्य नामों का भी खुलासा करेगी जिनके खिलाफ जांच शुरू हो जाएगी। इन नामों में यूपीए सरकार से जुड़े लोग भी हैं।
सरकार को लगता है कि ब्लैक मनी मामले में अवैधता की जांच शुरू किए बिना नामों का खुलासा करना निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा जिसमें आरबीआई के नियमों के मुताबिक किसी भी भारतीय को यह हक है कि वह हर साल विदेशी बैंक में वैध तरीके से 1 लाख 25 हजार डॉलर जमा कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील राम जेठमलानी की याचिका पर कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह बेईमानी से विदेशी बैंकों में जमा किए गए भारतीय पैसों को वापस लाने के लिए हाई लेवल का टास्क फोर्स गठित करे। इसमें सारी खुफिया जानकारी जुटाकर कानूनी प्रक्रिया के तहत विदेशी बैंकों में जमा अवैध धनों की शिनाख्त की बात कही गई थी। कोर्ट के आदेश पर तब की यूपीए सरकार ने जेठमलानी से उन भारतीयों नामों का खुलासा किया था जिनके अकाउंट लिचटेंस्टाइन बैंक में थे और जर्मन सरकार ने दोहरे कराधान बचाव समझौते के तहत सूचना मुहैया कराई थी।
इस मामले में नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि जर्मनी की आपत्तियों के कारण वह उन भारतीयों के नामों खुलासा तब तक नहीं कर सकती है जब तक कि उनके खिलाफ फाइनैंशल लॉ के तहत अनियमितता की जांच शुरू नहीं हो जाती। इससे पहले नामों का खुलासा करने से द्विपक्षीय समझौते की शर्तों का उल्लंघन होगा।
इसमें कहा गया है कि भारत सरकार अमेरिका समेत दूसरे देशों से कुछ महत्वपूर्ण दोहरे कराधान बचाव समझौते में लगी है। कोर्ट को बताया गया है कि इन संधियों के माध्यम से ही विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के ब्लैक मनी से जुड़ी सूचनाओं के स्रोत तक पहुंचा जा सकता है। सरकार ने कोर्ट से कहा था कि यदि हम समझौतों के करारों का उल्लंघन करते हैं तो विदेशी बैंकों में भारतीयों द्वारा छुपाकर रखे गए पैसों से जुड़े डेटा दूसरे देश साझा करने से इनकार कर देंगे।
केंद्र सरकार ने इस हलफनामे के जरिए कोर्ट को आश्वस्त किया है कि वह उन भारतीयों के नामों का खुलासा करने के लिए तैयार है जिनके विदेशी बैंक खातों की जांच की सिफारिश की गई है। जेठमलानी ने सरकार के इस स्टैंड पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि सरकार सब कुछ रहस्य बनाकर रखना चाहती है। उन्होंने दोहरे कराधान बचाव समझौते के बारे में कहा था कि यह सब कुछ छुपाने की चाल है।


Friday, October 24, 2014

132 करोड़ रुपये के बिजली के बिल का झटका

हरियाणा के एक पानवाले को दिवाली के मौके पर गिफ्ट तो नहीं लेकिन 132 करोड़ रुपये के बिजली के बिल का झटका जरूर लग गया। दरअसल इस पानवाले को 132 करोड़ का बिजली बिल मिला है। सोनीपत के गोभाना में एक दुकान चलाने वाले राजेश का अक्टूबर महीने में 132.29 करोड़ का बिजली आया है।
राजेश ने कहा, 'मैं इस बिल की राशि को पढ़कर हैरान रह गया। ऐसा नहीं है कि कि बिल की राशि सिर्फ अंकों में गलत लिखी थी बल्कि पूरी राशि शब्दों में भी लिखी थी।'
उन्होंने कहा, 'मैं एक साधारण आदमी हूं और मेरी किराए पर एक छोटी सी दुकान है। मैं सिर्फ एक बल्ब और एक पंखे का प्रयोग करता हूं। मेरा बिजली का बिल एक हजार रुपये से कम आता है। यह बिल हैरान कर देने वाला है।'

उन्होंने कहा कि वह बिल को ठीक कराने के लिए बिजली विभाग के दफ्तर जाएंगे। यह बिल उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) द्वारा जारी किया गया है।
अतीत में भी हरियाणा का बिजली विभाग ऐसी गलतियां कर चुका है। हरियाणा के नारनौल शहर के मुरारी लाल को अप्रैल 2007 में बिजली विभाग ने ऐसा ही झटका देते हुए उनके दो बेडरूम के फ्लैट के लिए उन्हें 234 करोड़ रुपये का बिल भेज दिया था।

Wednesday, October 22, 2014

शुभेच्छा

सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभेच्छा ।


(डॉ. राजेन्द्र कुमार गुप्ता)

चिदंबरम की जान लेने की साजिश

रीटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की इजाजत देने के यूपीए सरकार के फैसले की वजह से एक संगठन ने प्रधानमंत्री कार्यालय के तत्कालीन राज्यमंत्री वी नारायणस्वामी और तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम की जान लेने की साजिश रची थी। यह आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी के छह लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है। 32 पेज की यह चार्जशीट 30 सितंबर को पुडुचेरी की एक विशेष अदालत में दाखिल की गई थी।
हमारे पास मौजूद चार्जशीट की कॉपी में कहा गया है कि इन छह लोगों ने 29 जनवरी को नारायणस्वामी और 25 फरवरी को चिदंबरम की जान लेने की योजना बनाई थी। चार्जशीट के मुताबिक, आरोपित लोग रीटेल सेक्टर में एफडीआई की इजाजत देने के यूपीए सरकार के फैसले से नाराज थे और उनका मानना था कि नारायणस्वामी और चिदंबरम की इस नीति को तैयार करने में बड़ी भूमिका थी। एनआईए का कहना है कि पुडुचेरी में नारायणस्वामी के घर के बाहर खड़ी एक कार के नीचे एक बम रखा गया था, जिसे पुलिस ने समय रहते डिफ्यूज कर दिया। दूसरी तरफ, तमिलनाडु के शिवगंगा में चिदंबरम के घर में भी एक बम प्लांट किया गया था। एनआईए के मुताबिक, इस संगठन ने हालांकि राज्य के बाहर के किसी नेता के खिलाफ ऐसा कुछ करने की नहीं सोची थी।

यूपीए सरकार ने मल्टि-ब्रैंड रिटेल में 51% एफडीआई को साल 2012 में मंजूरी दी थी। एनआईए का कहना है कि तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी के इन छह मेंबरों ने साजिश रचने के लिए कई बैठकें की थीं। एनआईए ने मदुरै में कैटरिंग का काम करने वाले तिरुसेल्वम को मुख्य षड्यंत्रकारी बताते हुए कहा, 'इन बैठकों में इन लोगों ने तमिल लोगों के अधिकारों, तमिल और भारतीय मछुआरों के मुद्दे, कुडनकुलम परमाणु संयंत्र परियोजना और रीटेल में एफडीआई पर भारत सरकार की नीतियों की निंदा की थी और उनके प्रति असंतोष जताया था।' एनआईए का कहना है कि एक अन्य आरोप जॉन मार्टिन ने इन बैठकों की मेजबानी की थी और वह 'वॉलमार्ट, रिलायंस के पक्ष में नीतियां बनाए जाने के खिलाफ था।'
एनआईए का कहना है कि आरोपियों ने तीन पाइप बम बनाए और तिरुसेल्वम ने पहला बम 29 जनवरी को नारायणस्वामी के घर के बाहर एक कार के नीचे लगाया था। उसने ऐसा मुथुकुमारन को श्रद्धांजलि देने के लिए किया था, जिसने श्रीलंका में गृहयुद्ध के विरोध में 2009 में उसी दिन खुद को आग लगाकर जान दे दी थी।
एनआईए का कहना है, 'दूसरा पाइप बम तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम के शिवगंगा के मानगिरि वाले आवास में फरवरी 2014 में रखा गया था।' एनआईए का कहना है कि आरोपियों ने उस दिन यानी 25 फरवरी 2014 को चिदंबरम के घर में कुछ पैंफलेट्स भी छोड़े थे।
चार्जशीट में कहा गया है, 'इन पैंफलेट्स में केंद्र सरकार के खिलाफ बातें की गई थीं। देश में बहुराष्ट्रीय रिटेल कंपनियों की एंट्री, नदियों के पानी को लेकर विवाद, राजीव गांधी मर्डर केस में दोषी तीन तमिलों की रिहाई, कुडनकुलम में न्यूक्लियर प्लांट जैसे मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बयान थे।'

Tuesday, October 21, 2014

सरकार विदेशों में कथित तौर पर काला धन जमा करने वाले कुछ लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट को

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मंत्रिपरिषद को बताया है कि सरकार विदेशों में कथित तौर पर काला धन जमा करने वाले कुछ लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट को बताने जा रही है। ऐसे लोगों के नाम बताए जाएंगे, जिनके खिलाफ इस मामले में जांच जारी है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को दिवाली से पहले अपने मंत्रियों को दिए डिनर के मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ नाम बताए जाएंगे। केंद्रीय कैबिनेट में शिवसेना के एकमात्र प्रतिनिधि अनंत गीते भी इस डिनर में मौजूद थे।
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान विदेशों में भारतीयों द्वारा जमा कराए गए काले धन के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था और वादा किया था कि उसकी सरकार इसे वापस लाएगी। सरकार ने पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि संबंधित देशों से हुए समझौते के तहत ब्लैक मनी जमा करने वालों के नाम सार्वजनिक तौर पर उजागर नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन जांच एजेंसियों को नाम दिए जा सकते हैं। इसे लेकर बीजेपी पर अपने रुख से यू-टर्न लेना का आरोप लगाते हुए कांग्रेस और दूसरी विरोधी पार्टियों ने हमला बोला था।

विपक्ष के आरोपों के जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, 'हमें नामों को सार्वजनिक करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उन्हें विधिवत कानूनी प्रक्रिया के तहत ही सार्वजनिक किया जा सकता है। डीटीएए (दोहरे कराधान से बचाव की संधि) इसमें बाधा बन रही है, जिस पर जर्मनी और तत्कालीन यूपीए सरकार के बीच 19 जून, 1995 को हस्ताक्षर किया गया था।' जेटली ने यह बयान स्विट्जरलैंड से लौटे प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के बाद दिया था। अधिकारियों के दौरे से यह बात भी सामने आई थी कि जिनीवा के एचएसबीसी बैंक में 700 भारतीयों के अकाउंट हैं। यह लिस्ट भारत को फ्रेंच अधिकारियों की ओर से उपलब्ध कराई गई है।

Monday, October 20, 2014

सरकार के लिए इकनॉमिक रिफॉर्म्स करना आसान

महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव के बाद अगले 1 साल तक सिर्फ 2 राज्यों में चुनाव होंगे। इससे नरेंद्र मोदी सरकार के लिए इकनॉमिक रिफॉर्म्स करना आसान हो सकता है। आर्थिक सुधारों की शुरुआत संसद के शीतकालीन सत्र से की जा सकती है। उसके बाद अगले फाइनैंशल ईयर का बजट पेश किया जाएगा। अगर सरकार रिफॉर्म्स की राह पर आगे बढ़ती है तो इकनॉमिक ग्रोथ तेज करने और रोजगार के मौके बढ़ाने में मदद मिलेगी। 
महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव के चलते मोदी सरकार ने कुछ अहम फैसलों को टाल दिया था। अगले साल की शुरुआत में सिर्फ जम्मू-कश्मीर और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए सरकार के लिए पॉलिसी रिफॉर्म करना आसान हो सकता है। अगले साल के अंत में बिहार में चुनाव होंगे, जहां बीजेपी जेडी (यू) से सत्ता छीनने की कोशिश करेगी।
 
पॉलिसी रिफॉर्म्स की शुरुआत सरकार ने शनिवार शाम से ही कर दी। उसने डीजल को डीकंट्रोल कर दिया और गैस के दाम बढ़ाए। इससे एनर्जी एक्सप्लोरेशन और प्रॉडक्शन बढ़ाने में मदद मिलेगी। बीजेपी के एक सीनियर लीडर ने बताया कि आने वाले दिनों में और बड़े रिफॉर्म्स का ऐलान हो सकता है। बड़े सरकारी अफसरों ने भी इसकी पुष्टि की। 
पॉलिसी मेकिंग से जुड़े एक बड़े अफसर ने कहा, 'सरकार ने साफ संकेत दिए हैं कि वह पेंडिंग रिफॉर्म्स पर आगे बढ़ेगी। जहां भी रिफॉर्म की जरूरत होगी, उसे किया जाएगा और हम इसके लिए तैयार हैं।' इस मामले में बार्कलेज कैपिटल के सिद्धार्थ सान्याल ने कहा, '2015 के अंत तक सरकार के पास काफी काम करने की गुंजाइश है। इस दौरान सिर्फ दो राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।' सरकार का अगला कदम कैबिनेट विस्तार का हो सकता है। इसमें कुछ अहम पोर्टफोलियो में बदलाव किए जा सकते हैं।
 
पिछले हफ्ते ब्यूरोक्रेसी में भी बड़े बदलाव हुए थे। फाइनैंस मिनिस्ट्री में इस बदलाव के बाद जो नई टीम बनी है, उससे इकनॉमिक रिफॉर्म्स तेज किए जाने के संकेत मिलते हैं। सरकार इकनॉमिक ग्रोथ तेज करने की कोशिश कर रही है। मोदी सरकार ने अरविंद सुब्रमण्यन को नया चीफ इकनॉमिक एडवाइजर बनाया है, जबकि राजीव महर्षि को इकनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी का पद दिया गया है।
 
अप्रैल-जून क्वॉर्टर में जीडीपी ग्रोथ 5.7 पर्सेंट रही थी, जो 9 तिमाहियों में सबसे अधिक है। हालांकि जुलाई और अगस्त महीने में से हरेक में इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन में सिर्फ 0.4 पर्सेंट ही रही। मोदी सरकार इनवेस्टमेंट रिवाइवल की कोशिश भी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के कैंसल किए गए कोल ब्लॉक्स की नीलामी की तैयारी चल रही है। फाइनैंशल सेक्टर रिफॉर्म्स पर भी काम हो रहा है, जिसका सुझाव फाइनैंशल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉर्म्स कमिशन (एफएसएलआरसी) ने दिया था। इंश्योरेंस रेग्युलेशन, जीएसटी, इनफ्लेशन को लेकर सॉलिड स्ट्रैटेजी, लेबर रिफॉर्म्स और बिजनस को आसान बनाने वाले प्रशासनिक उपाय शामिल 

