Monday, January 24, 2011

बैंड-बाजे और बारात के साथ दुल्हन वाले दूल्हे के घर पहुंचे।

आज तक आपने दुल्हन के घर दूल्हे को बारात लेकर जाते देखा होगा, लेकिन बिहार के मुंगेर जिले में रविवार की रात एक ऐसे विवाह का आयोजन किया गया, जहां बैंड-बाजे और बारात के साथ दुल्हन वाले दूल्हे के घर पहुंचे। मुंगेर के कासिमबाजार थाना क्षेत्र के पुराणीगंज इलाके के निवासी श्यामदेव मिश्र के पुत्र सुखदेव मिश्र का विवाह झारखंड के धनबाद निवासी नेहा प्रियदर्शी के साथ वैदिक रीति-रिवाज के साथ संपन्न हुआ। बस इस विवाह में अनोखा यही था कि दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंची, जहां दूल्हे वालों ने उनका जमकर स्वागत किया। दूल्हे के चाचा कामदेव मिश्र ने बताया कि इस तरह के विवाह के लिए दूल्हा और दुल्हन दोनों राजामंद थे। उन्होंने बताया कि धनबाद से लड़की वाले मुंगेर में आकर एक होटेल में ठहरे, जहां से उनकी बारात निकली और मेरे घर तक पहुंची। लड़के के पिता श्यामदेव मिश्र ने कहा कि हमारे समाज में बेटी ईश्वर की सबसे खूबसूरत देन है। परंतु आज का समाज इसके साथ भेदभाव कर रहा है। जहां, दहेज के लिए दुल्हनों को बलि पर चढ़ा दिया जाता है, वहीं कई दंपती तो दहेज देने के डर से बेटी को पैदा ही नहीं होने दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन्हीं कुरीतियों को समाप्त करने के लिए यह अनोखा विवाह संपन्न हुआ। इधर, लड़की की मां आशा देवी भी कहती हैं कि आज उन्हें खुद पर फक्र महसूस हो रहा है कि उनकी बेटी ने समाज में एक उदाहरण पेश किया है। दुल्हन नेहा प्रियदर्शी ने कहा, 'उनके लिए यह एक अनोखा अहसास है कि दुल्हनिया दूल्हे के घर बारात ले कर गई। मुझे यह पहले ही बता दिया गया था कि ऐसी होगी तुम्हारी शादी। मैं भी यह तरीका कुछ नया होने के कारण तैयार हो गई।' जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आगे भी आपके घर की लड़कियों का विवाह इसी तरह होगा, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह तो नहीं पता, लेकिन इतना तय है कि होने वाली शादियों में दहेज जैसी कुरीतियों का चलन नहीं होगा।

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