Tuesday, April 13, 2010

कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 के प्रोजेक्ट अब पब्लिक की जेब पर भारी

कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 के प्रोजेक्ट अब पब्लिक की जेब पर भारी पड़ रहे हैं। लगभग सभी प्रोजेक्ट की लागत 100 फीसदी बढ़ चुकी है। सभी प्रोजेक्टों के लिए जहां पहले 1000 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान था, वहां अब उनकी लागत बढ़कर 2460 करोड़ पहुंच गई है। तमाम प्रोजेक्टों के लेट होने की वजह से अधिकारी तमाम आरोपों का सामना कर रहे हैं लेकिन प्रोजेक्टों की लागत बढ़ने का मामला उससे भी ज्यादा गंभीर है। ऐक्टिविस्ट एस. सी. अग्रवाल की एक आरटीआई के जवाब में सीपीडब्ल्यूडी ने यह स्वीकार किया है कि जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में निर्माण और अपग्रेडेशन की लागत लगभग दोगुनी हो गई है। पहले जहां इसकी अनुमानित लागत 455 करोड़ रखी गई थी, वह अब बढ़कर 961 करोड़ पहुंच गई है। शहर के कुछ अन्य स्टेडियमों में भी निर्माण लागत बेतहाशा बढ़ गई। उदाहरण के लिए कर्णी शूटिंग रेंज की लागत 16 करोड़ से 149 करोड़ जा पहुंची है। इसी तरह इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम की अनुमानित लागत 271 करोड़ से 669 करोड़ तक जा पहुंची जबकि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्विमिंग पूल की लागत 145 करोड़ से 377 करोड़ रुपये हो गई है। मेजर ध्यानचंद नैशनल स्टेडियम, जिसका खेल मंत्री ने पिछले महीने उद्घाटन किया था, पर लागत 262 करोड़ बैठी जबकि पहले इस पर 113 करोड़ खर्च होने का अनुमान था। इसमें 42 करोड़ की लागत सिर्फ कंसलटेंसी के नाम पर बैठी, जिसकी मद पहले से तय ही नहीं थी। सीपीडब्ल्यूडी का कहना है कि लागत बढ़ने की कई सारी वजहें हैं। कई मामले में तो कुछ चीजें बाद में जोड़ी गईं, कुछ वेन्यू बदल गए, निर्माण सामग्री महंगी हो गई, सर्विस टैक्स और क्वॉलिटी बढ़िया करने की वजह से भी लागत बढ़ी।

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