Wednesday, July 31, 2013

हरित प्रदेश, विदर्भ, पूर्वांचल, गोरखालैंड, बुंदेलखंड-की मांग

 अलग तेलंगाना के गठन पर यूपीए सरकार की सहमति के बाद कई अन्य छोटे राज्यों के गठन की मांग ने जोर पकड़ लिया है। हरित प्रदेश, विदर्भ, पूर्वांचल, गोरखालैंड, बुंदेलखंड जैसे कई छोटे राज्यों की मांग सामने आने लगी है। सवाल उठने लगा है कि क्या छोटे राज्य बनाने की प्रक्रिया यहीं से शुरू हो जाएगी। गौरतलब है कि तेलंगाना के गठन की घोषणा होने के कुछ ही देर बाद गोरखालैंड के लिए गोरखा रीजनल अथॉरिटी के सीईओ बिमल गुरूंग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, कांग्रेस के भीतर से ही अलग विदर्भ और पूर्वांचल की मांग उठने लगी है। नागपुर से कांग्रेस सांसद ने तो अलग विदर्भ के लिए बकायदा सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिख दी है। मायावती ने तेलंगाना के गठन का स्वागत करते हुए यूपी को 4 हिस्सों में बांटने की वकालत कर डाली।
तेलांगाना की घोषणा के कुछ ही देर बाद गोरखा रीजनल अथॉरिटी (जीटीए) के सीईओ बिमल गुरूंग ने अलग गोरखालैंड के लिए दबाव बनाने को लेकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गुरूंग गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख हैं। मंगलवार को ही गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के एक समर्थक ने गोरखालैंड के समर्थन में कलीमपोंग शहर के दंबरचौक में आत्मदाह की कोशिश की। यह शख्स करीब 90 फीसदी जल चुका है।
यही नहीं, मोर्चा ने दार्जिलिंग हिल्स जिले में बोर्डिंग स्कूल के छात्र और पर्यटकों को अगले 3 दिनों में इलाका खाली करने को कहा गया है। अपनी मांग के समर्थन में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने 3 दिन के बंद का आह्वान किया है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो तीन दिवसीय बंद अनिश्चितकालीन हड़ताल में तब्दील हो जाएगा।
तेलंगाना के गठन के साथ ही बोडोलैंड की मांग कर रहे नेताओं ने भी अपने विरोध प्रदर्शनों को और तेज करने की चेतावनी दी है। बोडोलैंड के नेताओं का कहना है कि तेलंगाना बनाकर केंद्र सरकार काफी लंबे समय से चली आ रही उनकी मांग को खारिज नहीं कर सकती है।
विदर्भ राज्य के गठन की मांग ने भी जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। विदर्भ राज्य के गठन के लिए लंबे अर्से से आंदोलन चला रहे पूर्व बीजेपी सांसद बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि उनकी पार्टी ने अलग विदर्भ राज्य के गठन के लिए 1992 में मांग कर रही है। विदर्भ के गठन के मुद्दे पर पुरोहित ने कहा कि अब बीजेपी को अपने गठबंधन साझेदार शिवसेना को इसके लिए मनाना चाहिए। हालांकि, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी कीमत पर अलग विदर्भ का गठन नहीं होने देगी। राउत ने कहा कि हम महाराष्ट्र के विभाजन का कांग्रेस का मंसूबा पूरा नहीं होने देंगे।
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) चीफ मायावती ने अलग तेलंगाना राज्य का समर्थन किया है। साथ ही उन्होंने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अच्छे प्रशासन के लिए छोटे राज्य जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि कहा कि बीएसपी यूपी को भी 4 राज्यों में विभाजित करने के पक्ष में है। 2011 में मैंने यूपी को 4 भागों- बुंदेलखंड, पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश और अवध में बांटने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, लेकिन यह मामला अभी तक लंबित है।'
मायावती ने गोरखालैंड और विदर्भ को भी अगल राज्य बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि 'एक भाषा, एक राज्य' के आधार पर राज्यों का बंटवारा होना चाहिए और केंद्र को इस संबंध में जरूरी कदम उठाने चाहिए।
इसके पहले कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जगदंबिका पाल ने अलग पूर्वांचल की मांग की थी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों की चाहत है कि अलग राज्य बने। जगदंबिका पाल के साथ पूर्वांचल के कई नेताओं ने इस मुद्दे पर आंदोलन की धमकी दे दी है। यूपीए सरकार में शामिल केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह की पार्टी लंबे समय से हरित प्रदेश की मांग करती आ रही है।

