सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे किसी राजनीतिज्ञ के खिलाफ जांच का आदेश नहीं दे सकता क्योंकि यह काम जांच एजेंसियों का है। अदालत ने यह बात सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए दी। चामलिंग पर ज्ञात स्त्रोतों से अधिक संपत्ति जुटाने का आरोप है। चीफ जस्टिस के. जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय डिविजन बेंच ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट प्रॉसिक्यूशन का निर्देश देता है तो यह अभियुक्त के लिए गंभीर पूर्वाग्रह पैदा करेगा जिसके दूरगामी असर हो सकते हैं। हो सकता है कि आखिरकार सुप्रीम कोर्ट को ही अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाना पड़े। डिविजन बेंच ने याचिकाकर्ता विपक्ष के नेता कुंगामिना लेपचा से कहा कि अगर उन्हें ऐसी कोई शिकायत है तो वह संबंधित जांच एजेंसी से संपर्क साधें। ऐसे मामलों में जांच शुरू करने का जिम्मा स्पष्ट तौर पर राज्य पुलिस, सीबीआई या केंद्रीय सतर्कता आयोग जैसी जांच एजेंसियों का है। अदालत ने कहा कि कोई व्यक्ति उसी मामले में सीधे रिट याचिका दायर कर सकता है, जहां मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ हो। उसने याचिकाकर्ता की यह दलील नहीं मानी कि जनता के धन का गबन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर आप सोचते हैं कि आपके पास अपनी बात के सपोर्ट में पर्याप्त सामग्री है तो आप उन्हें सीआरपीसी से जुड़े प्रावधानों के तहत संबंधित एजेंसियों के सामने रखकर जांच की मांग कर सकते हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment