राष्ट्रपति प्रणव
मुखर्जी ने बुधवार को जब 1993 के मुंबई बम धमाकों के अभियुक्त याकूब अब्दुल रजाक मेमन की दया याचिका को
खारिज कर दिया, तो तबसे यह सवाल उठ रहा है कि याकूब को अब कब
फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा?
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने जवाब में एनबीटी से कहा कि यदि अजमल कसाब के केस का उदाहरण लें, तो याकूब की फांसी में कम से कम दो हफ्ते और लगेंगे।
इस अधिकारी के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा याकूब की दया याचिका जो खारिज की गई है, उसे जुड़ा पत्र संभवत: गुरुवार को मंत्रालय में आ गया होगा या आने वाला होगा।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने जवाब में एनबीटी से कहा कि यदि अजमल कसाब के केस का उदाहरण लें, तो याकूब की फांसी में कम से कम दो हफ्ते और लगेंगे।
इस अधिकारी के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा याकूब की दया याचिका जो खारिज की गई है, उसे जुड़ा पत्र संभवत: गुरुवार को मंत्रालय में आ गया होगा या आने वाला होगा।
मंत्रालय से यह पत्र बाद में अडिशनल डीजी (जेल) मीरा
बोरवणकर को भेजा जाएगा। अडिशनल डीजी (जेल) के जरिए यह पत्र उस नागपुर जेल के जेलर
को भेजा जाएगा, जहां याकूब बंद है। जेलर याकूब को बताएगा
कि तुम्हारी दया याचिका की अर्जी राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है।
राष्ट्रपति के इस लेटर को बाद में उस ट्रायल कोर्ट में भेजा जाएगा, जिसने 2007 में याकूब को फांसी की सजा सुनाई थी। यदि उस कोर्ट के जज रिटायर हो गए होंगे, तो फिर किसी और सेशन जज से डेथ वॉरंट निकलवाएगा जाएगा। डेथ वॉरंट निकलने के बाद ही फांसी की सजा की डेट फिक्स की जाएगी, लेकिन यह तारीख कोर्ट नहीं, राज्य सरकार तय करेगी। कोर्ट के डेथ वॉरंट की कापी एक बार फिर नागपुर जेल भेजी जाएगी और वह याकूब को दी जाएगी।
कोर्ट से डेथ वॉरंट निकलने के बाद एक मीटिंग बुलाई जाएगी। इस मीटिंग में होम मिनिस्टर आर आर पाटील के अलावा होम सेक्रेटरी, डीजी, अडिशनल डीजी (जेल) और नागपुर के पुलिस कमिश्नर हर हालत में शामिल होंगे। नागपुर के कमिश्नर को इसलिए रखा जाएगा, क्योंकि महाराष्ट्र में फांसी सिर्फ दो ही जेलों में ही दी जाती है-पुणे की यरवडा जेल और दूसरी नागपुर जेल। चूंकि याकूब नागपुर जेल में ही है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि उसे फांसी नागपुर में ही दी जाएगी। कसाब को यरवडा जेल में फांसी दी गई थी।
मुंबई के पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया चूंकि 1993 के बम धमाकों के केस के जांच अधिकारी थे और चूंकि याकूब की फांसी को लेकर मुंबई में भी प्रतिक्रिया हो सकती है, इसलिए याकूब को फांसी देने से पहले मारिया की भी राय निश्चित ली जाएगी। मारिया इन दिनों अमेरिका गए हुए हैं, वह 28 मई को वापस मुंबई आ रहे हैं, इसलिए इतना तय है कि याकूब को फांसी 28 मई से पहले बिल्कुल भी नहीं दी जाएगी। जब अजमल कसाब की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज की थी, तो कसाब को उसके ठीक 14 दिन बाद फांसी पर लटका दिया गया था।
राष्ट्रपति के इस लेटर को बाद में उस ट्रायल कोर्ट में भेजा जाएगा, जिसने 2007 में याकूब को फांसी की सजा सुनाई थी। यदि उस कोर्ट के जज रिटायर हो गए होंगे, तो फिर किसी और सेशन जज से डेथ वॉरंट निकलवाएगा जाएगा। डेथ वॉरंट निकलने के बाद ही फांसी की सजा की डेट फिक्स की जाएगी, लेकिन यह तारीख कोर्ट नहीं, राज्य सरकार तय करेगी। कोर्ट के डेथ वॉरंट की कापी एक बार फिर नागपुर जेल भेजी जाएगी और वह याकूब को दी जाएगी।
कोर्ट से डेथ वॉरंट निकलने के बाद एक मीटिंग बुलाई जाएगी। इस मीटिंग में होम मिनिस्टर आर आर पाटील के अलावा होम सेक्रेटरी, डीजी, अडिशनल डीजी (जेल) और नागपुर के पुलिस कमिश्नर हर हालत में शामिल होंगे। नागपुर के कमिश्नर को इसलिए रखा जाएगा, क्योंकि महाराष्ट्र में फांसी सिर्फ दो ही जेलों में ही दी जाती है-पुणे की यरवडा जेल और दूसरी नागपुर जेल। चूंकि याकूब नागपुर जेल में ही है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि उसे फांसी नागपुर में ही दी जाएगी। कसाब को यरवडा जेल में फांसी दी गई थी।
मुंबई के पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया चूंकि 1993 के बम धमाकों के केस के जांच अधिकारी थे और चूंकि याकूब की फांसी को लेकर मुंबई में भी प्रतिक्रिया हो सकती है, इसलिए याकूब को फांसी देने से पहले मारिया की भी राय निश्चित ली जाएगी। मारिया इन दिनों अमेरिका गए हुए हैं, वह 28 मई को वापस मुंबई आ रहे हैं, इसलिए इतना तय है कि याकूब को फांसी 28 मई से पहले बिल्कुल भी नहीं दी जाएगी। जब अजमल कसाब की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज की थी, तो कसाब को उसके ठीक 14 दिन बाद फांसी पर लटका दिया गया था।
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