Monday, July 29, 2013

राज्यसभा सांसद बनने के लिए बजट 100 करोड़ रुपये

 करप्शन के आरोपों से चौतरफा घिरी यूपीए सरकार पर अब उसके अपने ही नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। हरियाणा के कद्दावर जाट नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने दावा किया है कि रेल मंत्री की कुर्सी सिर्फ योग्यता पर नहीं बल्कि दान से मिलती है। चौधरी किस दान की ओर इशारा कर रहे थे इस पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। चौधरी ने कहा कि पिछली बार उनका रेल मंत्री बनना तय था, लेकिन आखिरी मौके पर पत्ता साफ हो गया। उन्होंने खास अंदाज में कहा कि गोल करने ही वाला था कि रेफरी ने सीटी बजा दी। इतना ही नहीं चौधरी ने कहा कि आज लोग 100 करोड़ देकर राज्यसभा सांसद बन रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व महासचिव के बयान ने मनमोहन सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या केंद्र में मंत्रियों की कुर्सी पैसे देकर खरीदी जाती हैं। हरियाणा के यमुनानगर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में पहले पायदान पर हैं लेकिन कुर्सी सिर्फ पायदान से नहीं अन्य दानों से मिलती है। हालांकि, यह दान क्या है उन्होंने स्पष्ट नहीं किया।
चौधरी ने कहा कि मुझसे एक व्यक्ति ने कहा कि राज्यसभा सांसद बनने के लिए मेरा बजट 100 करोड़ रुपये का था, लेकिन मेरा काम 80 करोड़ रुपये में ही हो गया। मैंने 20 करोड़ रुपये बचा लिए। हालांकि, यहां भी उन्होंने उस व्यक्ति का नाम नहीं बताया

चौधरी के इस बयान पर सियासत भी तेज हो गई है। बयान पर कांग्रेस सांसद पी.एल. पूनिया ने कहा कि राज्यसभा में जो लोग आते हैं वे अपनी समाजसेवा के दम पर आते हैं। उनमें से बहुत से तो ऐसे होते हैं जो 1 लाख रुपये तक नहीं दे सकते, 100 करोड़ तो दूर की बात है। फिर भी, अगर उन्हें किसी विशेष मामले की जानकारी है तो इस बारे में वही कुछ बता पाएंगे।
वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह ने जो बात कही है, उससे जाहिर है कि कांग्रेस पूरी तरह करप्ट है। लोग इस बात को पहले से ही जानते हैं, लेकिन चौधरी बीरेंद्र सिंह के इस बयान उस बात को पक्का कर दिया है।
हरियाणा के जींद में 20 अगस्त को कांग्रेस की रैली है। रैली में सोनिया गांधी भी आएंगी। हरियाणा के प्रभारी शकील अहमद भी मौजूद रहेंगे। रैली में आने के लिए चौधरी ने मुख्यमंत्री हुडा को अगल से निमंत्रण नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि मेरी बेटी की शादी नहीं है जो मैं एक-एक को अलग से निमंत्रण दूं। जिसे आना होगा वह आएगा। जींद की इसी रैली की तैयारियों के सिलसिले में चौधरी यमुनानगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निमंत्रण देने गए थे। कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत में चौधरी के दिल का दर्द बाहर आ गया।
रेल मंत्री और पैसे के बल पर राज्यसभा बनने की बात कह कर चौधरी ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ईमानदारी को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।
चौधरी बीरेंद्र सिंह लम्बे समय से हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुडा की राजनीति को कमजोर करने में जुटे हुए हैं। जींद की रैली में सोनिया गांधी के सामने शक्ति प्रदर्शन करके चौधरी अपनी राजनीति को नई उड़ान देना चाहते हैं।

Thursday, July 25, 2013

क्या अगर इस देश में कोई मोदी का मुरीद नहीं तो उससे सम्मान छीन लेना चाहिए?

 क्या अगर इस देश में कोई मोदी का मुरीद नहीं तो उससे सम्मान छीन लेना चाहिए? यह बड़ा सवाल देश की सियासी फिजां में गूंजने लगा है। पिछले दिनों असहिष्णुता की बात करने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी मोदी की बुराई करने वाले नोबेल पुस्कार विजेता अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस लेने की बात कर रही है। सांसद और पार्टी प्रवक्ता चंदन मित्रा ने ट्वीट कर कहा है कि अमर्त्य सेन राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं, इसलिए अगर केंद्र में चुनाव के बाद एनडीए की सरकार बनी तो उसे अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस ले लेना चाहिए। मित्रा ने सेन को एक ऐसा अर्थशास्त्री बताया जो कांग्रेस की सोच आगे बढ़ा रहे हैं। गौरतलब है कि अमर्त्य सेन को 1998 में नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद 1999 में जब भारत-रत्न से सम्मानित किया गया था, तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की ही सरकार थी।
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि एक भारतीय होने के नाते वह बीजेपी चुनाव समिति के अध्यक्ष नरेंद्र मोदी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहेंगे। अमर्त्य सेन ने कहा था कि एक हिंदुस्तानी के रूप में मैं नहीं चाहता कि मोदी पीएम बनें। उन्होंने अल्पसंख्यकों को सुरक्षित महसूस कराने की पूरी कोशिश नहीं की। साथ ही उन्होंने विकास के मोदी मॉडल की भी आलोचना की थी।
अमर्त्य सेन के जवाब में पार्टी के प्रवक्ता चंदन मित्रा ने ट्वीट किया कि अगली एनडीए सरकार को उनसे भारत रत्न छीन लेना चाहिए। मित्रा ने अमर्त्य सेन पर कांग्रेस की बोली बोलने का भी आरोप लगाया। चंदन मित्रा के ट्वीट पर सियासी विवाद पैदा हो गया है। कांग्रेस ने मित्रा के बयान पर बीजेपी से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है, जबकि एसपी ने बीजेपी को इसके लिए आड़े हाथों लिया है।
मित्रा के ट्वीट पर कांग्रेस के सीनियर नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा है कि भारत रत्न किसी व्यक्ति या पार्टी का नहीं है कि जब चाहे कोई उसे वापस ले ले। चतुर्वेदी ने सवाल किया कि यह संविधान में किस जगह लिखा है कि भारत रत्न या किसी अन्य सम्मान से सम्मानित व्यक्ति राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय नहीं रखेगा।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी कहा कि अमर्त्य सेन भारत ही नहीं, विश्व के सम्मानित अर्थशास्त्री हैं। वह नोबेल पुरस्कार विजेता हैं और देश के लिए गौरव हैं। उन पर ऐसी टिप्पणी चंदन मित्रा जैसे व्यक्ति को शोभा नहीं देती।


Monday, July 22, 2013

दाऊद इब्राहिम कराची से बैठे-बैठे 'खेल' खेल रहा था

आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम कराची से बैठे-बैठे 'खेल' खेल रहा था, तो भारत में एक केंद्रीय मंत्री भी उसके संपर्क में था। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग में दाऊद शामिल होने की बात पूरी तरह साबित हो गई है। आईबी और रॉ ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से मिले वॉयस सैंपल के दाऊद इब्राहिम के होने की पुष्टि कर दी है। दाऊद और बुकी की इस बातचीत में बार-बार एक केंद्रीय मंत्री का जिक्र आता है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि दाऊद का यह मंत्री आखिर है कौन?

