Thursday, June 27, 2013

ट्रकों का डीज़ल खत्म, ड्राइवर फंसे

 सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मीडिया की मौजूदगी में उत्तराखंड के लिए राहत सामग्री से भरे 100 ट्रकों को हरी झंडी दिखाई थी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि खाने-पीने की चीज़ों और दवाइयों से भरे ये ट्रक 3 दिन से बीच रास्ते में अटके हुए हैं, लेकिन कोई भी इनकी सुध नहीं ले रहा। इन ट्रकों का डीज़ल खत्म हो चुका है और ड्राइवरों के पास खाने-पीने के लिए भी पैसे नहीं बचे। ड्राइवरों का कहना है कि अगर जल्द कुछ इंतज़ाम नहीं हुआ तो वे राहत सामग्री बेचने के लिए मजबूर हो जाएंगे। खबर आई है कि ये ट्रक वाले थक-हार के अब दिल्ली लौटने लगे हैं।

राजनीतिक पार्टियों में उत्तराखंड में चल रहे बचाव और राहत कार्य का क्रेडिट लेने की होड़ मची हुई है। मीडिया में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 हजार गुजरातियों को बचाने की खबरें आने के बाद कांग्रेस की तरफ से सोमवार को उत्तराखंड के लिए राहत सामग्री से भरे ट्रकों का काफिला भेजा गया था। इस काफिले को कांग्रेस प्रेजिडेंट सोनिया गांधी ने हरी झंडी दिखाई थी। इस मौके पर राहुल गांधी और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित समेत कांग्रेस के कुछ और सीनियर नेता भी वहीं मौजूद थे। 3 दिन से ये 100 ट्रक बीच रास्ते में अटके हैं, लेकिन सरकार और कांग्रेस पार्टी को इस बारे में कोई खबर नहीं है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक जब इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दीक्षित से बात की गई, तो उन्हें नहीं मालूम था कि ट्रक बीच रास्ते में फंसे हुए हैं।

ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि उन्हें दिल्ली से देहरादून के लिए रवाना किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें और ऊपर श्रीनगर (उत्तराखंड) जाने के लिए कहा गया। ट्रक ड्राइवर श्रीनगर की तरफ बढ़ चले, लेकिन बीच रास्ते में तेल खत्म होने की वजह से ऋषिकेश में ही रुकना पड़ा। ड्राइवरों का कहना है कि अभी तक सरकार या कांग्रेस की तरफ से किसी ने भी उनसे संपर्क नहीं किया है। खाने-पीने में हुए खर्च की वजह से ड्राइवरों के पास पैसा भी खत्म हो चुका है। रिपोर्ट में एक ड्राइवर ने कहा, 'मालिक ने 2 हजार रुपये का डीज़ल भरवाया था, जो कि खत्म हो गया है। हमारे पास जो पैसे थे, वे भी खाने-पीने में खर्च हो गए। अब हमारे पास कुछ नहीं बचा है। हमसे कोई संपर्क भी नहीं कर रहा। अगर यही हालात बने रहे तो हम राहत सामग्री बेचने के लिए मजबूर हो जाएंगे।'

Thursday, June 20, 2013

तबाही की दर्दनाक कहानियां

 क्या हुआ था केदारनाथ में तबाही वाली रात? कैसा था वहां का मंजर? बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब में फंसे यात्रियों पर क्या गुजरी थी? उत्तराखंड में बारिश-बाढ़ से हुई तबाही में मौत को मात देकर लौटे कुछ खुशकिस्मत लोगों की आपबीती हिलाकर रख देने वाली है। आइए आपको बताते हैं दर्द की कुछ कहानियां उन्हीं की जुबानी...

1-पति के शव के साथ गुजारे दो दिन: सबसे दर्दनाक दास्तां सहारनपुर निवासी सविता नागपाल की है। सविता अपने पति सुरेंद्र नागपाल के साथ बद्रीनाथ यात्रा पर गई थीं। सोमवार रात अचानक होटेल में पानी घुसने के बाद यह बुजुर्ग दंपती ठौर की तलाश में सड़क पर आ गया। मलबे की चपेट में आकर पति सुरेंद्र नागपाल की मौत हो गई। सविता दो दिन तक अपने पति के शव के पास रोती-बिलखती रहीं। तीसरे दिन बेटे मुकेश के पहुंचने पर पति का अंतिम सस्कार किया जा सका। मुकेश को देहरादून में ही पिता के मरने की खबर मिल गई थी। वह मीडिया के सामने बद्रीनाथ जाने की गुहार लगाते देखे गए थे। बाद में वह किसी तरह वहां पहुंचे।
2-हाथ छूटा और पत्नी बह गईः राजस्थान के करौली के रहने वाले कल्याण सिंह इस हादसे में अपनी पत्नी को खोकर सदमे में हैं। उन्होंने मीडिया के सामने केदारनाथ में उस काली रात की दास्तां बयां की। उन्होंने बताया कि होटेल में अचानक पानी भरने लगा था। लोग होटेल की तीसरी मंजिल पर आ गए। इसी बीच उनकी पत्नी मालती का हाथ उनके हाथ से छूट गया और वह पानी में बह गईं। उनके दल के कुछ साथी भी साथ में बह गए।

3- केदारनाथ की वह रात..: केदारनाथ मंदिर के पुजारी रविंद्र भट्ट ने भी अपनी आपबीती सुनाई। भट्ट के मुताबिक केदारनाथ में 16 जून की रात और 17 जून की सुबह तबाही का सैलाब आया था। भट्ट के मुताबिक 16 जून को शाम आठ बजे तक धाम में सब कुछ ठीक था। सवा आठ बजे अचानक मंदिर के ऊपर से पानी का सैलाब सा आता दिखा। उन्होंने दूसरे तीर्थ यात्रियों के साथ मंदिर में शरण ली। रातभर लोग एक दूसरे की हिम्मत बंधाते रहे। 17 जून को सुबह 6:55 बजे एक बार फिर पानी का सैलाब आया। इसने धाम में काफी तबाही मचाई। इस तबाही के बाद धाम में कई शव बिखरे दिखे।
4- पिलर पकड़कर बचाई जानः केदारनाथ में जब तबाही मची तब सीओ आर डिमरी भी वहां मौजूद थे। सीओ भी पानी के तेज बहाव में डूबने लगे थे, लेकिन किसी तरह उन्होंने खुद को बचाया। डिमरी के मुताबिक उनके हाथ एक पिलर आ गया था, जिससे वह अपने दूसरे साथियों की तरह सैलाब में नहीं बहे।
5- मैं लाशों को तैरते देख रहा था: उस रात तबाही का मंजर क्या था यह किसी तरह बचे केदारनाथ गांव के रहने वाले सोहन सिंह नेगी ने बयां किया। उन्होंने बताया, 'मैंने खुद अपनी आंखों के सामने 60 लाशों को तैरते हुए देखा। करीब 200 लोग ऐसे हैं जिनको मैं जानता हूं, लेकिन उनका कहीं कोई अता पता नहीं है।'
6- हेमकुंड में 50 यात्री बह गए: हेमकुंड साहिब में तबाही का मंजर क्या था यह वहां से लौटे एक यात्री सुखप्रीत ने मीडिया को बताया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने 200 से ज्यादा मोटरसाइकलों को नदी में समाते देखा। इसके अलावा उन्होंने बताया कि बच्चों समेत करीब 50 यात्री नदी में गिरे हैं।
7- केदारनाथ में कुछ नहीं बचा है: केदारनाथ से लौटीं राजस्थान की संतोष ने बताया कि वहां केवल मुख्य मंदिर ही बचा हुआ है। मंदिरा का पूरा चबूतरा तबाह हो गया है। मुख्य मंदिर के आसपास के छोटे-छोटे मंदिरों का नामोनिशान नहीं है। बड़े-बड़े पत्थरों के सिवा वहां कुछ नजर नहीं आ रहा है।
8- बच्चों को बिस्किट पर जिंदा रखाः महाराष्ट्र के गोदिया की रहने वीला साक्षी भी तबाही का मंजर याद कर सहम जाती हैं। साक्षी ने मीडिया को बताया कि वह अपने ढाई साल के बेटे दिव्यम और आठ महीने की बेटी कृतिका के साथ फंस गई थीं। खाने को कुछ नहीं था। दिनभर वह बच्चों को बिस्किट के कुछ टुकड़े खिला दिया करती थीं। हेलिकॉप्टर से देहरादून पहुंचने पर उन्हें यकीन ही नहीं आ रहा था कि वह सकुशल बच गई हैं।
9- बिहार के पूर्व मंत्री के रिश्तेदार लापताः केदारनाथ की यात्रा पर गए बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे 16 जून की रात का जिक्र आते ही कांप जाते हैं। उन्होंने दो बार सैलाब का सामना किया। वह तो किसी तरह अपनी जान बचाने में कामयाब रहे लेकिन उनके साथ आए सात रिश्तेदार और सुरक्षाकर्मी सैलाब में बह गए। उन लोगों का कोई सुराग नहीं मिल रहा है। अश्विनी चौबे खुद भी घायल हैं और उन्हें गुप्तकाशी के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। आज वह देहरादून पहुंचेंगे और वहां से दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है। चौबे ने न्यूज़ चैनलों को बताया कि उनकी पत्नी, दोनों बेटे, बहू और पोता सुरक्षित हैं, लेकिन साढ़ू सुबोध मिश्र, साली संगीता (सुबोध मिश्र की पत्नी), भतीजा गुड्डू, पुरोहित दीनानाथ पंडित और तीन बॉडीगार्ड्स का कोई सुराग नहीं है।

