राजधानी में आए दिन होने वाली वारदातों के बाद अक्सर यह सवाल उठता है कि आखिर देश की सबसे स्मार्ट कही जाने वाली पुलिस इन अपराधों पर अंकुश लगाने में इतनी लाचार क्यों नजर आती है। अक्सर देखने में आता है कि वारदातों के सिलसिले में गिरफ्तार कई बदमाश या तो एनसीआर से ताल्लुक रखते हैं या उन्हें वहीं से पकड़ा जाता है। दिल्ली में अपराध करने वाले बदमाशों के लिए एनसीआर शरणस्थली का काम करता है। ऐसे बदमाशों को पकड़ने में कानूनी, राजनीतिक और कई दूसरी जटिलताएं अक्सर दोनों राज्यों की पुलिस के आड़े आ जाती हैं और अपराधी इसी का भरपूर फायदा उठाते हैं। बात चाहे पिछले साल लूटपाट और हत्या की ताबड़तोड़ वारदातें करके दिल्ली को दहला देने वाले ओमप्रकाश उर्फ बंटी की हो, बैंक लूट की कई वारदातों को अंजाम देने वाले सत्यप्रकाश उर्फ सत्ते की हो या दिल्ली एनसीआर के कुख्यात रावण की। इन सभी ने दिल्ली में वारदात करने बाद एनसीआर को और एनसीआर में वारदातें करने के बाद दिल्ली में शेल्टर लिया था। कई बदमाश तो दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में ही वारदातें करते हैं, क्योंकि उसके बाद वे फौरन यूपी या हरियाणा की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। दिल्ली पुलिस लगातार पड़ोसी राज्यों की पुलिस के साथ कोऑर्डिनेशन बढ़ाने की बात कहती है और इसके लिए लगातार मीटिंग भी होती रहती हैं, लेकिन ग्राउंड लेवल पर इसका असर कम ही देखने को मिलता है। दिल्ली पुलिस के एक अनुभवी इंस्पेक्टर की मानें, तो दिल्ली में होने वाले क्राइम में चार कैटिगरी के बदमाशों की इनवॉल्वमेंट रहती है। पहली उन बदमाशों की है, जो मूलत: दिल्ली के हैं, दिल्ली में ही रहते हैं और दिल्ली-एनसीआर में वारदातें करते हैं। दूसरी उनकी जो बिहार, यूपी, उड़ीसा, झारखंड या किसी दूसरे राज्य से आकर दिल्ली की री-सेटलमेंट कॉलोनियों में बस गए और फिर यहां क्राइम करने लगे। तीसरी कैटिगरी बांग्लादेशियों, अफगानियों, नाइजीरियाइयों जैसे उन विदेशियों की है, जो या तो दिल्ली में ही रह रहे हैं या फिर क्राइम करने के मकसद से ही दिल्ली आते हैं। चौथी कैटिगरी उन बदमाशों की है, जिनका दिल्ली के क्राइम ग्राफ को बढ़ाने में सबसे ज्यादा रोल रहता है। इसमें शामिल हैं गाजियाबाद, लोनी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गुड़गांव, बहादुरगढ़, मथुरा, बुलंद शहर, मेरठ, बागपत, अलीगढ़, सोनीपत, पलवल व मेवात के बदमाश, जो दिल्ली आते हैं, वारदात करते हैं और चले जाते हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो दिल्ली में होने वाले कुल अपराध में 60 प्रतिशत रोल इन्हीं बदमाशों का होता है। ये बदमाश किराये के वाहन लेकर दिल्ली आते हैं और यहां वाहन चोरी, सेंधमारी, स्नैचिंग और लूटपाट से लेकर अपहरण और हत्या तक की वारदातों को अंजाम देकर चले जाते हैं। दरअसल, ये बदमाश अपने क्षेत्र की पुलिस द्वारा आइडेंटिफाइड होते हैं और इसीलिए वारदातें करने के लिए दिल्ली आते हैं, क्योंकि दिल्ली पुलिस के पास न तो इनका कोई क्राइम रेकॉर्ड होता है और न इनके चेहरे दिल्ली पुलिस के लिए जाने पहचाने होते हैं। इसी वजह से दिल्ली पुलिस इन पर सर्विलांस भी नहीं रख पाती। ये बदमाश इसी का फायदा उठाकर दिल्ली में फ्री मूवमेंट करते हैं और दिल्ली पुलिस की सिरदर्दी बढ़ाकर चले जाते हैं।
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