जम्मू-कश्मीर में
तख्तापलट की साजिश के आरोपों का सामना कर रहे पूर्व आर्मी प्रमुख जनरल वी. के.
सिंह द्वारा सोमवार को दिए गए एक बयान पर फिर हंगामा खड़ा हो गया है। जनरल सिंह ने
दावा किया है कि जम्मू-कश्मीर में हालात 'स्थिर' बनाए
रखने के लिए के लिए सेना वहां के कुछ मंत्रियों को निश्चित रकम देती रही है और यह
आजादी के समय से ही चला आ रहा है।
जनरल सिंह के इस बयान के बाद राज्य और केंद्र से इसको लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने वीके सिंह के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की है। अब्दुल्ला ने कहा कि अगर आर्मी के फंड का इस्तेमाल ऐसे हो रहा है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी जांच होनी ही चाहिए। उधर, केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने वीके सिंह को ऐसे मंत्रियों का नाम जाहिर करने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि अगर सिंह नाम बता सकते हैं तो ऐसे मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी नैशनल कॉन्फ्रेंस ने वीके सिंह के बयान को खारिज कर दिया है। नैशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय प्रधान देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि देश और खासकर सेना के लिए यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूर्व सेना प्रमुख इस तरह के आधारहीन बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनरल वीके सिंह शुरू से ही उमर सरकार विरोधी थे। उन्होंने कश्मीर में एक राजनीतिक पार्टी से गठजोड़ कर राज्य सरकार के खिलाफ लगातार कार्य किया। राणा ने सच सामने लाने के लिए न्यायिक या सीबीआई जांच करवाने की मांग की। पार्टी के मुस्तफा कमाल ने आरोप लगाया है कि सिंह अपने आचरण पर लगे आरोपों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।
जनरल सिंह के इस बयान के बाद राज्य और केंद्र से इसको लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने वीके सिंह के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की है। अब्दुल्ला ने कहा कि अगर आर्मी के फंड का इस्तेमाल ऐसे हो रहा है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी जांच होनी ही चाहिए। उधर, केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने वीके सिंह को ऐसे मंत्रियों का नाम जाहिर करने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि अगर सिंह नाम बता सकते हैं तो ऐसे मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी नैशनल कॉन्फ्रेंस ने वीके सिंह के बयान को खारिज कर दिया है। नैशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय प्रधान देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि देश और खासकर सेना के लिए यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूर्व सेना प्रमुख इस तरह के आधारहीन बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनरल वीके सिंह शुरू से ही उमर सरकार विरोधी थे। उन्होंने कश्मीर में एक राजनीतिक पार्टी से गठजोड़ कर राज्य सरकार के खिलाफ लगातार कार्य किया। राणा ने सच सामने लाने के लिए न्यायिक या सीबीआई जांच करवाने की मांग की। पार्टी के मुस्तफा कमाल ने आरोप लगाया है कि सिंह अपने आचरण पर लगे आरोपों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।
जनरल सिंह ने हमारे
सहयोगी चैनल 'टाइम्स
नाउ' से बातचीत के दौरान कहा, 'सेना जम्मू-कश्मीर
में सभी मंत्रियों को रकम देती है, क्योंकि राज्य में
स्थायित्व बनाए रखने के लिए कई तरह के काम किए जाने होते हैं और मंत्रियों को कई
चीजें करने के साथ ही कई गतिविधियों को भी अंजाम देना होता है।' हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या सभी मंत्रियों को रकम दी जाती है,
तो उन्होंने यह कहते हुए अपने बयान में सुधार किया, 'हो सकता है सारे मंत्री नहीं, लेकिन कुछ मंत्री और
लोग हैं, जिन्हें खास काम करवाने के लिए कुछ रकम दी जाती है।
इस काम में किसी खास क्षेत्र में स्थायित्व लाना शामिल है।'
ऐसा किए जाने के कारण पूछे जाने पर जनरल सिंह ने कहा, 'कुछ ऐसे हालात आए...जैसे केपीएल (कश्मीर प्रीमियर लीग) के लिए किसने रकम दी? क्या जम्मू-कश्मीर या उमर अब्दुल्ला ने? सेना ने दिया।'
वह इन आरोपों पर जवाब दे रहे थे कि उनके कार्यकाल में जम्मू कश्मीर के मंत्री गुलाम हसन मीर को राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए 'टेक्निकल सपोर्ट डिविजन (टीडीएस)' की ओर से 1.19 करोड़ रुपए दिए गए।
जनरल सिंह ने कहा, 'कश्मीर बिल्कुल अलग मुद्दा है। कई काम किए जाते हैं, वहां आप ढेर सारे नागरिकों और युवाओं के काम करते हैं। इन सभी के लिए रकम की जरूरत होती है। कुछ रकम इन कामों के लिए दी जाती है। इसमें समस्या कहां है?'
उन्होंने कहा, 'यह जम्मू कश्मीर में आजादी के समय से ही चल रहा है। इसमें नया कुछ नहीं है।' जोर देने पर सिंह ने कहा, 'कुछ ऐसी बातें हैं जो जम्मू-कश्मीर में होती हैं और राष्ट्र के हित में नहीं हैं। हमारा एक काम है- देश को एकजुट रखना। यदि हमें लगता है कि हम मदद कर सकते हैं ताकि देश की अखंडता बनी रहे, तब सेना वहां कदम रखती है।'
गौरतलब है कि सेना ने रक्षा मंत्रालय से जनरल वी.के.सिंह द्वारा बनाई गई 'सिक्रीट इंटेलिजेंस यूनिट' की ऐक्टिविटीज़ की उच्चस्तरीय जांच के आदेश देने का आग्रह किया है। सेना को शक है कि इस यूनिट ने 'अनऑथराइज्ड ऐक्टिविटीज़' और फाइनैंशल गड़बड़ियां की हैं।
ऐसा किए जाने के कारण पूछे जाने पर जनरल सिंह ने कहा, 'कुछ ऐसे हालात आए...जैसे केपीएल (कश्मीर प्रीमियर लीग) के लिए किसने रकम दी? क्या जम्मू-कश्मीर या उमर अब्दुल्ला ने? सेना ने दिया।'
वह इन आरोपों पर जवाब दे रहे थे कि उनके कार्यकाल में जम्मू कश्मीर के मंत्री गुलाम हसन मीर को राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए 'टेक्निकल सपोर्ट डिविजन (टीडीएस)' की ओर से 1.19 करोड़ रुपए दिए गए।
जनरल सिंह ने कहा, 'कश्मीर बिल्कुल अलग मुद्दा है। कई काम किए जाते हैं, वहां आप ढेर सारे नागरिकों और युवाओं के काम करते हैं। इन सभी के लिए रकम की जरूरत होती है। कुछ रकम इन कामों के लिए दी जाती है। इसमें समस्या कहां है?'
उन्होंने कहा, 'यह जम्मू कश्मीर में आजादी के समय से ही चल रहा है। इसमें नया कुछ नहीं है।' जोर देने पर सिंह ने कहा, 'कुछ ऐसी बातें हैं जो जम्मू-कश्मीर में होती हैं और राष्ट्र के हित में नहीं हैं। हमारा एक काम है- देश को एकजुट रखना। यदि हमें लगता है कि हम मदद कर सकते हैं ताकि देश की अखंडता बनी रहे, तब सेना वहां कदम रखती है।'
गौरतलब है कि सेना ने रक्षा मंत्रालय से जनरल वी.के.सिंह द्वारा बनाई गई 'सिक्रीट इंटेलिजेंस यूनिट' की ऐक्टिविटीज़ की उच्चस्तरीय जांच के आदेश देने का आग्रह किया है। सेना को शक है कि इस यूनिट ने 'अनऑथराइज्ड ऐक्टिविटीज़' और फाइनैंशल गड़बड़ियां की हैं।
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