Wednesday, June 19, 2013

आपसी सहमति से सेक्‍स-तो दोनों को पति-पत्‍नी

 मद्रास हाई कोर्ट ने शादी से पहले सेक्स की नई व्याख्या की है। इससे लिव-इन रिश्‍तों में नया मोड़ आ सकता है। अदालत ने कहा है कि यदि शादी के पहले 2 वयस्क सेक्स करते हैं तो इसे वैध शादी करार दिया जाएगा और दोनों को पति-पत्‍नी घोषित किया जा सकता है।

जस्टिस सी.एस. करनान ने अपने आदेश में कहा कि अगर 21 साल की उम्र पार कर चुके कुंवारे पुरुष और 18 साल पार कर चुकी युवती के बीच आपसी सहमति से सेक्‍स होता है तो इन दोनों को पति-पत्‍नी कहा जा सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में अपवाद जरूर हो सकता है।

करनान ने कहा कि मंगलसूत्र, वरमाला, अंगूठी आदि पहनने जैसी वैवाहिक औपचारिकताएं सिर्फ समाज की संतुष्टि के लिए होती हैं। कोई भी पक्ष यौन संबंध के बारे में दस्तावेजी सबूत पेश करके वैवाहिक संबंधों का दर्जा हासिल करने के लिए परिवार अदालत से सम्पर्क कर सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार ऐसी घोषणा हो जाने के बाद कपल किसी भी सरकारी रेकॉर्ड में पति-पत्नी के रूप में स्थापित हो सकते हैं।

Monday, June 17, 2013

यह बूढ़ा अब बी जे पी का सत्यानाश करेगा

शरद जी का बयान कि आडवाणी को यदि  बी जे पी अपना नेता मान ले तो जे डी यू  फिर बी जे पी में आ सकता है, साफ करता है कि आडवाणी नमक यह बूढ़ा अब बी जे पी का सत्यानाश करेगा । कहावत है कि अगर साँप और सिंधी एक साथ हमला करे तो पहले सिंधी से लड़ो , क्योंकि सिंधी साँप से भी खतरनाक है ।


 बीजेपी की चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन बनाए जाने के बाद से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार लाल कृष्ण आडवाणी से मिलने उनके घर पहुंचे हैं। मोदी के साथ-साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी दिल्ली आ रहे हैं और उनका भी आडवाणी से मिलने का कार्यक्रम है। मोदी का योजना आयोग में भी जाने का कार्यक्रम है। मोदी ने सुबह दिल्ली पहुंचकर सबसे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात की।

