Tuesday, June 11, 2013

जो नुकसान होना था, हो चुका। आडवाणी मानते हैं तो ठीक, नहीं तो पार्टी आगे बढ़े



 चुनाव प्रचार समिति की कमान मिलने के बाद भावी योजनाएं बनाने में जुटे नरेंद्र मोदी अब कभी अपने सियासी गुरु रहे लालकृष्ण आडवाणी के इस्तीफे से बैकफुट पर आ गए हैं। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि दोपहर पार्टी के सभी पदों से आडवाणी के इस्तीफे के बाद मोदी डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। सूत्रों ने बताया कि सोमवार को गुजरात के मुख्यमंत्री ने अपनी सारी मीटिंग्स कैंसल कर दीं और देर शाम तक ऑफिस में अकेले रहे। इस दौरान वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी के बड़े नेताओं को फोन करके पल-पल की जानकारी लेते रहे।

शाम को मोदी ने ट्वीट के जरिए बताया, 'फोन पर आडवाणी जी से विस्तृत बात हुई। मैंने उनसे इस्तीफे वापस लेने की अपील की। उम्मीद है कि वह लाखों कार्यकर्ताओं को निराश नहीं करेंगे।' उन्होंने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भी बात की, जबकि इस दौरान राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली से कई बार बात की। गुजरात के मुख्यमंत्री ने सरसंघचालक मोहन भागवत और सहसरकार्यवाह सुरेश सोनी से भी बात की और दोनों से कहा कि वे आडवाणी पर इस्तीफा वापस लेने के लिए दबाव बनाएं। हालांकि, बताया जा रहा है कि मोहन भागवत ने बीजेपी नेताओं से कहा, 'जो नुकसान होना था, हो चुका। आडवाणी मानते हैं तो ठीक, नहीं तो पार्टी आगे बढ़े।'

दिल्ली में मोदी के करीबी सहयोगी अमित शाह ने राजनाथ सिंह और दूसरे नेताओं से मिलकर इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की। शाह को मोदी ने इस काम में इसलिए लगाया गया क्योंकि गांधीनगर संसदीय सीट के चुनाव में वह आडवाणी की मदद करते रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने आडवाणी से भी मुलाकात की और मोदी के साथ मतभेदों को सुलझाने के लिए बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की। सूत्रों का कहना है कि यह मुद्दा जल्दी नहीं सुलझा तो मोदी खुद भी दिल्ली आ सकते हैं।

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