Tuesday, November 3, 2009

मुसलमान को वंदे मातरम् नहीं गाना चाहिए।


जमीयत उलेमा हिंद ने देश के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् को गैर-इस्लामिक करार देते हुए इसके खलाफ फतवा सुना दिया है। जमीयत के राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन पारित एक प्रस्ताव में कहा गया है कि मुसलमान को वंदे मातरम् नहीं गाना चाहिए। खास बात यह है कि केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम और संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट मंगलवार को इस अधिवेशन के समापन समारोह में पहुंचे। जमीयत के प्रमुख और राज्यसभा सांसद मौलाना महमूद मदनी व राष्ट्रीय अध्यक्ष कारी मोहम्मद उस्मान की मौजूदगी में उलेमा ने कुल 25 प्रस्ताव पास किए। जो अन्य प्रस्ताव पास हुए हैं उनमें से ज्यादातर केंद्र सरकार के लिए राहत कम और चुनौती ज्यादा हैं। उलेमा ने जिहाद की आड़ में आतंकवाद और बेगुनाहों के खून को साफ तौर पर गैर इस्लामिक कृत्य व अपराध करार दिया है और आधुनिक शिक्षण केंद्रों की स्थापना का प्रस्ताव एक राय से पास किया।
अधिवेशन ने यूपीए सरकार के महत्वाकांक्षी महिला रिजर्वेशन बिल को अनावश्यक बताते हुए खारिज कर दिया।ईसाई और कादयानी मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन पर भी उलेमा ने विरोधी तेवर दिखाए हैं। उलेमाओं की राय है कि सच्चर कमेटी रिपोर्ट पूरी तरह से लागू की जाए। इस बीच, मुस्लिम लॉ बोर्ड ने जमीयत के फतवे को जायज ठहराते हुए कहा है कि मुस्लमान अल्लाह को छोड़कर किसी की इबादत नहीं कर सकते। बोर्ड के मेंबर कमल फारुकी ने कहा कि हम देश से प्रेम करते हैं लेकिन पूजा नहीं कर सकते।

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