Monday, June 23, 2014

देर तक ऑफिस में रुकना पड़ता है

नरेंद्र मोदी सरकार में सरकारी बाबुओं की जिंदगी थोड़ी मुश्किल हो गई है। उन्हें वक्त पर ऑफिस आना पड़ रहा है। जरूरत पड़ने पर देर तक ऑफिस में रुकना पड़ता है और यहां तक कि कभी-कभी छुट्टियों की भी कुर्बानी देने का मौका आ जा सकता है। दिल्ली जिम खाना में लंच और दिल्ली गोल्फ कोर्स की हरी घास पर चहलकदमी जैसे जिंदगी के मजे भी खत्म हो चुके हैं।
रक्षा मंत्रालय के दिल्ली ऑफिस में पिछले हफ्ते कर्मचारियों को एक नोटिस पर साइन करने को कहा गया, जिसमें सुबह 9 बजे तक दफ्तर आने या अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात थी। नतीजन, नियमित तौर पर देर से आने वाले कर्मचारी अब घर से आधा घंटा पहले ही चलने लगे हैं।
नौकरशाहों को केंद्रीय सचिवालय सरकारी ऑफिस कॉम्प्लेक्स ले जाने वाले बस के ड्राइवर राकेश तोमर को बस की टाइमिंग और पहले करने को कहा गया है। तोमर ने बताया, 'पहले मैं बस स्टॉप पर इंतजार करता था। अब वे लोग मेरा इंतजार कर रहे होते हैं।' इस कॉम्प्लेक्स के बाहर 9 बजे आपको कई कर्मचारी वक्त से रेस करते हुए नजर आ जाएंगे। देरी का मतलब बॉस की डांट है।
हाउसिंग मिनिस्ट्री में अगर कर्मचारी 15 से मिनट से ज्यादा लेट होते हैं, तो उन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारी को इसकी सूचना देनी पड़ती है। अटेंडेंस पर बायोमीट्रिक स्कैनर्स नजर रखते हैं और नियमित तौर पर लेट से आने वालों को 6 महीने के बाद नोटिस मिलेगा।
कई टॉप नौकरशाहों का अब इंडिया हैबिटाट सेंटर, इंडिया इंटरनैशनल सेंटर, दिल्ली गोल्फ क्लब और दिल्ली जिमखाना जैसी जगहों पर नियमित तौर पर आना-जाना बंद हो चुका है। ऐसा लगता है कि इस बात को लेकर अलिखित फरमान जारी हुआ है कि नौकरशाह गोल्फ खेलते हुए न दिखें। दिल्ली गोल्फ क्लब में तकरीबन 200 नौकरशाह मेंबर हैं। कामकाजी दिनों में कई अफसर यहां दोपहर में भी गोल्फ खेलते हुए पाए जाते थे। माना जा रहा है कि नियमित तौर पर गोल्फ खेलने वाले अफसरों को इस नियम का पालन करने को कहा गया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने हाल में ऑफिस मीटिंग के दौरान उस वक्त एक नौकरशाह की जमकर खिंचाई कर दी, जब इस शख्स को बातचीत के दौरान अपना सेल फोन ढूंढते हुए पाया। कई सीनियर ऑफिसर काफी लंबे समय तक काम कर रहे हैं। विशेष तौर पर पीएमओ में। ये लोग सुबह 8 बजे दफ्तर आते हैं और देर तक रुकते हैं। पीएमओ के एक अधिकारी ने बताया, 'खुद के लिए बिल्कुल भी वक्त नहीं मिल रहा है, फिर भी काम बचे हुए हैं।' एक और अधिकारी का कहना था कि ऑफिस की उनकी व्यस्तता के कारण उनकी पत्नी को पानी संकट की दिक्कत से खुद ही निपटना पड़ रहा है।

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