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 26 मार्च को दाऊद की दुबई के बुकी और बिजनेसमैन जावेद चुटानी की बातचीत टैप करने में सफलता हासिल की थी। दाऊद ने रात करीब साढ़े नौ बजे 9233332064XXX नंब से बात की थी। दिल्ली पुलिस ने यह वॉयस सैंपल जांच के लिए सुरक्षा एजेंसियों को भेजा था।

दोनों एजेंसियों ने पिछले महीने दिल्ली पुलिस को लिखा है कि पाकिस्तानी नंबर 9233332064XXX को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील इस्तेमाल कर रहा था। यह पहली बार है जब दाऊद इब्राहिम की आवाज का नूमना जांच एजेंसियों के हाथ लगा है। दाऊद, बुकी और चुटानी की बातचीत में बार-बार एक केंद्रीय मंत्री का जिक्र आता है। ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि यह मंत्री कौन था और आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग में उसका क्या रोल था? जांच एजेंसियां भी इस बातचीत से मिले क्लू से मामले की तह तक जाने की कोशिशों में जुटी हैं।

Wednesday, July 17, 2013

'कुत्ते के बच्चे' वाले बयान पर नरेंद्र मोदी का बचाव करने वाले सांसद विजय बहादुर सिंह को पार्टी से निकाल दिया

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने 'कुत्ते के बच्चे' वाले बयान पर नरेंद्र मोदी का बचाव करने वाले सांसद विजय बहादुर सिंह को पार्टी से निकाल दिया है। गौरतलब है कि मायावती ने तीन दिन पहले ही लखनऊ में इसके संकेत दे दिए थे। 

बीएसपी के सीनियर नेता के इस बयान पर मायावाती ने कहा था कि हर नेता को पार्टी अनुशासन में रहना होगा। माया ने विजय बहादुर को पार्टी छोड़ने की राय देते हुए दो टूक कहा था कि जिन्हें पार्टी के सिद्धांत और अनुशासन मंजूर नहीं हैं उन्हें खुद पार्टी छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि इस मामले की जांच हो रही है और उस नेता को पार्टी से बाहर भी किया जा सकता है। बुधवार को विजय बहादुर को पार्टी से निकालने का फैसला ले लिया गया।
बीएसपी सांसद ने मोदी के बयान का यह कहते हुए समर्थन किया था कि 'कुत्ते के बच्चे' वाली उनकी टिप्पणी से यह साबित होता है कि वह 'संवेदनशील' व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा था कि जो लोग उन पर हमला कर रहे हैं वे 'राष्ट्रविरोधी' हैं। बीएसपी सांसद ने मोदी की जमकर तरफदारी करते हुए कहा था, 'मोदी का बयान सौ फीसदी सही है। यह देश के पक्ष में दिया गया बयान है। वह राष्ट्रीय एकता और अहिंसा की बात कर रहे हैं। जो लोग उनके इस बयान का विरोध कर रहे हैं, वे राष्ट्रविरोधी हैं। मेरी उनसे अपील है कि वोटों के लिए ऐसा न करें।'

Friday, July 12, 2013

अफेयर खत्म होने से सेक्स संबंध रेप नहीं

 बॉम्बे हाई कोर्ट ने दूरगामी प्रभाव वाले एक फैसले में कहा है कि प्रेम संबंध टूटने के कारण कोई महिला अपने उस पूर्व प्रेमी पर बलात्‍कार का आरोप नहीं लगा सकती, जिसके साथ उसने सेक्‍स किया हो और उसके बच्‍चे की मां बनने वाली हो। इस टिप्पणी के साथ ही जस्टिस साधना जाधव ने 39 वर्षीय मनीष कोटियान को रेप के मामले में गिरफ्तारी और दोषी ठहराने के तीन साल बाद आरोपों से बरी कर दिया।