Thursday, October 16, 2014

नरेंद्र मोदी के जुए पर फैसला

महाराष्ट्र और हरियाणा के वोटरों ने नरेंद्र मोदी के जुए पर अपना फैसला सुना दिया है। क्या इस जुए में उन्हें जीत मिलेगी? मोदी के लिए महाराष्ट्र में शिवसेना से 25 साल पुराना गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव लड़ना जुआ ही था। इसी तरह से बीजेपी ने हरियाणा में डेरा सच्चा सौदा का समर्थन लेकर अकालियों के साथ रिश्ते को दांव पर लगाया है। 
जिंदगी में जो लोग कुछ हासिल करते हैं, उन्हें रिस्क लेने पड़ते हैं। किसान के लिए मॉनसून सीजन में खेती अब भी जुआ है। उद्यमियों के लिए नई टेक्नॉलजी पर दांव लगाना जुआ हो सकता है। युवा प्रेमियों के लिए नकारे जाने के डर के बीच अपनी चाहत का इजहार करना भी जुआ है। उन्हें तो मोदी राज में नैतिकता के ठेकेदारों के डर का भी सामना करना है।  नेताओं को हमेशा फैसले करने पड़ते हैं और किसी भी फैसले में आपको चुनना पड़ता है। इसमें गलत चॉइस का डर छिपा रहता है। गैंबलर वह होता है, जो ऐसा दांव लगाए, जो वह नहीं लगाना चाहता है। क्या मोदी ने भी ऐसा किया है? लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करके केंद्र में आने वाले मोदी ने विधानसभा चुनाव के पहले फेज से झारखंड और दिल्ली को अलग रखा है। इस फेज में चुनाव सिर्फ महाराष्ट्र और हरियाणा में हो रहे हैं। 
अगर विधानसभा चुनाव में जीत मोदी के लिए इतना महत्वपूर्ण है, तो उन्होंने शिवसेना के साथ बरसों पुराना गठबंधन क्यों तोड़ा? यहीं पर मोदी के जुए वाली पहलू आता है। उन्हें पता है कि उनकी अपील के चलते लोकसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना को महाराष्ट्र में शानदार जीत मिली थी। इसलिए वह अपनी लोकप्रियता का फायदा उठाकर राज्य में बीजेपी को बड़ा पार्टनर बना सकते हैं। उन्होंने अपनी लोकप्रियता दांव पर लगाकर शिव सेना के साथ अलायंस तोड़ा है। 
हरियाणा में बीजेपी के पास जाना-पहचाना चेहरा नहीं है। यहां की राजनीतिक लड़ाई 'मैनिपुलेटिव ट्रेडर' और 'सम्मानित किसान' के बीच होती है। इसलिए मोदी ने पुराने सहयोगियों को छोड़कर इस पारंपरिक ट्रेंड को बदलने का जुआ खेला है। इसके लिए भी उन्होंने अपनी लोकप्रियता दांव पर लगाई है  यह मोदी का जुआ खेलने वाला पहलू ही था, जिसके चलते वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में ट्रेड फैसिलिटेशन डील से भारत पीछे हट गया, जबकि देश को पिछले साल पहले ही बाली में हुई डब्ल्यूटीओ मीटिंग में सब्सिडी सिस्टम को बदलने के लिए चार साल की मोहलत मिल चुकी थी। ये बदलाव डब्ल्यूटीओ के रूल्स के हिसाब से किए जाने थे। 
मोदी को लगता है कि भारत फूड सिक्यॉरिटी पर कितना पैसा खर्च करता है, इसमें दखल देने का अधिकार किसी को नहीं है। हालांकि डब्ल्यूटीओ में बने गतिरोध को आसानी से सुलझाया जा सकता था। इसके बावजूद फूड सब्सिडी पर तत्काल रियायत की शर्त रखकर मोदी ने जुआ खेला। उन्हें लगा कि वह इसके लिए अमेरिका को मना लेंगे। इससे उन्हें चाहने वाली जनता वर्ल्ड स्टेज पर देख पाती कि मोदी का सीना 56 इंच का है। हालांकि, यह दांव बेकार गया।
अमेरिका ने ट्रेड फैसिलिटेशन पर भारत को एकतरफा रियायत नहीं दी। पाकिस्तान के साथ बॉर्डर पर फायरिंग मामले में भी उन्होंने यही जुआ खेला। उन्हें लगा कि पहले पाकिस्तान की आर्मी को झुकना होगा। हालांकि महाराष्ट्र के जुए के मोदी के लिए गंभीर नतीजे हो सकते हैं। अगर वह यह जुआ जीतते हैं तो इससे उन्हें आगे बड़े दांव लगाने का हौसला मिलेगा। बहरहाल जो भी हो, पासा तो वह फेंक ही चुके हैं। 

पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी

मोबाइल फोन उपभोक्ता देश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाने के बावजूद अपना वर्तमान नंबर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए जल्द ही पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) की सुविधा मिलने वाली है। वर्तमान में मोबाइल उपभोक्ताओं को समान सेवा क्षेत्रों में ही ऑपरेटर बदलने की सुविधा है। मसलन, दिल्ली एनसीआर में कोई उपभोक्ता दिल्ली एनसीआर में ही नंबर बदले बिना ऑपरेटर बदल सकता है।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी लागू करने के लिए 31 मार्च, 2015 की समय सीमा तय की है। उसने कहा, 'टेलिकॉम कमिशन ने पूर्ण एमएनपी पर ट्राई की सिफारिशें स्वीकार ली हैं।' कमिशन के निर्णय को अंतिम मंजूरी के लिए अब टेलिकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद के सामने रखा जाएगा।

पूर्ण एमएनपी के तहत उपभोक्ता देश में कहीं भी जाने पर अपना पुराना नंबर बरकरार रख सकेंगे। ट्राई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, करीब 13 करोड़ लोगों ने 31 अगस्त तक एमएनपी सुविधा के लिए अनुरोध किया है। ट्राई ने पूर्ण एमएनपी पर अपनी सिफारिश में प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने की तिथि से छह माह का समय दूरसंचार कंपनियों को देने का सुझाव दिया है ताकि वे अपने नेटवर्क में आवश्यक बदलाव कर सकें।

Tuesday, October 14, 2014

पाकिस्तान को यूएन ने झटका दिया

कश्मीर मामले पर पाकिस्तान को यूएन ने झटका दिया है। कश्मीर मामले में दखल देने की पाकिस्तान की मांग को संयुक्त राष्ट्र संघ ने ठुकरा दिया है। यूएन ने कहा कि है भारत और पाकिस्तान मिलकर इस मसले को सुलझाएं।
पिछले हफ्ते के आखिर में पाकिस्तान ने भारत पर सीजफायर तोड़ने का आरोप लगाते हुए यूएन को एक चिट्ठी भेजी थी। इसमें कहा गया था कि भारत लगातार एलओसी पर फायरिंग कर रहा है। इसके साथ ही मांग की गई थी कि लंबे समय से लटके पड़े कश्मीर मामले को सुलझाने के लिए यूएन पहल करे।
यूएन ने पाकिस्तान की इस चिट्ठी पर जवाब देते हुए कश्मीर मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान का प्रस्ताव ठुकराते हुए यूएन ने कहा कि इस मसले को भारत और पाकिस्तान दोनों को सुलझाना होगा।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी कश्मीर का राग आलापा था। उन्होंने कश्मीर में जनमतसंग्रह की बात उठाते हुए भारत पर ताना मारा था कि वह 6 दशक पहले किए गए इस वादे को पूरा नहीं कर पाया है।

Thursday, October 9, 2014

कई तथ्यों को छिपाया गया

एम्स के सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को पद से हटाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हेल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन से फोन पर चर्चा की और उनसे विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद हेल्थ सेक्रेटरी ने प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा, अतिरिक्त प्रधान सचिव पी. के. मिश्रा और कैबिनेट सचिव अजीत सेठ को पांच पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में प्रधानमंत्री को भी पूरी जानकारी नहीं दी गई है। कई तथ्यों को छिपाया गया है।
प्रधानमंत्री और हेल्थ मिनिस्टर के बीच संजीव चतुर्वेदी को लेकर हुई बातचीत और उन्हें सौंपी गई रिपोर्ट की कॉपी एनबीटी के पास है। इसमें कहीं भी बीजेपी के महासचिव जे पी नड्डा का नाम नहीं है, जबकि हेल्थ मिनिस्ट्री के रिकॉर्ड से साफ है कि नड्डा पिछले एक साल से संजीव को सीवीओ पद से हटाने के लिए लेटर लिख रहे थे। नड्डा ने इस बारे में अंतिम लेटर डॉ हर्षवर्धन को हेल्थ मिनिस्टर बनने पर 25 जून को लिखा था, जिसमें उन्होंने संजीव को सीवीओ के पद से हटाने के साथ-साथ अपनी पसंद के नए सीवीओ लाने, संजीव को उनके कैडर वापस भेजने और संजीव के द्वारा शुरू की गई जांचों को रोकने की मांग की थी। इस लेटर के बाद ही मिनिस्ट्री ने संजीव को हटाने का प्रस्ताव लाया।
तीन महीने पहले जिस हेल्थ सेक्रेटरी ने नड़्डा के लेटर के बाद 23 मई 2014 को यह निर्णय लिया था कि संजीव की नियुक्ति में सारी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं, उन्होंने ही पीएमओ को अपनी रिपोर्ट में संजीव को हटाने का पुरजोर समर्थन किया है। हेल्थ सेक्रेटरी ने लिखा है कि संजीव की नियुक्ति को एम्स की जीबी और आईबी से अप्रूवल नहीं थी जबकि उन्होंने 23 मई को अपनी फाइल पर लिखा है कि संजीव की नियुक्ति को जीबी की 144वीं मीटिंग नवंबर 2010 और आईबी की 144वीं मीटिंग जनवरी 2012 में अप्रूवल मिल चुका है।

