Thursday, July 25, 2013

क्या अगर इस देश में कोई मोदी का मुरीद नहीं तो उससे सम्मान छीन लेना चाहिए?

 क्या अगर इस देश में कोई मोदी का मुरीद नहीं तो उससे सम्मान छीन लेना चाहिए? यह बड़ा सवाल देश की सियासी फिजां में गूंजने लगा है। पिछले दिनों असहिष्णुता की बात करने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी मोदी की बुराई करने वाले नोबेल पुस्कार विजेता अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस लेने की बात कर रही है। सांसद और पार्टी प्रवक्ता चंदन मित्रा ने ट्वीट कर कहा है कि अमर्त्य सेन राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं, इसलिए अगर केंद्र में चुनाव के बाद एनडीए की सरकार बनी तो उसे अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस ले लेना चाहिए। मित्रा ने सेन को एक ऐसा अर्थशास्त्री बताया जो कांग्रेस की सोच आगे बढ़ा रहे हैं। गौरतलब है कि अमर्त्य सेन को 1998 में नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद 1999 में जब भारत-रत्न से सम्मानित किया गया था, तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की ही सरकार थी।
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि एक भारतीय होने के नाते वह बीजेपी चुनाव समिति के अध्यक्ष नरेंद्र मोदी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहेंगे। अमर्त्य सेन ने कहा था कि एक हिंदुस्तानी के रूप में मैं नहीं चाहता कि मोदी पीएम बनें। उन्होंने अल्पसंख्यकों को सुरक्षित महसूस कराने की पूरी कोशिश नहीं की। साथ ही उन्होंने विकास के मोदी मॉडल की भी आलोचना की थी।
अमर्त्य सेन के जवाब में पार्टी के प्रवक्ता चंदन मित्रा ने ट्वीट किया कि अगली एनडीए सरकार को उनसे भारत रत्न छीन लेना चाहिए। मित्रा ने अमर्त्य सेन पर कांग्रेस की बोली बोलने का भी आरोप लगाया। चंदन मित्रा के ट्वीट पर सियासी विवाद पैदा हो गया है। कांग्रेस ने मित्रा के बयान पर बीजेपी से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है, जबकि एसपी ने बीजेपी को इसके लिए आड़े हाथों लिया है।
मित्रा के ट्वीट पर कांग्रेस के सीनियर नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा है कि भारत रत्न किसी व्यक्ति या पार्टी का नहीं है कि जब चाहे कोई उसे वापस ले ले। चतुर्वेदी ने सवाल किया कि यह संविधान में किस जगह लिखा है कि भारत रत्न या किसी अन्य सम्मान से सम्मानित व्यक्ति राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय नहीं रखेगा।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी कहा कि अमर्त्य सेन भारत ही नहीं, विश्व के सम्मानित अर्थशास्त्री हैं। वह नोबेल पुरस्कार विजेता हैं और देश के लिए गौरव हैं। उन पर ऐसी टिप्पणी चंदन मित्रा जैसे व्यक्ति को शोभा नहीं देती।


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