Monday, January 3, 2011

'दायरे से बाहर' निकल कर सोचने का आग्रह

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में वैज्ञानिक उन्नति और नवाचारों के लिए भारतीय वैज्ञानिकों से'बड़ा' और 'दायरे से बाहर' निकल कर सोचने का आग्रह किया। मनमोहन सिंह ने सोमवार को यहां 98वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में अपने उद्घाटन भाषण में कहा, 'समय आ गया है, जब भारतीय वैज्ञानिकों को बड़ा और दायरे से बाहर निकल कर सोचना चाहिए। रमनों और रामानुजनों के पैदा होने का समय आ गया है, क्योंकि हम नवाचार के दशक में प्रवेश कर रहे हैं।' प्रधानमंत्री, प्रमुख भौतिक विज्ञानी सी.वी.रमन और प्रख्यात गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जिक्र कर रहे थे। दोनों तमिलनाडु से रहे हैं। रमन को 1930 में भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था। उन्होंने अपने अनुसंधान में इस बात का आविष्कार किया था कि जब प्रकाश की किरणें किसी पारदर्शी पदार्थ से होकर गुजरती हैं तो कुछ किरणें अपने मार्ग से हट जाती हैं और उनका तरंगदैर्ध्य परिवर्तित हो जाता है। रामानुजन का गणित में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं हुआ था, लेकिन उन्होंने गणितीय विश्लेषण में ठोस योगदान किया था। सिंह ने कहा, 'हमारी सरकार ने विश्वविद्यालय प्रणाली के विकास के लिए विशेष ध्यान दिया है। पिछले 6 वर्षों में हमारी सरकार ने 8 नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और पांच उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान स्थापित किए हैं।' प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के शुरुआत की घोषणा करते हुए कहा, 'हमारी अर्थव्यवस्था की वृद्धि, हमारे लोगों की रक्षा और सुरक्षा, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता पर निर्भर है।' भारतीय विज्ञान के इस सबसे विशाल आयोजन में दुनिया भर से कोई 7,500 वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं। इसमें छह नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक शामिल हैं। विज्ञान कांग्रेस का हमेशा तीन जनवरी को प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किया जाता है और उसकी अध्यक्षता मेजबान राज्य का मुख्यमंत्री करता है। लेकिन इस आयोजन की अध्यक्षता सोमवार को तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन ने की।

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