गौरतलब है कि गोवा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक और वहां नरेंद्र मोदी को बीजेपी चुनाव समिती की कमान सौंपे जाने के बाद से बीजेपी में काफी घमासान मची है। पहले लाल कृष्ण आडवाणी का नाराज होकर इस्तीफा देना, बाद में इस्तीफा वापस लेना और फिर बीजेपी-जडयू गठबंधन का टूटना। सुबह माना जा रहा था कि मोदी और आडवाणी के बीच इन सभी मुद्दों पर दोनों में चर्चा हो सकती है। यह भी कहा जा रहा था कि मोदी अपने गुरु लाल कृष्ण आडवाणी की किसी भी तरह की नाराजगी को दूर करने का भी प्रयास करेंगे।

सरकारी कार्यक्रम का एक प्रोटोकॉल होता है

 17 साल पुराना गठबंधन तोड़कर बीजेपी और विरोधियों के हमलों को झेल रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को अपनी सफाई दी। विश्वासघात करने के बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विश्वासघात हमने नहीं बीजेपी ने अपने बुजुर्ग नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी से किया है। नीतीश ने एक बार फिर दोहराया कि बिहार में गठबंधन ठीक से चल रहा था, जैसे ही 'बाहरी' हस्तक्षेप शुरू हुआ, गठबंधन में समस्या पैदा हो गई। साथ ही उन्होंने दंगों के बाद गुजरात में एक कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी की तारीफ करने के मुद्दे पर कहा कि वह सरकारी कार्यक्रम था। सरकारी कार्यक्रमों में राजनीतिक भाषण नहीं दिया जाता है।

पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश ने बीजेपी के हर आरोपों को नकार दिया। दिसंबर 2003 को कच्छ में एक रेल प्रॉजेक्ट के उद्घाटन के दौरान मोदी की तारीफ करने पर भी उन्होंने खुलकर बोला। नीतीश ने कहा, 'मैं एक सरकारी कार्यक्रम में गया था। सरकारी कार्यक्रम का एक प्रोटोकॉल होता है। उस मंच से राजनीतिक भाषण नहीं दिया जाता है, एक दूसरे की शिकायत नहीं की जाती है। मैंने उसी के तहत अपनी बात कही।'

गौरतलब है कि उस कार्यक्रम में नीतीश ने मोदी के राष्ट्रीय राजनीति के क्षितिज पर छा जाने की भविष्यवाणी भी की थी। साथ ही लोगों को गुजरात दंगों को भूलकर मोदी के द्वारा किए जा रहे विकास के कामों को देखने की सलाह दी थी। बीजेपी के समर्थक सोशल साइट्स पर इस कार्यक्रम का विडियो शेयर करके नीतीश को घेरने में जुटे हैं।

Friday, June 14, 2013

रमेश ने यह भी स्वीकार किया कि आने वाले चुनावों में मोदी कांग्रेस के लिए चुनौती होंगे

कांग्रेस के अहम रणनीतिकार केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि नरेंद्र मोदी इस देश के पहले असली फासिस्ट हैं। रमेश ने यह भी स्वीकार किया कि आने वाले चुनावों में मोदी कांग्रेस के लिए चुनौती होंगे। उन्होंने कहा कि मोदी न केवल अपने प्रबंधन कौशल की वजह से कांग्रेस के लिए चुनौती हैं बल्कि विचारधारा के स्तर पर भी कांग्रेस को चुनौती पेश करेंगे। 

शायद यह पहली बार है जब किसी कांग्रेस के बड़े नेता ने नरेंद्र मोदी को कांग्रेस के लिए चुनौती करार दिया है। कांग्रेस इससे पहले हमेशा एक सुर में कहती रही है मोदी को गुजरात से बाहर कोई नहीं जानता है। जब रमेश से पूछा गया कि क्या कांग्रेस मोदी से डरी हुई है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमें क्यों मोदी से डरना चाहिए? इसमें कोई शक नहीं है कि वह ताकतवर कैंपेनर रहे हैं। 

बीजेपी ने जयराम रमेश की टिपप्णी पर कहा कि मोदी से कांग्रेस किस हद तक डरी हुई है इस बयान से साफ हो जाता है। बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावेडकर ने कहा, 'कांग्रेस बुरी तरीके से बौखला गई है। उसे अभी से ही अहसास हो गया है कि 2014 में हारने वाली है। कांग्रेस हताशा में न जाने मोदी को क्या-क्या बोल रही है।' उन्होंने कहा कि यह मोदी का डर ही है कि कांग्रेस हर दिन उन पर अटैक करती है। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कांग्रेस विकास से खौफ खा रही है। कांग्रेस मोदी के विकास अजेंडा से बुरी तरह डरी हुई है। नकवी ने बताया कि कांग्रेस को मोदी फोबिया से फिलहाल मुक्ति नहीं मिलने वाली है।

