शादी से पहले सेक्स अपराध नहीं है। लिव-इन रहना भी अपराध नहीं है। ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। चीफ जस्टिस के. जी. बालाकृष्णन, जस्टिस दीपक वर्मा और जस्टिस बी. एस. चौहान की बेंच ने मंगलवार को कहा, 'जब दो लोग साथ रहना चाहते हैं, तो इसमें अपराध क्या है। क्या यह कोई अपराध लगता है? साथ रहना कोई अपराध नहीं है। यह अपराध हो ही नहीं सकता।' कोर्ट ने तो यहां तक कहा कि मिथॉलजी के मुताबिक भगवान कृष्ण और राधा भी साथ रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो लिव-इन रिलेशनशिप या शादी से पहले सेक्स को रोकता हो। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात साउथ की मशहूर ऐक्ट्रेस खुश्बू के एक मामले में कही। खुश्बू पर 22 क्रिमिनल केस दर्ज हैं। उन्होंने इन मामलों को खारिज करने के लिए अपील की थी। ये सभी मामले खुश्बू के 2005 के उस इंटरव्यू के बाद दर्ज हुए थे, जिसमें उन्होंने शादी से पहले सेक्स को सही बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा। विरोधी वकील का तर्क था कि ऐक्ट्रेस के बयान शादी से पहले सेक्स को बढ़ावा देते हैं। इससे नौजवानों पर असर पड़ेगा और देश के नैतिक मूल्यों में गिरावट आएगी। कोर्ट ने जीवन और स्वतंत्रता के मूल अधिकार का हवाला देते हुए वकील से पूछा कि बताइए, किस सेक्शन के तहत कौन सा अपराध हुआ है। साथ रहना तो जीने का अधिकार है।
Tuesday, March 23, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment