Wednesday, February 16, 2011

मैं मजबूर हूं।

भ्रष्टाचार और घोटालों पर विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश के न्यूज़ चैनलों के संपादकों से मुलाकात में जो सफाई दी उसका लब्बोलुआब यही था कि मैं मजबूर हूं। स्पेक्ट्रम घोटालों से लेकर भ्रष्टाचार की नैतिक जिम्मादारी तक सारे सवालों के जवाब में उनका कहना था कि गठबंधन धर्म के चलते मेरे हाथ बंधे हुए हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जेपीसी समेत किसी भी जांच समिति में पेशी से डरता नहीं हूं। एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, ' 2 जी स्पेक्ट्रम के आवंटन से पहले मैंने 2 नवंबर 2007 को मैंने तत्कालीन टेलिकॉम मिनिस्टर ए. राजा की चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में अपनी और कई लोगों की चिंताएं जताई थीं।' प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि उन्हें राजा की 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए पहले आओ, पहले पाओ की विवादास्पद नीति के क्रियान्वयन के तौर-तरीकों बारे में जानकारी नहीं थी। इस बारे में मेरे साथ कभी चर्चा नहीं हुई और न ही इसे मंत्रिमंडल के सामने लाया गया। यह पूरी तरह दूरसंचार मंत्री का फैसला था। उन्होंने कहा, 'वित्त और दूरसंचार मंत्री 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की मौजूदा नीति को जारी रखने पर सहमत थे, ऐसे में मुझे नहीं लगा कि मैं नीलामी पर जोर देने की स्थिति में हूं।' शिकायतों के बावजूद राजा को 2009 में दोबारा मंत्री क्यों बनाया ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने गठबंधन की राजनीति का रोना रोते हुए कहा कि कि राजा को मंत्री बनाने के पीछे क्या बात हुई मुझे नहीं मालूम। प्रधानमंत्री ने कहा कि गठबंधन सरकार में चीजें वैसी नहीं होती जैसा आप चाहते हैं, गठबंधन धर्म का भी पालन करना पड़ता है।

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