मनीष पर रेप के आरोप को आधारहीन करार देते हुए जस्टिस जाधव ने कहा, 'अभियोजन पक्ष ने स्वीकार किया है कि जिरह में युवती ने माना है कि कि आरोपी के साथ उसका प्रेम संबंध रहा है और वह कोटियान से शादी भी करना चाहती थी। ऐसे हालात में आईपीसी की धारा-376 के तहत उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।'

कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की ओर से दायर केस पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपी ने महिला को प्रपोज किया था। जस्टिस जाधव ने कहा, 'शिकायत करने वाली महिला पढ़ी-लिखी और वयस्क हैं। वह अच्छी तरह से जानती थीं कि कोटियान उनकी तरफ आकर्षित हैं। इसके बावजूद वह कोटियान का जन्मदिन मनाने के लिए उनके साथ गोराई गईं और वहां एक होटल के कमरे में दोनों के संबंध बने। उन्हें परिणाम के बारे में अच्‍छी तरह से पता था।'

अदालत ने कहा कि महिला ने न तो सहायता के लिए आवाज लगाई और न ही विरोध किया। इसलिए यह कहना उचित नहीं होगा कि डरा-धमका कर सेक्‍स के लिए उनकी सहमति हासिल की गई। हालांकि कोर्ट ने कोटियान को धोखाधड़ी का दोषी पाया, क्योंकि उन्होंने पीड़ित को यह नहीं बताया था कि वह पहले से शादीशुदा हैं और उनके बच्चे भी हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि चूंकि वह तीन साल जेल में गुजार चुके हैं, ऐसे में उनकी रिहाई का आदेश दिया जाता है।

हाई कोर्ट की ओर से कोटियान के बचाव के लिए नियुक्त वकील अरफान सैत ने कहा कि इसका कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने महिला से रेप किया था। अरफान के मुताबिक, 'कोटियान महिला के साथ शादी करने के लिए तैयार थे और उन्होंने कहा भी था कि वह अपनी पत्‍नी के साथ तलाक की प्रक्रिया खत्म होने के बाद ऐसा करेंगे।'

यह केस मार्च 2010 का है, जब 4 महीने की गर्भवती महिला ने कोटियान पर रेप का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाया था। दोनों की मुलाकात उस समय हुई थी, जब वे स्‍टेशनरी की दुकान में एक साथ काम करते थे। नवंबर 2009 में महिला कोटियान का बर्थडे मनाने के लिए उसके साथ गोराई गई थीं। महिला ने आरोप लगाया था कि वहीं एक होटल में कोटियान ने सेक्‍स करने के लिए मजबूर किया था। सेशन कोर्ट ने पिछले साल कोटियान को रेप का दोषी मानते हुए 7 साल की सजा सुनाई थी। कोटियान ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

Wednesday, July 10, 2013

मुकदमा चलाने के लिए दिए जाने वाले सेक्शन के बारे में अपना रुख साफ करे-सीबीआई

कोल ब्लॉक आवंटन मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से रिपोर्ट दाखिल कर कोल ब्लॉक आवंटन को जस्टिसफाई करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही सीबीआई से कहा है कि वह सरकार के उस रिपोर्ट पर अपना स्टैंड साफ करे जिसमें सीबीआई को ऑटॉनमी दिए जाने के लिए तमाम प्रस्ताव दिए गए हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह मुकदमा चलाने के लिए दिए जाने वाले सेक्शन के बारे में अपना रुख साफ करे।

