रेल किराए में बढ़ोतरी के झटके बाद मोदी सरकार
फिलहाल तीन महीने तक गैस कीमतें बढ़ाने का कड़वा डोज नहीं देगी। रिलायंस को झटका
देते हुए कैबिनेट ने गैस के दाम बढ़ाने का फैसला 3 महीने के लिए टाल दिया है। वह इस मामले को अच्छी तरह समझना
चाहती है और उसके बाद आम लोगों के हित को ध्यान में रखकर कोई फैसला करना चाहती है।
यह रिलायंस इंडस्ट्रीज और ओएनजीसी जैसी तेल और गैस कंपनियों के लिए झटका है। इससे
उन एक्सपर्ट्स की उम्मीदें भी टूटी हैं, जो मोदी सरकार से
जल्द बिजनेस-फ्रेंडली फैसले की उम्मीद कर रहे थे।
3 महीने में दूसरी बार सरकार ने गैस प्राइस बढ़ाने का मामला टाला है, जो रिलायंस और ओएनजीसी के कई अरब डॉलर के इनवेस्टमेंट के लिहाज से काफी अहमियत रखता है। यूपीए सरकार की कैबिनेट ने रंगराजन फॉर्म्युले के हिसाब से गैस की कीमत तय करने को मंजूरी दी थी। इससे गैस का दाम 1 अप्रैल से 8.4 डॉलर प्रति यूनिट हो जाता। हालांकि, चुनाव आयोग ने आचार संहिता की वजह से इसे रोक दिया था, जिसकी इंडस्ट्री ने आलोचना की थी। इंडस्ट्री का कहना था कि गैस का दाम डबल करना पॉपुलिस्ट और वोट हासिल करने वाला कदम नहीं है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को बताया कि आर्थिक और उपभोक्ता मामलों की कैबिनेट कमिटी ने गैस की कीमत में बढ़ोतरी को टालने का फैसला किया है। सितंबर तक गैस 4.2 डॉलर के भाव पर मिलती रहेगी। इस प्राइस को 5 साल के लिए मंजूरी दी गई थी, जिसकी मियाद इस साल 31 मार्च को खत्म हो गई। प्रधान ने कहा कि रंगराजन फॉर्म्युले सहित पूरे मामले की समीक्षा की जाएगी। जानकारों का कहना है कि इस फैसले से सरकारी खजाने पर दबाव भी नहीं बढ़ेगा और महंगाई बढ़ने की आशंका भी कम होगी। इससे बिजली और फर्टिलाइजर कंपनियों को भी राहत मिलेगी। हालांकि इससे ऑयल और गैस फील्ड्स में इनवेस्टमेंट पर नेगेटिव असर हो सकता है। कंपनियों का कहना है कि वे गैस की मौजूदा कीमत पर ये इनवेस्टमेंट नहीं कर सकतीं।
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने सरकार के इस फैसले पर ट्वीट कर कहा कि सरकार को नैचरल गैस की कीमतें बढ़ाने के निर्णय को महज तीन महीने टालने की जगह इसे पूरी तरह खारिज कर देना चाहिए।
सत्ताधारी बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि सत्ता में आने पर वह गैस के दाम के मुद्दे का समाधान निकालेगी। इस फॉर्म्युले का कई तरफ से विरोध हुआ है, क्योंकि इससे बिजली महंगी हो जाएगी और यूरिया का खर्च, सीएनजी की दर और पाइप से आपूर्ति होने वाली रसोई गैस के दाम बढ़ जाएंगे। लेकिन उद्योग जगत के संगठन सीआईआई ने सरकार को गैस के दाम पर लिए गए फैसले को लागू करने की मांग करते हुए कहा है कि इससे पीछे हटने पर तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश पर बुरा असर पड़ेगा।
3 महीने में दूसरी बार सरकार ने गैस प्राइस बढ़ाने का मामला टाला है, जो रिलायंस और ओएनजीसी के कई अरब डॉलर के इनवेस्टमेंट के लिहाज से काफी अहमियत रखता है। यूपीए सरकार की कैबिनेट ने रंगराजन फॉर्म्युले के हिसाब से गैस की कीमत तय करने को मंजूरी दी थी। इससे गैस का दाम 1 अप्रैल से 8.4 डॉलर प्रति यूनिट हो जाता। हालांकि, चुनाव आयोग ने आचार संहिता की वजह से इसे रोक दिया था, जिसकी इंडस्ट्री ने आलोचना की थी। इंडस्ट्री का कहना था कि गैस का दाम डबल करना पॉपुलिस्ट और वोट हासिल करने वाला कदम नहीं है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को बताया कि आर्थिक और उपभोक्ता मामलों की कैबिनेट कमिटी ने गैस की कीमत में बढ़ोतरी को टालने का फैसला किया है। सितंबर तक गैस 4.2 डॉलर के भाव पर मिलती रहेगी। इस प्राइस को 5 साल के लिए मंजूरी दी गई थी, जिसकी मियाद इस साल 31 मार्च को खत्म हो गई। प्रधान ने कहा कि रंगराजन फॉर्म्युले सहित पूरे मामले की समीक्षा की जाएगी। जानकारों का कहना है कि इस फैसले से सरकारी खजाने पर दबाव भी नहीं बढ़ेगा और महंगाई बढ़ने की आशंका भी कम होगी। इससे बिजली और फर्टिलाइजर कंपनियों को भी राहत मिलेगी। हालांकि इससे ऑयल और गैस फील्ड्स में इनवेस्टमेंट पर नेगेटिव असर हो सकता है। कंपनियों का कहना है कि वे गैस की मौजूदा कीमत पर ये इनवेस्टमेंट नहीं कर सकतीं।
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने सरकार के इस फैसले पर ट्वीट कर कहा कि सरकार को नैचरल गैस की कीमतें बढ़ाने के निर्णय को महज तीन महीने टालने की जगह इसे पूरी तरह खारिज कर देना चाहिए।
सत्ताधारी बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि सत्ता में आने पर वह गैस के दाम के मुद्दे का समाधान निकालेगी। इस फॉर्म्युले का कई तरफ से विरोध हुआ है, क्योंकि इससे बिजली महंगी हो जाएगी और यूरिया का खर्च, सीएनजी की दर और पाइप से आपूर्ति होने वाली रसोई गैस के दाम बढ़ जाएंगे। लेकिन उद्योग जगत के संगठन सीआईआई ने सरकार को गैस के दाम पर लिए गए फैसले को लागू करने की मांग करते हुए कहा है कि इससे पीछे हटने पर तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश पर बुरा असर पड़ेगा।
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