रिपोर्ट में पीएमओ को अधूरी जानकारी दी गई है जिसमें यह भी कहा गया है कि संजीव को एम्स के सीवीओ के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त किया गया है, जबकि इंस्टिट्यूट द्वारा 7 जुलाई 2012 को जारी नियुक्ति लेटर में स्पष्ट लिखा है कि सीवीओ का कार्यभार ही उनका मुख्य काम होगा और बाकी काम अतिरिक्त प्रभार होगा। सूत्रों का कहना है कि जिस फाइल के पेज नंबर 67 पर हेल्थ सेक्रेटरी ने जे पी नड्डा की सारी बातें खारिज की हैं, उसी फाइल के पेज नंबर 71 पर नड्डा की मांगों का समर्थन करते हुए संजीव को हटा दिया गया। सवाल है कि मोदी के हस्तक्षेप के बाद भी क्या संजीव को हटाने के पीछे की वजह का पर्दाफाश होगा या समय के साथ बात ऐसे ही दब जाएगी?

Wednesday, October 8, 2014

पहले पत्नी की हत्या की और बाद में खुदकुशी

औलाद के सुख से वंचित एक शख्स ने सेक्टर-12 में अपने घर में सोमवार रात वाइफ की गला रेत कर हत्या करने के बाद खुदकुशी कर ली। देर रात फ्लैट में पति-पत्नी की लाशें पड़ी होने की सूचना के बाद मौके पर एसएसपी समेत तमाम आलाधिकारी पहुंचे। महिला का गला किचन नाइफ से रेता हुआ था जबकि कलाई भी कटी हुई थी। उधर, पति की भी कलाई कटी हुई है और वह फांसी के फंदे पर लटका हुआ मिला। मौके से पुलिस को दो स्यूसाइड नोट मिले हैं। परिजनों ने पुलिस को बताया है कि संतान नहीं होने के चलते दोनों कई साल से परेशान थे।
एसएचओ सेक्टर-24 पंकज पंत ने बताया कि ग्रेटर नोएडा की एक दवा कंपनी में अकाउंटेंट रोहित वात्ताल अपनी वाइफ रश्मि के साथ सेक्टर-12 के डब्ल्यू-195 के टॉप फ्लोर पर किराये पर रह रहे थे। रोहित मूल रूप से जम्मू के रहने वाले थे। यह लोग करीब दस साल से इसी फ्लैट में रह रहे थे। शाम को सप्लाई का पानी आने पर यह लोग मकान मालिक की टंकी भी भरते थे। शाम करीब 6:30 बजे मकान मालकिन ने उन्हें पानी के बारे में पूछने के लिए फोन किया, लेकिन किसी ने उठाया नहीं। रात करीब 10:30 बजे मकान मालिक का बेटा जब छत पर गया तो उसने फ्लैट में झांक कर देखा। अंदर रश्मि की लाश फर्श पर बिछे बिस्तर पर खून से लथपथ पड़ी थी, जबकि अंदर वाले कमरे में रोहित फंदे से लटका हुआ था। मकान मालिक ने तुरंत पुलिस को उसकी सूचना दी। एसएचओ ने बताया कि हालात बता रहे हैं कि पति ने पहले पत्नी की हत्या की और बाद में खुदकुशी कर ली। महिला की हत्या करने के बाद रोहित वॉशरूम भी गया था। कमोड के पास खून से सने पैर के पंजे के निशान बने हैं।

फ्लैट में दो लाशें पड़ी होने की सूचना के बाद तमाम आलाधिकारी मौके पर पहुंचे। मौके पर पुलिस को दो स्यूसाइड नोट बरामद हुए हैं, जो एक ही हैंडराइटिंग में हैं। इनमें लिखा है कि उनका सामान किसी जरूरतमंद को दे दिया जाए। उनकी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है, लिहाजा किसी को परेशान न किया जाए। उनके शरीर को मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर दिया जाए। मकान मालिक के बारे में नोट में लिखा है कि वे अच्छे लोग हैं। उनके घर में ऐसा किया, इसके लिए माफ कर दें।

शवों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में महिला का गला और कलाई कटी होने और पति के फंदे पर लटकने के चलते मौत की बात सामने आई है। रोहित के माता-पिता की मौत हो चुकी है, जबकि उसकी तीनों बहनें शादीशुदा हैं। इनमें एक बहन, जीजा और साढ़ू बुधवार को नोएडा पहुंचे और कानूनी औपचारिकता पूरी की। इन्होंने पुलिस को बताया है कि दोनों संतान नहीं होने के चलते कई दिनों से परेशान थे। 

Tuesday, October 7, 2014

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास 1.26 करोड़ रुपए की संपत्ति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास 1.26 करोड़ रुपए की संपत्ति है जबकि रक्षा और वित्त मंत्री अरुण जेटली मोदी कैबिनेट के सबसे धनी मंत्री हैं और उनके पास 72.10 करोड़ रुपए की संपत्ति है।
प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के अन्य 44 सदस्यों द्वारा घोषित संपत्ति एवं देनदारियों के ब्योरे के मुताबिक केंद्रीय मंत्रियों में शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू के पास सबसे कम 20.45 लाख रुपए की संपत्ति है। इन ब्योरों को सोमवार को सार्वजनिक किया गया।

महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के पास 37.68 करोड़ रुपए की संपत्ति है जबकि कोयला एवं बिजली मंत्री पीयूष गोयल के पास 31.67 करोड़ रुपए और अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला के पास 29.70 करोड़ रुपए की संपत्ति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कुल 22 कैबिनेट मंत्रियों में 17 मंत्री करोड़पति हैं।
मंत्री जो करोड़पति नहीं हैं, उस सूची में 39.88 लाख रुपए के साथ खाद्य मंत्री रामविलास पासवान का भी नाम है। इसके साथ ही, श्रम एवं रोजगार मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पास 44.90 लाख रुपए, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के पास 48.54 लाख रुपए जबकि रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार के पास 60.62 लाख रुपए की संपत्ति है। नायडू के पास 20.45 लाख रुपए की संपत्ति है।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के पास 2.56 करोड़ रुपए की संपत्ति है वहीं, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पास 2.73 करोड़ रुपए की संपत्ति है। इसके अलावा हरियाणा के पलवल में कुछ कृषि भूमि है। कानून एवं दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद के पास 14.91 करोड़ रुपए की संपत्ति है जबकि परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के पास 3.34 करोड़ रुपए की संपत्ति है। उमा भारती के पास 1.62 करोड़ रुपए की संपत्ति है।
पीएम कैबिनेट के अन्य मंत्रियों में, आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल उरांव के पास 1.77 करोड़ रुपए, कलराज मिश्र के पास 72.11 लाख रुपए और प्रकाश जावडेकर के पास 1.05 करोड़ रुपए की संपत्ति है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह 2.47 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं वहीं, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के पास 4.15 करोड़ रुपए की संपत्ति है।
जनरल वी के सिंह ने 68.76 लाख रुपए की संपत्ति की घोषणा की है जबकि निर्मला सीतारमण के पास 1.03 करोड़ रुपए की संपत्ति है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के पास 2.67 करोड़ रुपए व गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू के पास 66.65 लाख रुपए की संपत्ति है।

Saturday, October 4, 2014

भगदड़ में 33 लोगों की मौत

बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में शुक्रवार रात दशहरे पर रावण दहन के दौरान मची भगदड़ में 33 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 लोग घायल हो गए। मृतकों की तादाद बढ़ने की आशंका है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बिजली के पोल में स्पार्क होने से जोरदार आवाज पैदा हुई, जिससे कई लोगों को लगा कि बम धमाका हुआ है। इसके बाद मैदान में भगदड़ मच गई।
बिहार के गृह सचिव और एडीजी गुप्तेश्वर पांडे ने भगदड़ में अभी तक 33 लोगों की मौत की खबर की पुष्टि की है। इस भगदड़ में घायल हुए लोगों को पटना के पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है। मरने वालों ने महिलाओं और बच्चों की तादाद सबसे अधिक है। केंद्र सरकार ने पीएम राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50 हजार रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है। पटना हादसे के बाद हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है।

शुक्रवार को गांधी मैदान में हर साल की तरह विजयादशमी के दौरान रावण दहन का आयोजन किया गया था। लोग पूरे परिवार के साथ मेले में शामिल होने के लिए आए थे। बताया जा रहा है कि मेले में करीब 5 लाख लोग आए थे। लेकिन मेले के खत्म होने के ठीक बाद मची भगदड़ ने रंग में भंग डाल दिया। चश्मदीदों के मुताबिक रावण दहन के दौरान जब लोग घरों की ओर लौट रहे थे, उसी समय यह भगदड़ मची। लोग बदहवास होकर इधर-उधर भागने लगे, जिससे लोग कुचलते चले गए। इस हादसे का शिकार सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे हुए।
इस भगदड़ के दौरान कई लोग अपने परिजनों और बच्चों से भी बिछड़ गए। बच्चों की तलाश में बिलखते परिजन भगदड़ के बाद उन्हें इधर-उधर तलाशते रहे। वहीं परिजनों से बिछड़े कई बच्चे गांधी मैदान में एक तरफ खड़े रोते-बिलखते मिले। वहीं दूसरी तरफ गांधी मैदान में जहां-तहां बिखरे जूते चप्पल और सामान भगदड़ की भयावहता की गवाही दे रहे हैं।
पटना के गांधी मैदान में भगदड़ के बाद का दृश्य बेहद हिला देने वाला था। हरी साड़ी पहने एक महिला मैदान पर बेसुध होकर पड़ी थी, वहीं छोटे-छोटे बच्चों के चप्पल जहां-तहां बिखरे पड़े थे। हादसे के ठीक बाद लोग खुद ही घायलों को अस्पताल पहुंचाने में जुट गए। कई लोग बेसुध बच्चों को लेकर अस्पताल की ओर दौड़ते दिखाई दिए।

Wednesday, October 1, 2014

हर पखवाड़े रेडियो के जरिये लोगों से संवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय किया है कि वह हर पखवाड़े रेडियो के जरिये लोगों से संवाद करेंगे। उनके इस फैसले से आकाशवाणी को अपनी रिब्रांडिंग होने की उम्मीद दिख रही है। आकाशवाणी के जरिये लोगों से पीएम की बातचीत की शुरुआत 3 अक्टूबर से होगी। 
जब देश में मास कम्युनिकेशन के साधनों की कमी थी, उस वक्त आकाशवाणी ही लोगों के लिए सूचना का बड़ा स्रोत हुआ करता था। हालांकि, पहले दूरदर्शन, फिर प्राइवेट टीवी चैनलों और बाद में प्राइवेट एफएम रेडियो ने इस सरकारी रेडियो ब्रॉडकास्टर को हाशिये पर धकेल दिया। राजनेता जहां टीवी के जरिये अपनी बात रखना पसंद करते हैं, वहीं रेडियो एंटरटेनमेंट के नाम पर लोगों ने प्राइवेट एफएम चैनलों से नाता जोड़ लिया है। 

पीएम ने केवल आकाशवाणी के जरिये लोगों से बात करने का जो फैसला किया है, उससे इस सरकारी रेडियो ब्रॉडकास्टर की ओर लोगों का ध्यान जरूर मुड़ेगा। आकाशवाणी ने भी इसके लिए पूरी तैयारी में है। इससे वाकिफ अधिकारियों ने बताया कि पीएम के सरकारी आवास 7 रेसकोर्स रोड में आकाशवाणी का एक स्टूडियो बनाया जा रहा है। यहां उसी तरह की सुविधाएं होंगी, जो अमेरिका के राष्ट्रपति के ओवल ऑफिस में हैं। 
एक अधिकारी ने बताया, 'ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जा चुका है।' पीएम की यह चैट तकरीबन पूरे देश में सुनी जाएगी। आकाशवाणी की ब्रैंड इमेज भले ही कमजोर हुई हो, यह अब भी देश में सबसे ज्यादा एरिया कवर करता है। ऑल इंडिया रेडियो की पहुंच देश की 99.20% आबादी तक है। देश के 92.6% भूभाग को यह कवर करता है। 
एआईआर के डायरेक्टर जनरल एफ शहरयार ने कहा, 'प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस के मौके पर या कोई आपदा आने की स्थिति में ही रेडियो का उपयोग करते थे। इस बार मामला अलग है। हमें बताया गया है कि पीएम हर पखवाड़े एक बार आकाशवाणी के जरिये लोगों से बातचीत करेंगे।' इस काम में दूरदर्शन भी हाथ बंटाएगा। देश के 90% हिस्से तक पहुंच रखने वाला दूरदर्शन एआईआर की ऑडियो फीड प्रसारित करेगा। 
अधिकारियों ने बताया कि प्राइवेट एफएम चैनल भी एआईआर की फीड प्रसारित कर सकते हैं। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। रेडियो के जरिये नियमित रूप से संवाद की शुरुआत अमेरिका के प्रेसिडेंट फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने की थी। तब रेडियो की वही हैसियत थी, जो आज टीवी की है। महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के असर से जूझ रहे अमेरिकियों से बातचीत में रूजवेल्ट ने रेडियो को जरिया बनाया था। अमेरिकी प्रेजिडेंट रोनाल्ड रीगन ने 1982 में इस परंपरा को दोबारा शुरू किया। मौजूदा अमेरिकी प्रेजिडेंट बराक ओबामा हर हफ्ते विडियो चैट करते हैं।