पिछले 3 जुलाई को सरकार ने एफिडेविट दाखिल कर कहा था कि सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति पीएम, विरोधी दल के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की कमिटी करेगी। साथ ही कहा कि सीबीआई के डायरेक्टर को राष्ट्रपति ही हटा सकेंगे। अन्य कई प्रस्ताव पेश किए गए थे। वहीं सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करके गुहार लगाई है कि अदालत 8 मई के अपने उस आदेश में बदलाव करे, जिसमें सीबीआई को मामले की छानबीन से जुड़ी कोई भी जानकारी किसी से साझा न करने का आदेश दिया गया था। सीबीआई की याचिका के मुताबिक, छानबीन के दौरान कई किस्म की मंजूरी लेने के लिए जांच से जुड़ी जानकारी सरकार या संबंधित अथॉरिटी से शेयर करनी पड़ती है।

बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा है कि वह सरकार के प्रस्ताव पर अपना स्टैंड साफ करे। वहीं केंद्र सरकार से कहा है कि वह बताए कि कोल ब्लॉक आवंटन के लिए जो मीटिंग हुई उसमें किस आधार पर 164 कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया। फैसले का आधार क्या था। सुप्रीम कोट ने पूछा है कि सरकार बताए कि अलॉटमेंट कैसे जस्टिसफाईड था। अदालत ने सरकार से कहा है कि वह देखना चाहते हैं कि अलॉटमेंट जुडिशल रिव्यू के तहत टिकने योग्य है या नहीं।

Tuesday, July 9, 2013

इस महीने के अंत तक पार्टी औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित

 नरेंद्र मोदी के नाम पर बीजेपी ऊहापोह से उबर चुकी है। इस महीने के अंत तक पार्टी उन्हें औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर देगी। इसके साथ ही यह तय हो गया है कि अगला चुनाव राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी होगा।

पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पार्टी के सीनियर नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को इस बारे में बता दिया है। पिछले सप्ताह दोनों नेताओं और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने संघ मुख्यालय नागपुर जाकर सरसंघचालक मोहन भागवत व दूसरे शीर्ष नेताओं से मुलाकात की थी। महाराष्ट्र के अमरावती में होने वाली आरएसएस के तीन दिनों की मंथन बैठक में मोदी के नाम को लेकर अलग-अलग पहलुओं से चर्चा की जाएगी और उसके बाद बीजेपी संसदीय बोर्ड पीएम के उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा कर देगा।

गोवा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मोदी को चुनाव अभियान समिति का कमान सौंपे जाने के बाद से ही वह अनौपचारिक रूप से पार्टी का चुनावी चेहरा बन चुके हैं। हालांकि, इस मसले पर आडवाणी द्वारा सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताने के बाद बीजेपी के कदम ठिठक गए थे और पार्टी ने 2014 के आम चुनाव के लिए उन्हें औपचारिक रूप से चेहरा बनाने में संयम बरतने का फैसला किया था। वैसे भी, एनडीए में सिर्फ जेडी(यू) को मोदी के नाम पर आपत्ति थी। अकाली दल शुरू से ही मोदी के साथ है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मोदी ने हाल ही में मुंबई में भेंट कर गिले-शिकवे दूर कर लिए थे। यहां तक कि एनडीए की भावी सहयोगी के रूप में देखी जा रहीं तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनने पर उन्हें बधाई दी थी।

Wednesday, July 3, 2013

फोकस एक बार फिर 'रैडिकल इस्लाम' की तरफ

 केरल में मुस्लिम समुदाय के लोगों की इनकम बढ़ाने में काफी हद तक खाड़ी देशों के इकनॉमिक बूम का योगदान है, लेकिन पिछले 4 दशक के दौरान बढ़ी इस ताकत के कुछ नेगेटिव पहलू भी सामने आ रहे हैं। इससे समुदाय के कुछ लोगो में रैडिकलिज़म को भी हवा मिली है।

