पश्चिम बंगाल में मालदा के कालियाचक में हुई हिंसा मामले में भाजपा ने
पश्चिम बंगाल सरकार पर जमकर हमला बोला। भाजपा ने मालदा हिंसा को राष्ट्रीय सुरक्षा
के लिए खतरा बताया। भाजपा प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि मालदा और आसपास के
इलाकों में अफीम की खेती फलफूल रही है। अफीम की बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में
तस्करी हो रही है लेकिन सरकार खामोश है। मालदा हिंसा की जांच के लिए बनी कमेटी की
रिपोर्ट को गृहमंत्री को पेश किया जाएगा।
हंगामे से पहले लीफलैट, सांप्रदायिक सामग्रियां
बांटी गई। आखिर इसे रोका क्यों नहीं गया?
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ममता जी ने कहा कि यूपी में मालदा की
घटना यूपी से आए बयान (कमलेश तिवारी का बयान) का रिएक्शन था। लेकिन रिएक्शन फौरन
होता है, 30 दिन बाद नहीं। ये प्लांड एक्शन था।
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ममता ने अपना बयान बदला और कहा कि ये
स्थानीय बीएसएफ सैनिकों से झड़प थी, लेकिन एक लाख लोगों ने
पुलिस स्टेशन क्यों जलाया?
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एनआईए मालदा में जाली नोट रैकेट पकड़ने
वाली थी। देश में 80 फीसद नकली करेंसी मालदा से है। रैकेट का भंडाफोड़ करने के
लिए बंगाल पुलिस की मदद चाहिए। ये सारी डिटेल्स कालियाचक पुलिस स्टेशन में है।
रिकॉर्ड जलाने के लिए पुलिस स्टेशन पर हमला हुआ। ऐसा क्यों हुआ?
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मालदा में अफीम की खेती होती है। इसे
बांग्लादेश में भेजा जाता है। इसे क्यों नहीं रोका गया?
मालदा रेलवे स्टेशन पर पहुंची भाजपा की टीम को पुलिस ने पहले हिरासत में
लिया। इसके बाद उसे वापस लौटा दिया। जांच टीम में दार्जिलिंग से पार्टी सांसद एसएस
अहलूवालिया, रिटायर्ड डीजीपी विष्णु दयाल राम व भूपेंद्र यादव शामिल
हैं।
मालदा पुलिस ने भाजपा की जांच टीम को रेलवे स्टेशन से ही लौट जाने को कहा
और कालियाचक जाने से रोक दिया। भाजपा की इस टीम को मालदा स्टेशन से बाहर भी नहीं
निकलने दिया गया। कहा गया कि बाहर आने या कलियाचक जाने से कानून-व्यवस्था बिगड़
सकती है। इसके बाद उन्हें दूसरी ट्रेन से वापस लौटा दिया गया।
हिरासत में लिए जाने के बाद भाजपा सांसद व जांच टीम के सदस्य एसएस
अहलूवालिया ने कहा कि वे यहां सच का पता लगाने आए हैं। क्षेत्र को अस्थिर करने
नहीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के दबाव में उन्हें घटनास्थल पर जाने से
रोका जा रहा है। जिला प्रशासन का कहना है कि धारा 144 लागू है और हम लोग उस
क्षेत्र का दौरा नहीं कर सकते हैं। अहलूवालिया ने कहा कि उन्होंने एसपी से कइ
सवाल किए, जिसमें उन्होंने कहा कि अभी जांच चल रही है।
जांच टीम के एक अन्य सदस्य भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कहा कि उनको
रोका जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अभी तक की सारी रिपोर्ट केंद्रीय
नेतृत्व को सौंपी जाएगी।
भाजपा के सिद्धार्थ दास ने कहा कि यह ममता बनर्जी सरकार की तानाशाही है, वह
मामले पर पर्दा डालना चाहती हैं। मालदा की घटना राज्य प्रशासन द्वारा योजनाबद्ध
है। कृष्णु मित्रा ने कहा है कि पुलिस द्वारा जांच दल को हिरासत में लिया जाना
उचित नहीं है। इस बीच, भाजपा के नलिन कोहली ने सवाल किया है
कि ममता सरकार किसी को मालदा क्यों नहीं जाने दे रही है।
गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मालदा कांड की सही
जानकारी और तथ्यों का पता लगाने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की तीन सदस्यीय
जांच टीम गठित की थी। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद भूपेंद्र यादव, सांसद
एसएस अहलूवालिया और बीडी राम को भी शामिल किया गया था। यह टीम मालदा के
हिंसाग्रस्त व तनावग्रस्त इलाकों का दौरा करने के बाद अमित शाह को रिपोर्ट सौंपेगी।
इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व बंगाल में पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को राजनीतिक
लड़ाई की अगली रणनीति के रूपरेखा तैयार करने का निर्देश देगा। बंगाल में कुछ महीने
बाद ही होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश भाजपा की ओर से भी बड़े पैमाने
पर तैयारियां शुरू हो गई है। इसी कड़ी में आगामी 18 जनवरी को केंद्रीय गृह
मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह भी मालदा दौरे पर जा रहे हैं।
मालदा हिंसा को लेकर भाजपा व तृणमूल कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी है।
गत शुक्रवार को पहली बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मालदा हिंसा पर कहा था कि बंगाल
शांत राज्य है। यहां कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं है। कुछ लोग हमें राजनीतिक रूप से
आलोचना का शिकार बना सकते हैं, लेकिन हम सांप्रदायिक समस्या नहीं
होने देंगे। अगर शांति है तो सभी कुछ सुलझ जाता है।
इस पर भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा था कि उत्तर
प्रदेश में हुई एक बात जिसकी हम भी निंदा करते हैं, को लेकर सांप्रदायिक
मुद्दा बनाया गया। इसका इस्तेमाल पुलिस थाने में आग लगाने के लिए किया गया। बीएसएफ
के वाहन भी फूंके गए। कुछ घरों पर हमले भी हुए थे। पूरे मामले को ऐसा बनाया गया
ताकि वह एक सांप्रदायिक मामला लगे लेकिन सच तो यह है कि यह तृणमूल द्वारा आंख में
धूल झोंकना है, खुद की करतूत पर पर्दा डालना है।
मालदा में तीन दिसंबर को दो लाख लोगों ने एकत्रित होकर कालियाचक थाने में
तोड़फोड़ करने के बाद आग लगा दी थी। कई वाहनों को फूंक दिया गया था। कई दुकानें
लूट ली गई थीं। इसके बाद कालियाचक थाने के 17 पुलिस अधिकारियों व
सिपाहियों का तबादला कर दिया गया था।
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