Monday, November 4, 2013

अदालतों पर बैन क्यों नहीं लगा दिया जाए ?

ओपिनियन पोल को बैन करने की कांग्रेस की मांग पर बवाल बढ़ता जा रहा है। बीजेपी के पीएम कैंडिडेट और गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को इस रुख को 'बचकाना' करार देते हुए अपने ब्लॉग में लिखा है, 'मेरी चिंता केवल ओपिनियन पोल्स पर बैन लगाने की कांग्रेस की मांग तक ही सीमित नहीं है। कल कांग्रेस चुनाव के समय इसी आधार पर लेख, संपादकीय, ब्लॉग लिखने पर रोक लगाने की मांग कर सकती है। अगर वे चुनाव हार गए तब चुनाव आयोग पर बैन लगाने की मांग कर सकते हैं।'
मोदी ने लिखा, 'अगर अदालतें कांग्रेस के पक्ष में फैसले नहीं देंगी तो वह कह सकती है कि अदालतों पर बैन क्यों नहीं लगा दिया जाए। इस पार्टी ने अदालत के असहज फैसले के जवाब में आपातकाल लगाया था।'
नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग के जरिए लोगों से कांग्रेस को न केवल ओपिनियन पोल में बल्कि मतदान केंद्र पर भी खारिज करने की अपील की है।
मोदी के मुताबिक, 'स्वतंत्रता के बाद जिन लोगों ने भारतीय राजनीति और कांग्रेस पार्टी के कामकाज को देखा होगा, वे सहमत होंगे कि उनके लिए कांग्रेस पार्टी का रुख आश्चर्य भरा नहीं है।' उन्होंने कहा, 'सत्ता में होने पर कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी समस्या उसका अहंकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बुनियादी अधिकारों को कुचलने की प्रवृत्ति है।'
मोदी ने सोमवार को अपने ब्लॉग 'टुडे ओपिनियन पोल्स, वाट नेक्स्ट' में लिखा, 'अगर आप मुझसे पूछें, तो इसका हल बहुत आसान है। कांग्रेस के निरंकुश और विध्वसंकारी हथकंडों से निपटने की बजाए, अच्छा यह होगा कि हम अलोकतांत्रिक कांग्रेस को न केवल ओपिनियन पोल में बल्कि मतदान केंद्र पर भी खारिज करें।'
मोदी ने कहा, 'जैसा हम सुनना चाहते हैं, वैसे पोल के रिजल्ट नहीं आ रहे हैं। सिर्फ इसलिए ओपिनियन पोल्स को बैन कर देना चाहिए, इस तरह का कदम उठाना पूरी तरह से बचकाना है।'
ओपनियन पोल्स के बारे में उन्होंने लिखा कि उनका किसी खास से कोई लगाव नहीं है। मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा, 'वास्तव में मैं इनकी सीमाओं से परिचित हूं। हमारे जानकार चुनाव विश्लेषकों ने अनुमान व्यक्त किया कि साल 2002 में गुजरात में कैसे बीजेपी के खिलाफ मतदान होगा। इसके बाद 2007 और फिर 2012 में ऐसे बड़े विश्वास से पेश किए गए ओपिनियन पोल्स को लोगों ने गलत साबित किया था।'
कांग्रेस ने पिछले हफ्ते चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनाव के दौरान ओपिनियन पोल पर रोक लगाने की बात कही थी। कांग्रेस ने ओपिनियन पोल को दोषपूर्ण, विश्वसनीयता की कमी और स्वार्थ के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया करार दिया था

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