Tuesday, June 11, 2013

जो नुकसान होना था, हो चुका। आडवाणी मानते हैं तो ठीक, नहीं तो पार्टी आगे बढ़े



 चुनाव प्रचार समिति की कमान मिलने के बाद भावी योजनाएं बनाने में जुटे नरेंद्र मोदी अब कभी अपने सियासी गुरु रहे लालकृष्ण आडवाणी के इस्तीफे से बैकफुट पर आ गए हैं। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि दोपहर पार्टी के सभी पदों से आडवाणी के इस्तीफे के बाद मोदी डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। सूत्रों ने बताया कि सोमवार को गुजरात के मुख्यमंत्री ने अपनी सारी मीटिंग्स कैंसल कर दीं और देर शाम तक ऑफिस में अकेले रहे। इस दौरान वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी के बड़े नेताओं को फोन करके पल-पल की जानकारी लेते रहे।

शाम को मोदी ने ट्वीट के जरिए बताया, 'फोन पर आडवाणी जी से विस्तृत बात हुई। मैंने उनसे इस्तीफे वापस लेने की अपील की। उम्मीद है कि वह लाखों कार्यकर्ताओं को निराश नहीं करेंगे।' उन्होंने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भी बात की, जबकि इस दौरान राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली से कई बार बात की। गुजरात के मुख्यमंत्री ने सरसंघचालक मोहन भागवत और सहसरकार्यवाह सुरेश सोनी से भी बात की और दोनों से कहा कि वे आडवाणी पर इस्तीफा वापस लेने के लिए दबाव बनाएं। हालांकि, बताया जा रहा है कि मोहन भागवत ने बीजेपी नेताओं से कहा, 'जो नुकसान होना था, हो चुका। आडवाणी मानते हैं तो ठीक, नहीं तो पार्टी आगे बढ़े।'

दिल्ली में मोदी के करीबी सहयोगी अमित शाह ने राजनाथ सिंह और दूसरे नेताओं से मिलकर इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की। शाह को मोदी ने इस काम में इसलिए लगाया गया क्योंकि गांधीनगर संसदीय सीट के चुनाव में वह आडवाणी की मदद करते रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने आडवाणी से भी मुलाकात की और मोदी के साथ मतभेदों को सुलझाने के लिए बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की। सूत्रों का कहना है कि यह मुद्दा जल्दी नहीं सुलझा तो मोदी खुद भी दिल्ली आ सकते हैं।

Thursday, June 6, 2013

संस्था ही माओवादियों को संरक्षण देने के काम में

 गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर यूपीए सरकार और सोनिया गांधी पर सीधा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि माओवादियों को संरक्षण देने का काम यूपीए नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने कहा कि सोनिया की अगुवाई वाली एनएसी (राष्ट्रीय सलाहकार परिषद) के सदस्य माओवादियों को अपने एनजीओ का नेतृत्व सैंपने में भी नहीं हिचकते।

मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में शिरकत करने दिल्ली आए मोदी ने मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि नक्सल समस्या को देश की सबसे गंभीर समस्या करार देने वाली यूपीए सरकार यह भी नहीं देख पा रही कि उसकी सबसे ताकतवर संस्था ही माओवादियों को संरक्षण देने के काम में इस्तेमाल की जा रही है।

उन्होंने कहा कि पिछली बार जब उड़ीसा में एक जिलाधिकारी को माओवादियों ने किडनैप किया था, तो जिलाधिकारी को छोड़ने की एवज में उन लोगों ने पांच माओवादियों को छोड़ने की मांग की थी। इन 5 माओवादियों में एक पद्मा भी थी जो एक जाने-माने माओवादी नेता की पत्नी भी हैं। उन्होंने कहा कि पद्मा एक एनजीओ की हेड हैं यह एनजीओ सोनिया की अगुवाई वाली एनएसी के एक सदस्य चलाते हैं।