Wednesday, June 11, 2014

यह सरकार अंडरपरफॉर्म नहीं कर सकती

फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने कहा कि चुनाव में जबरदस्त जनादेश मिलने के बाद बनी मोदी सरकार से देश को काफी उम्मीदें हैं। ऐसे में यह सरकार अंडरपरफॉर्म नहीं कर सकती। जेटली के इस बयान से उन चुनौतियों पर ध्यान गया है, जिनका सामना मोदी सरकार कर रही है। जेटली ने यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले दो साल से देश की ग्रोथ 5 फीसदी से कम रही है, ऐसे ग्रोथ के लिए सरकार की क्या जरूरत है।
जेटली राज्यसभा में पार्टी के नेता के तौर पर राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में कांग्रेस विरोधी लहर और मोदी से उम्मीद के चलते बीजेपी गठबंधन को लोकसभा चुनाव में जीत हासिल हुई। उन्होंने कहा, 'हम पर उम्मीदों का बोझ काफी ज्यादा है क्योंकि लोग हमसे कहीं ज्यादा की उम्मीद कर रहे हैं।' राष्ट्रपति अभिभाषण में बीजेपी सरकार ने अपनी प्रायॉरिटीज के बारे में बताया था।
जेटली ने कहा कि मोदी सरकार के सामने 'करो या मरो' जैसी स्थिति है। उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार पर जमकर हमला बोला। जेटली ने कहा कि पिछली सरकार ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी और हमें ऐसी इकॉनमी दी है, जो भारी महंगाई और फिस्कल डेफिसिट जैसे चैलेंज का सामना कर रही है। इकनॉमिक ग्रोथ सुस्त है। इन्हीं वजहों के चलते विदेशी निवेशक देश से बाहर जा रहे हैं और डोमेस्टिक इन्वेस्टर्स दूसरे देशों में पैसा लगाने की सोच रहे हैं।
जेटली ने कहा, 'पिछले दो साल में भारत की जीडीपी ग्रोथ 5 पर्सेंट से कम रही है। यह अफसोस की बात है। भारत में अगर कोई सरकार नहीं भी होती तो ग्रोथ 5 पर्सेंट रहती।' उन्होंने पिछली कांग्रेस सरकार पर गरीबी मिटाने के बजाय उसे बढ़ाने का आरोप भी लगाया।
बीजेपी की लीडरशिप में एनडीए को लोकसभा चुनाव में 543 सीटों में से 336 पर जीत हासिल हुई। अकेले बीजेपी ने इन चुनावों में 282 सीटें जीतीं। इसके साथ वह 30 साल बाद अपने दम पर बहुमत हासिल करने वाली पार्टी बन गई। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटों पर जीत हासिल हुई, जो उसका सबसे खराब परफॉर्मेंस है।
जेटली ने कहा कि चुनावी नतीजे ने राजनीति को लेकर पारंपरिक सोच बदल दी है और गुड गवर्नेंस को केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा, 'लोग गवर्नेंस चाहते हैं। जिन लोगों को लगता था कि पॉलिटिकल लीडरशिप मेरिट के हिसाब से तैयार नहीं होती, जो लोग विरासत के भरोसे चल रहे थे, उन्हें जबरदस्त झटका लगा...जो खास जाति या समुदाय को लुभाने और वोट बैंक पॉलिटिक्स करते थे, उन पर करारी चोट पड़ी है।

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