यह रुझान राज्य की मुख्य मुस्लिम पार्टी 'इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल)' के रवैये में देखा जा सकता है। जब यह पार्टी राज्य में कांग्रेस की लीड वाली सरकार में ज्यादा पावर पाने की जिद पर अड़ती है, तो फोकस एक बार फिर 'रैडिकल इस्लाम' की तरफ चला जाता है। हाल ही में राज्य में कांग्रेस यूनिट के प्रेज़िडेंट रमेश चेनिथला ने भी राज्य सरकार की अपनी इस सहयोगी पर 'बोझ' बनने का आरोप लगाया था।

राज्य की 140 मेंबर वाली विधानसभा में आईयूएमएल के 20 एमएलए हैं और इसके 5 मेंबर सरकार में मंत्री हैं। यह पार्टी कितनी कुख्यात हो चुकी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रक्षा मंत्री ए.के एंटनी भी इसकी आलोचना कर चुके हैं। एंटनी ने इस पार्टी पर राज्य की माइनॉरिटी सरकार में मिनिस्टरी और अन्य फायदे हासिल करने के लिए अपनी 'बार्गेनिंग पावर' का यूज़ करने का आरोप लगाया।

पार्टी के कई और फैसलों की जबरदस्त आलोचना हुई है। पार्टी ने इंडस्ट्री मिनिस्टर और अपने नेता पी.के कुणालिकुट्टी के सुरक्षा गार्ड रहे के. अब्दुल राशिद को मल्लापुरम का रीजनल पासपोर्ट ऑफ़िसर नॉमिनेट किया था, जिस पर काफी कॉन्ट्रोवर्सी हुई। यही नहीं पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में एक और लोकसभा सीट पाने के लिए मुस्लिम समुदाय की अधिक पॉप्युलेशन वाले मल्लापुरम ज़िले को दो भाग में बांटने की मांग पर भी अड़ी हुई है।

जानेमाने हिस्टोरियन एमजीएस नारायणन का मानना है कि आईयूएमएल भी पहले कांग्रेस का तरह ही एक सेक्युलर पार्टी थी, लेकिन बाद में यह PFI जैसी रैडिकल संगठनों को पीछे छोड़ उन्हें सपोर्ट करने वाले वोटबैंक को झटकने के खेल में लग गई। पिछले साल पीएम मनमोहन सिंह ने भी केरल में बढ़ रहे धार्मिक उन्माद की चर्चा करते हुए इसकी तुलना जम्मू-कश्मीर और असम से की थी।

गौर करने वाली बात यह है कि केरल में दूसरे देशों से आने वाली लगभग 60,000 करोड़ की रकम में एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम माइग्रेंट्स भेजते हैं। इसमें भी मल्लापुरम ज़िला सबसे टॉप पर है। नारायणन कहते हैं कि मुस्लिम माइग्रेंट्स जब खाड़ी देशों से लौटते हैं, तो उनमें इस्लाम के लिए रुझान काफी बढ़ जाता है। वे धर्म के नाम पर काफी खर्च भी करते हैं। नारायणन ने बताया कि हिंदू संगठनों को भी अब विदेशों से काफी रकम मिल रही है। उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिम, दोनों धर्मों में धार्मिक उन्माद काफी बढ़ रहा है।

हालांकि एम.जी राधाकृष्णन जैसे राजनीतिक विशेषज्ञों की सोच इससे अलग है। उनका मानना है कि राज्य के मुस्लिम समुदाय में दिख रहा धार्मिक उन्माद चरमपंथ जैसा नहीं है। उन्होंने कहा, 'राज्य में मुस्लिम समुदाय अब पहले के मुकाबले ज्यादा धनी हुआ है और वह अपनी पहचान को लेकर भी काफी सजग रहता है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।'

Tuesday, July 2, 2013

CBI ने चार्जशीट से नरेंद्र मोदी और अमित शाह को हटाया!

