2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर राजा पर सीबीआई का फंदा और कसता जा रहा है। सीबीआई को इस बात ते सबूत मिले हैं कि राजा ने टेलिकॉम कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ली गई 3000 कोरड़ रुपये की रिश्वत में से कुछ हिस्सा मॉरिशस और सेशल्स में अपनी पत्नी के बैंक खातों में जमा कराए थे। सीबीआई सूत्रों के अनुसार, मॉरिशस और सेशल्स की सरकारों को पत्र लिखकर ( LRs) इस बारे में जानकारी मांगी थी। दोनों देशों ने सीबीआई को जो जानकारी दी उससे इस बात की पुष्टि हुई है कि राजा ने कुछ टेलिकॉम कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए रिश्वत ली थी। स्पेक्ट्रम घोटाले में सुप्रीम कोर्ट के जांच शुरू करने से पहले ही 2009 में सीबीआई के एफआईआर दर्ज करने के तुरंत बाद ही इन दोनों देशों को LRs भेजा गया था। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने 11 फरवरी को अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जांच एजेंसी को यकीन है कि इस घोटाले में राजा को करीब 3 हजार करोड़ की रिश्वत मिली थी और 2जी स्पेक्ट्रम में करीब 45हजार से-50 हजार तक का घोटाला हुआ है। इस बीच, सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि 10 टेलिकॉम कंपनियों के सीईओ सहित 63 लोग जांच के घेरे में हैं। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, उनके निजी सचिव आर. के. चंदौलिया, पूर्व टेलिकॉम सेक्रेटरी सिद्धार्थ बेहुरा और डीबी रिऐलिटी के प्रमोटर शाहिद बलवा पर मुकदमे की सुनवाई के लिए उसने एक विशेष अदालत के गठन की दिशा में जरूरी कदम उठा लिए हैं। इससे इस मामले में सुनवाई की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी। घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने कोर्ट से कहा कि 10 टेलिकॉम कंपनियों के सीईओ सहित 63 लोग उसकी जांच के घेरे में हैं, जिन पर इस घोटाले से कथित तौर पर फायदा लेने का आरोप है। केंद्र की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि विधि मंत्री वीरप्पा मोइली ने 2जी घोटाला मामले के लिए एक विशेष अदालत गठित करने के उद्देश्य से दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है। न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति ए. के. गांगुली की बेंच से इंदिरा ने कहा कि मोइली ने विशेष अदालत की कमान संभालने के लिए एक जज का नाम तय करने का अनुरोध भी हाई कोर्ट से किया है। वहीं, 2जी घोटाले में ही लाइसेंस रद्द किए जाने के एक मामले में अपनी बात रखने का इंतजार कर रहे रतन टाटा के वकील हरीश साल्वे ने इस सुनवाई के दौरान ही कहा कि अदालत को सुनवाई बंद कमरे में करनी चाहिए। साल्वे ने कहा, 'ये बड़ी कंपनियां हैं और इससे उनकी प्रतिष्ठा पर असर पड़ता है। जांच में सीबीआई को जो कुछ पता चलेगा, वह आरोप पत्र दाखिल होने पर ही सामने आएगा, लेकिन मीडिया में तमाम बातें आ रही हैं।' हालांकि, कोर्ट ने उनकी दलील खारिज कर दी और कहा, 'खुला मीडिया और खुली सुनवाई का होना महत्वपूर्ण है।' सीबीआई के वकील के के वेणुगोपाल ने कोर्ट को इस मामले की जांच में प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने जांच के बारे में स्थिति रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी। वेणुगोपाल ने कहा, '10 कंपनियों के सीईओ सहित 63 लोग 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के घेरे में आए हैं।' कोर्ट ने सीबीआई से इस घोटाले से कथित तौर पर फायदा उठाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा था कि ये कंपनियां इस घोटाले से जुड़ी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय से भी इस घोटाले की जांच से जुड़ी स्थिति रिपोर्ट 10 मार्च तक पेश करने को कहा। इस बीच, कोर्ट ने दूरसंचार विभाग, ट्राई और कंपनियों के हलफनामों को अपने रिकॉर्ड में रख लिया है। दूरसंचार विभाग ने कहा कि वह 2जी लाइसेंस दिए जाने के 52 हफ्तों के भीतर 2जी सेवाएं शुरू करने की शर्त पूरी न करने वाली कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने पर विचार कर रहा है। हालांकि, विभाग ने कहा कि सेवा शुरू करने में विफलता के लिए 122 कंपनियों के लाइसेंस रद्द करना शायद जनहित में न हो।
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