Tuesday, March 1, 2011

अस्पताल में इलाज कराना बहुत महंगा

अगर स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रस्तावित सर्विस टैक्स लागू हो गया, तो आम आदमी के लिए प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराना बहुत महंगा होगा। प्राइवेट लैबों में जांच कराना भी मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रत्यक्ष रूप से लगाया गया 5 पर्सेंट का कर मरीजों पर परोक्ष रूप से इससे भी ज्यादा भार डालेगा। मूलचंद हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट डॉ. के. के. अग्रवाल कहते हैं कि फिलहाल प्राइवेट अस्पतालों में लिवर ट्रांसप्लांट पर 15 लाख रुपये के आस-पास खर्च आता है। नया सर्विस टैक्स लागू होने के बाद इसमें आने वाला खर्च करीब 75 हजार रुपये और बढ़ जाएगा। बाईपास, एंजियोप्लास्टी और घुटना प्रत्यारोपण जैसे प्रॉसीजर पर अभी ढाई से तीन लाख रुपये खर्च होते हैं। इनके शुल्क में करीब साढ़े बारह हजार रुपये और जुड़ जाएंगे। ज्यादातर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर वैट पहले से लगा हुआ है। सीनियर डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. ए. के. झिंगन कहते हैं कि डायबीटीज की दवाएं, इंसुलिन, ग्लूकोज मॉनिटरिंग स्ट्रिप्स जैसी चीजें अब तक टैक्स के दायरे से बाहर नहीं आ पाई हैं, जबकि जीवनशैली में बदलाव के चलते देश डायबीटीज कैपिटल बनता जा रहा है। फिलहाल पांच करोड़ लोग इसकी चपेट में हैं। इतने ही लोग जल्द डायबीटीज की चपेट में आने की हालत में हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या प्रोडक्टिव एज ग्रुप (20-40 साल) के हैं। मगर इलाज और जांच महंगी होने के चलते सिर्फ आठ पर्सेंट लोग जांच कराते हैं और उनमें से सिर्फ 50 पर्सेंट नियमित रूप से इलाज करा पाते हैं। सेवाएं और महंगी हो जाएंगी, तो लोग इलाज से और कतराएंगे। ऐसे में, किडनी, हार्ट, लिवर, आंखों से जुड़ी गंभीर बीमारियां तेजी से पांव पसारेंगी और अंतत: देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगी। मेदांता मेडिसिटी के अध्यक्ष डॉ. नरेश त्रेहन कहते हैं कि इस बार का बजट बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह की पहल स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर सरकार की अनदेखी को जाहिर करती है। इससे समस्याएं घटने की बजाय बढ़ेंगी।

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