एनसीपी नेता और
महाराष्ट्र महिला आयोग की सदस्य आशा मिरगे ने महिलाओं को बलात्कार के लिए
जिम्मेदार बताकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। मिरगे ने सवाल किया कि 16 दिसंबर 2012
को दिल्ली में गैंग रेप की शिकार निर्भया रात में अपने दोस्त के साथ
बाहर क्यों थी? उन्होंने मुंबई में शक्ति मिल कंपाउंड के
सुनसान इलाके में गैंगरेप की शिकार फोटोजर्नलिस्ट पर भी सवाल खड़े किए।
मिरगे ने एनसीपी की महिला इकाई के सम्मेलन में कहा कि मैं आपको एक कविता सुनाती हूं, 'सावन में हिरणी संभलकर रहो नहीं तो कोई शिकारी शिकार कर लेगा।' इसके बाद उन्होंने कहा, 'हिरणी ही क्यों कहा? हिरण क्यों नहीं?... क्योंकि हिरणी को ही संभलकर जीने की जरूरत है। पर हम संभलकर जीते हैं क्या? निर्भया बलात्कार केस ले लीजिए। रात को 11 बजे कोई बॉयफ्रेंड के साथ सिनेमा देखने जाता है क्या? शाम को 6 बजे शक्ति मिल किसी को जाना चाहिए क्या?...संभलकर रहना चाहिए। वहां जाने की जरूरत है क्या? वहां जाने की सुविधा है क्या? इस उम्र में भी मैं मिर्ची के पैकेट साथ रखती हूं। संभलकर ही जीना चाहिए।'
मिरगे यहीं नहीं रुकी, उन्होंने कहा कि रेप महिला के कपड़े, चाल चलन और गलत जगह पर रहने से होते हैं। उन्होंने कहा कि 20-25% युवतियां सजगता के आभाव में दुष्कर्म का शिकार बनती हैं। केशभूषा, वेशभूषा और देहभूषा अत्याचार के लिए आकर्षक बन जाती है। आशा के बयान के बारे में जब एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक से पूछा गया तो, उन्होंने इससे पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा, 'न तो मैंने आशा के बयान को सुना है और न ही मुझे इसके बारे में कोई जानकारी है। यदि उन्होंने ऐसा कुछ कहा है, तो यह उनकी व्यक्तिगत राय है।'
मिरगे ने एनसीपी की महिला इकाई के सम्मेलन में कहा कि मैं आपको एक कविता सुनाती हूं, 'सावन में हिरणी संभलकर रहो नहीं तो कोई शिकारी शिकार कर लेगा।' इसके बाद उन्होंने कहा, 'हिरणी ही क्यों कहा? हिरण क्यों नहीं?... क्योंकि हिरणी को ही संभलकर जीने की जरूरत है। पर हम संभलकर जीते हैं क्या? निर्भया बलात्कार केस ले लीजिए। रात को 11 बजे कोई बॉयफ्रेंड के साथ सिनेमा देखने जाता है क्या? शाम को 6 बजे शक्ति मिल किसी को जाना चाहिए क्या?...संभलकर रहना चाहिए। वहां जाने की जरूरत है क्या? वहां जाने की सुविधा है क्या? इस उम्र में भी मैं मिर्ची के पैकेट साथ रखती हूं। संभलकर ही जीना चाहिए।'
मिरगे यहीं नहीं रुकी, उन्होंने कहा कि रेप महिला के कपड़े, चाल चलन और गलत जगह पर रहने से होते हैं। उन्होंने कहा कि 20-25% युवतियां सजगता के आभाव में दुष्कर्म का शिकार बनती हैं। केशभूषा, वेशभूषा और देहभूषा अत्याचार के लिए आकर्षक बन जाती है। आशा के बयान के बारे में जब एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक से पूछा गया तो, उन्होंने इससे पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा, 'न तो मैंने आशा के बयान को सुना है और न ही मुझे इसके बारे में कोई जानकारी है। यदि उन्होंने ऐसा कुछ कहा है, तो यह उनकी व्यक्तिगत राय है।'
No comments:
Post a Comment