Sunday, December 27, 2009

इस हफ्ते रिलीज हुई 3 इडियट्स इन्हीं बातों को असरदार ढंग से उठाती हुई फिल्म है

अपने बच्चे को अपने उन अधूरे सपने को साकार करने का जरिया न बनाएं , जो आप नहीं कर पाए। हर साल देश में लगभग चार लाख युवक आत्महत्या करते है , जिनमें ज्यादा तादाद ऐसे युवकों की होती है जो बनना तो कुछ और चाहते है लेकिन घरवालों के सपनों को पूरा करने में उनके सपने चूर हो जाते हैं। इस हफ्ते रिलीज हुई 3 इडियट्स इन्हीं बातों को असरदार ढंग से उठाती हुई फिल्म है , जिस पर पूरी दुनिया को सोचने की जरूरत है। राज कुमार हिरानी की यह फिल्म पैरंट्स को यही समझाने की कोशिश है कि बच्चों की कामयाबी उनके काबिल बनने से है , चाहे उनकी चाह किसी भी फील्ड में हो। पिछले साल इसी महीने रिलीज हुई आमिर खान की गजनी ने बॉक्स ऑफिस पर ऐसा कमाल किया कि पहले हफ्ते ही फिल्म पर नोटों की जबर्दस्त बारिश हो गई। मूवी ने बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कमाई की। इस साल के आखिर में भी आमिर ने बॉक्स ऑफिस पर दस्तक दी और थिएटरों पर अपना कब्जा कर लिया। पूरे साल नंबर वन की रेस में शामिल रही सैफ अली खान की लव आजकल और सलमान खान की वॉटेंड भी 3 इडियट्स से पिछड़ती हुईं लग रही हैं। कहानी : रैंचो यानी रणछोड़दास श्यामलदास चांवड़ ( आमिर खान ) शहर के नंबर 1 इंजीनियरिंग कॉलेज में एंट्री करता है तो हर वक्त नंबर 1 की रेस और शानदार करियर के पीछे भागते स्टूडेंट्स को लगता है कि उन्हें यह साथी खुली हवा में उड़ने का मौका देने पहुंचा है। दरअसल , कॉलेज के सख्त मिजाज प्रिसिंपल वीरु सहस्त्रबुद्धि ( बोमन ईरानी ) का मानना है कि किसी भी सूरत में स्टूडेंट को नंबर 1 की धुन में डूबे रहना जरूरी है। करियर की इस गलाकाट रेस में किसी का रुकना उन्हें पसंद नहीं। ऐसे में कॉलेज के थके और दर्द में डूबे स्टूडेंट्स को रैंचो मिलता है , जो उनके दर्द का इलाज बनना चाहता है। कॉलेज में आकर रैंचों को लगता है ज्यादातर स्टूडेंट्स तो यहां मजबूरन मां - बाप की जिद और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए अपने सपनों का गला घोंट रहे हैं। रैंचो के रूम पार्टनर फरहान कुरैशी ( आर . माधवन ) और राजू रस्तोगी ( शरमन जोशी ) का भी यही हाल है। राजू इस कॉलेज में इसलिए पहुंचा है क्योंकि लकवे के शिकार उसके पिता और जिंदगीभर परिवार का पेट पालने वाली मां का सपना है कि वह इंजीनियर बने। वहीं , फरहान के अब्बा ( परीक्षित साहनी ) ने तो उसके पैदा होने पर ही उसके इंजीनियर बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। उन्हें इस बात से कुछ लेना - देना नहीं कि फरहान वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर बनना चाहता है। स्क्रिप्ट : मूवी की स्क्रिप्ट और दिल को छूते डायलॉग 3 इडियट्स की जान है। कई संवाद ऐसे हैं , जो हमारी व्यवस्था पर सटीक कमेंट कसते है। वहीं , कई डायलॉग स्टूडेंट्स के लिए मेसेज हैं और पैरंट्स के लिए एक सही सोच। बेशक अभिजीत जोशी और हिरानी की स्क्रिप्ट फिल्म का बेहद मजबूत पक्ष है। एक्टिंग : इस पूरी फिल्म में आमिर छाए हुए हैं। अपने असरदार अभिनय से दर्शकों को आखिर तक बांधने में वह पूरी तरह कामयाब रहे हैं। वहीं , शरमन और माधवन का जवाब नहीं । प्रिंसिपल वीरु के रोल में बोमन ईरानी कमाल कर गए हैं। करीना के हिस्से में कुछ खास नहीं आया , लेकिन अपने सिंपल लुक में वह भी खूब जमी हैं। म्यूजिक : फिल्म का म्यूजिक कहानी की डिमांड के मुताबिक है। जुबी डुबी और ऑल इज वेल गाने रिलीज से पहले ही पॉपुलर हो चुके हैं। आमिर और करीना पर फिल्माए जुबी डुबी गाने का फिल्माकंन गजब है। डायरेक्शन : राज कुमार हिरानी ने इस मूवी में भी अपने डायरेक्शन का जलवा दिखा दिया। उन्होंने साबित कर दिया कि उनके पिटारे से हर बार कुछ अलग और नया निकलता है। कहानी पर हिरानी की शुरू से आखिर तक पकड़ है। आमिर के रहते शरमन , माधवन , बोमन से हिरानी ने बेहतरीन काम लिया और हर एक की मौजूदगी को फिल्म का अहम हिस्सा बनाया। एक पल भी कहानी की गति को उन्होंने सुस्त नहीं पड़ने दिया। क्यों देखें : अगर आप बेहतरीन फिल्मों के इंतजार में रहते हैं , तो फौरन थियेटर पर पहुंच जाएं।

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