भूकंप के मापदंड में आमची मुंबई जोन तीन में आती है। जोन तीन का मतलब है कि मुंबई आंशिक तौर पर सुरक्षित है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के अनुसार यदि मुंबई में 5 रिक्टर स्केल पर भूकंप आता है, तो पूरा शहर तहस-नहस हो जाएगा। पांच साल तक किए गए सर्वे के मुताबिक सबसे अधिक खतरनाक इलाकों में प्रभादेवी, दादर, सायन, महालक्ष्मी और पॉश कहा जाने वाला चर्चगेट का क्षेत्र है, इसके अलावा वाशी, मालाड, कुर्ला आदि भी डेंजर जोन में हैं। जबकि, सुरक्षित कहे जाने वाले इलाकों में मलबार हिल, वडाला, परेल, वर्ली आदि शामिल हैं। सात द्वीपों से बने मुंबई का अधिकतर हिस्सा समुद्र से घिरा है। परेशानी का सबब यह है कि कई समुद्री किनारों पर झुग्गियां बसी हैं। इन झुग्गियों में लाखों लोग रहते हैं। दुर्भाग्य से अगर सूनामी आती है, तो बेहिसाब जान-माल का नुकसान होगा। जापान के भूकंप में कई इमारतें भूकंप प्रतिरोधी होने की वजह से कई लोगों की जानें बच गईं। लेकिन, मुंबई में इस तरह की इमारतों के निर्माण पर कोई जोर नहीं होता। जापान की राजधानी टोक्यो सूनामी और भूकंप की मार झेलने के बाद फुकुशिमा में न्यूक्लियर पावर स्टेशन में हुए धमाके के बाद रेडिएशन का खतरा मंडराने लगा है। फुकुशिमा की घटना के बाद भारत में भी न्यूक्लियर पावर स्टेशन की सुरक्षा पर सवाल उठने लगा है। काफी समय से जैतापुर न्यूक्लियर पावर प्रॉजेक्ट को लेकर बवाल मचा है। जापान के हादसे से जैतापुर का विरोध बढ़ गया है। शिवसेना ने जैतापुर प्रॉजेक्ट की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए धमकी दी की वह अपना विरोध और तेज करेगी। बता दें कि रत्नागिरी के जैतापुर में पावर प्रॉजेक्ट की प्रस्तावित जगह पर बीते 20 सालों में कई बार 6 रिक्टर स्केल तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि, द न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने ऐसे किसी खतरे से इनकार किया है। उनका कहना है कि भारत के सभी न्यूक्लियर पावर स्टेशन सुरक्षित हैं।
Tuesday, March 15, 2011
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