इशरत जहां एनकाउंटर केस में आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार के बारे में सीबीआई बैकफुट पर आ गई है। जानकारी मिली है कि केंद्रीय जांच एजेंसी अपनी स्टेटस रिपोर्ट में 'सफेद दाढ़ी' और 'काली दाढ़ी' के बारे में कोई जिक्र नहीं करेगी।

सीबीआई इशरत जहां एनकाउंटर केस में 4 जुलाई को गुजरात हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर करेगी। सीबीआई अफसरों ने बताया कि इस रिपोर्ट में 'सफेद दाढ़ी' और 'काली दाढ़ी' नहीं है। अब तक माना जा रहा था कि सीबीआई इन दोनों तरह की दाढ़ियों की आड़ में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह पर शिकंजा कस सकती है।

चर्चा के मुताबिक एनकाउंटर में शामिल रहे एक पुलिस वाले ने सीबीआई को बयान दिया है कि इस केस में गिरफ्तार आईपीएस अफसर डी. जी. वंजारा ने आई. बी. के तत्कालीन जॉइंट डायरेक्टर राजेंद्र कुमार को 'सफेद दाढ़ी' और 'काली दाढ़ी' से एनकाउंटर की इजाजत मिलने की बात कही थी। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई डायरेक्ट लिंक नहीं मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय में वंजारा की फोन कॉल और दाढ़ी के कलर से मोदी को मुलजिम बनाना आसान नहीं है। दूसरी ओर, सीबीआई इस एनकाउंटर में आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार को मुलजिम बनाने के मामले में भी बैकफुट पर नजर आ रही है।

15 जून 2004 को इस एनकाउंटर के दौरान राजेंद्र कुमार अहमदाबाद में आईबी के जॉइंट डायरेक्टर थे। उन पर यह आरोप है कि उन्होंने गुजरात पुलिस के साथ मिलकर इस फर्जी एनकाउंटर की साजिश रची थी। इस बारे में राजेंद्र कुमार का तर्क है कि उन्होंने आईबी अफसर होने के नाते गुजरात पुलिस को लश्कर-ए-तैबा के आतंकवादियों का इनपुट दिया था। एनकाउंटर के बारे में उन्होंने अपने रोल से इनकार किया है। इशरत एनकाउंटर केस में एक पुलिस वाले ने सीबीआई को बयान दिया है कि इशरत जहां और उसके तीन साथियों को गुजरात पुलिस ने पकड़ा हुआ था, जिनसे पूछताछ करने राजेंद्र कुमार आए थे। उसके बाद ही चारों को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में ले जाकर मार दिया गया था। राजेंद्र कुमार ने कस्टडी में पूछताछ से भी इनकार किया है।

इस मामले में सीबीआई और आईबी के बीच तनातनी के बाद नैशनल सिक्युरिटी अडवाइजर शिवशंकर मेनन और पूर्व गृह सचिव आर. के. सिंह ने दखल दिया था। आर. के. सिंह के साथ सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा और आईबी के डायरेक्टर सैयद आसिफ इब्राहिम की मीटिंग भी हुई थी। उसके बाद गृह मंत्रालय के अफसरों ने यह स्टैंड लिया कि आईबी की काडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी होने की वजह से उनकी परमिशन के बगैर सीबीआई राजेंद्र कुमार के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर सकती। इसके बाद सीबीआई बैंकफुट पर आ गई है। अब सबकी निगाहें 4 जुलाई को सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर लगी हैं।

इस
 केस में गृह मंत्रालय ने पहले ऐफिडेविट में इशरत और उसके साथियों को लश्कर केआतंकवादी बताया था। पी.चिदंबरम के गृह मंत्री बनने के बाद दूसरे हलफनामे में इससे इनकार किया गया। इसजांच की देखरेख कर रहे गुजरात हाई कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि मृतकों के आतंकवादी होने या नहोने को दरकिनार कर एनकाउंटर की सचाई का पता लगाया जाए