बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी के विरोध के बावजूद पीएम पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन उनकी नाराजगी दूर न होने से पार्टी के नेता बेचैन हैं। पार्टी को डर है कहीं आडवाणी ऐसा कोई कदम न उठा दें, जिससे पार्टी को और शर्मसार होना पड़े। इसके मद्देनजर आडवाणी को मनाने का दौर शनिवार को भी जारी है। पार्टी के कई बड़े नेता उनके मान-मनौव्वल में जुटे हैं।
शनिवार सुबह आडवाणी से मिलने सुषमा स्वराज, अनंत कुमार, मुरलीधर राव और बलबीर पुंज पहुंचे। इन नेताओं ने आडवाणी को पार्टी के इस फैसले पर राजी करने कोशिश की। बीजेपी नेतृत्व को डर है कि आडवाणी इस्तीफे देने जैसे अतिवादी कदम न उठा लें। गौरतलब है कि शुक्रवार को दिनभर की कोशिशों को बाद भी बीजेपी आडवाणी को मोदी के नाम पर राजी करने में नाकाम रही थी। शाम को संसदीय बोर्ड की मीटिंग में आडवाणी नहीं आए थे। आडवाणी के विरोध को दरकिनार करते हुए पार्टी ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था।
आडवाणी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को एक चिट्ठी लिखकर उनकी कार्यप्रणाली पर असंतोष जताया था। उन्होंने चिट्ठी में लिखा,'प्रिय श्री राजनाथ सिंह जी, आज दोपहर जब आप मुझे आज के संसदीय अधिकरण की बैठक की सूचना देने के लिए आए थे तब मैंने अपने मन की व्यथा के बारे में और और आपके कार्य संचालन के विषय में अपनी निराशा के बारे में कुछ कहा था। मैंने आपको उस समय कहा था कि मैं विचार करूंगा कि मैं बैठक में आकर अपनी बातें सभी सदस्यों को कहूं अथवा नहीं, अब तय किया है कि आज की बैठक में न आऊं यही उचित होगा। लाल कृष्ण आडवाणी।'
शनिवार सुबह आडवाणी से मिलने सुषमा स्वराज, अनंत कुमार, मुरलीधर राव और बलबीर पुंज पहुंचे। इन नेताओं ने आडवाणी को पार्टी के इस फैसले पर राजी करने कोशिश की। बीजेपी नेतृत्व को डर है कि आडवाणी इस्तीफे देने जैसे अतिवादी कदम न उठा लें। गौरतलब है कि शुक्रवार को दिनभर की कोशिशों को बाद भी बीजेपी आडवाणी को मोदी के नाम पर राजी करने में नाकाम रही थी। शाम को संसदीय बोर्ड की मीटिंग में आडवाणी नहीं आए थे। आडवाणी के विरोध को दरकिनार करते हुए पार्टी ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था।
आडवाणी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को एक चिट्ठी लिखकर उनकी कार्यप्रणाली पर असंतोष जताया था। उन्होंने चिट्ठी में लिखा,'प्रिय श्री राजनाथ सिंह जी, आज दोपहर जब आप मुझे आज के संसदीय अधिकरण की बैठक की सूचना देने के लिए आए थे तब मैंने अपने मन की व्यथा के बारे में और और आपके कार्य संचालन के विषय में अपनी निराशा के बारे में कुछ कहा था। मैंने आपको उस समय कहा था कि मैं विचार करूंगा कि मैं बैठक में आकर अपनी बातें सभी सदस्यों को कहूं अथवा नहीं, अब तय किया है कि आज की बैठक में न आऊं यही उचित होगा। लाल कृष्ण आडवाणी।'
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