गुजरात के पूर्व
गृह राज्य मंत्री और यूपी में बीजेपी के चुनाव प्रभारी अमित शाह के अपने 'साहब' के इशारे पर युवा महिला आर्किटेक्ट का पीछा करवाने के मामले में कई
सनसनीखेज बातें सामने आ रही हैं। 'मुंबई
मिरर' की पड़ताल के मुताबिक 'साहब'
का इस युवती से करीबी रिश्ता था। 'साहब'
ने युवती को अपना पर्सनल मोबाइल नंबर दे दिया था और दोनों के बीच इस
नंबर पर दिन में 18 बार तक बातें हुई हैं।
लड़की का पीछा क्यों करवाया गया, इसकी कहानी एक मिस्ड कॉल से शुरू हुई। यह मिस्ड कॉल साहब के पर्सनल नंबर पर आई थी। इसके बाद से ही इस युवती को दो महीने अवैध रूप से सर्विलांस पर रखा गया।
न्यूज़ पोर्टल कोबरापोस्ट और गुलेल ने शुक्रवार को खुलासा किया था कि यह सर्विलांस 2009 में गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री और नरेंद्र मोदी के करीबी अमित शाह के कहने पर शुरू किया गया था। दावा यह भी है कि यह आदेश किसी 'साहब' के इशारे पर दिया गया। हालांकि साहब कौन हैं इस बात का खुलासा नहीं हुआ है।
हमारे सहयोगी अखबार मुंबई मिरर के सूत्रों के मुताबिक 62 दिन चले इस सर्विलांस में गुजरात के आठ बड़े पुलिस अधिकारी शामिल थे। इस पूरी कार्रवाई की कमान आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल के हाथों में थी। सिंघल को उस समय अमित शाह का बेहद करीबी माना जाता था। हालांकि उसके बाद से दोनों के रिश्ते बिगड़ गए हैं। अमित शाह और जी एल सिंघल दोनों राज्य में हुए दो अलग-अलग फर्जी एनकाउंटरों के मामले में आरोपी हैं और फिलहाल बेल पर बाहर हैं। अमित शाह जहां सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के आरोपी हैं वहीं सिंघल पर इशरत जहां एनकाउंटर मामले में आरोप लगाए गए हैं।
सिंघल ने शाह से अपनी नजदीकी के बावजूद उनसे हुई बातचीत की कुछ रिकॉर्डिंग्स अपने पास रखी थीं। इस साल जून में सिंघल ने इस बातचीत के 267 रिकॉर्डिंग्स सीबीआई को सौंप दी। इन रिकॉर्डिंग्स में इस पूरे सर्विलांस के मामले की डीटेल्स हैं।
मामले की जानकारी रखने वाले नजदीकी सूत्रों का कहना है कि इस युवती से 'साहब' की मुलाकात पहली बार 2005 में हुई थी। उसने भूकंप प्रभावित भुज में सरकारी पुनर्निर्माण के प्रयासों के तहत एक हिल गार्डन डिजाइन किया था। दोनों की मुलाकात तत्कालीन जिलाधिकारी प्रदीप शर्मा ने कराई थी। शर्मा इस मामले में एक अहम कड़ी के तौर पर सामने आए हैं। इस मुलाकात के दौरान 'साहब' ने उसके काम से खुश होकर युवती की तारीफ की। बाद में 'साहब' ने दूसरे शहर के अपने दफ्तर से भी इस युवती को कॉल किया। प्रफेशनल तारीफ से शुरू हुआ यह रिश्ता बाद में गहराता चला गया। 'साहब' ने बाद में उसे अपना पर्सनल सेल नंबर (******3400) भी दे दिया जिससे वह कभी भी उनसे बात कर सकती थी। कहा जा रहा है कि एक समय यह हाल भी था कि दोनों के बीच एक दिन में 18 बार बात हुई।
इस युवती ने 'साहब' के साथ अपने रिश्ते के बारे में अपने दोस्त भुज के कलेक्टर और दोनों को पहली बार मिलवाने वाले प्रदीप शर्मा को बताया। कथित तौर पर युवती ने शर्मा को साहब के प्राइवेट नंबर से भेजे गए कुछ टेक्स्ट मेसेज भी दिखाए। कहा जा रहा है कि शर्मा ने यह नंबर सेव कर लिया। बाद में 'साहब' के पजेसिव बिहेवियर और एक अन्य कारण से दोनों के संबंधों में समस्याएं आ गईं। साहब चाहते थे कि सार्वजनिक तौर पर यह दिखे कि वह इस युवती को अपनी बेटी की तरह मानते हैं।
प्रदीप शर्मा को इस बारे में पता चला तो साहब के प्राइवेट नंबर पर फोन लगा दिया। कॉल उठाया तो नहीं गया लेकिन इस मिस्ड कॉल से साहब को संदेह हो गया कि आखिर उनका पर्सनल नंबर किसके पास है। कॉल डीटेल्स में शर्मा का नाम सामने आ गया। इस मिस्ड कॉल के बाद से ही युवती और 'साहब' के संबंधों का समीकरण बदल गया।
शर्मा के फोन पर नजर रखी गई और यह बात सामने आ गई कि शर्मा और यह युवती बराबर संपर्क में रहते थे। सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद ही अमित शाह ने इस युवती पर सर्विलांस लगाने का आदेश दिया। कोबरापोस्ट और गुलेल के मुताबिक, 'साहब' इस युवती के बारे में सबकुछ जानना चाहते थे- वह क्या करती है, कहां जाती है, किससे मिलती है। सिंघल इस सर्विलांस की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इसी दौरान अमित शाह से हुई बातचीत उन्होंने रिकॉर्ड करके रखी थी। इन्हीं टेप्स को सीबीआई को सौंपा गया है और इन्हें इशरत जहां केस के पंचनामे में शामिल भी किया गया है।
माना जा रहा है कि कुछ ही दिनों बाद प्रदीप शर्मा को उनकी हरकत का दंड मिल गया। उनके खिलाफ गुजरात सरकार ने आपराधिक मामलों में चार शिकायतें दर्ज कराई हैं। शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया और फिर वह गिरफ्तार भी कर लिए गए। 62 दिनों तक चला सर्विलांस का सिलसिला तब खत्म हुआ जब इस युवती ने शादी कर गुजरात छोड़ने का फैसला किया।
हालांकि, इस युवती के पिता ने शुक्रवार को कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री उनके पुराने पारिवारिक मित्र हैं और उन्होंने ही मुख्यमंत्री से अपनी बेटी का खयाल रखने का निवेदन किया था। उनकी बेटी बेंगलुरु से अहमदाबाद आई थी और उसे अपनी मां के इलाज के सिलसिले में 'ऑड आवर्स' पर बाहर निकलना पड़ता था। उनका कहना है कि गुजरात के मुख्यमंत्री और उनकी बेटी का रिश्ता बाप-बेटी की तरह था।
इस पूरे मामले पर जहां अमित शाह ने हमारे मेसेज या कॉल का कोई जवाब दिया, वहीं सिंघल ने यह कहकर किसी टिप्पणी से इनकार कर दिया कि मामले में अभी जांच चल रही है। उधर, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कोबरापोस्ट और गुलेल के खुलासों को खारिज करते हुए कहा है कि इस पूरे मामले के पीछे कांग्रेस के 'डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट' का हाथ है। गुजरात सरकार के प्रवक्ता और मंत्री नितिन पटेल का कहना है कि गुजरात सरकार इस मामले की पूरी रिपोर्ट देखने के बाद ही कुछ कहेगी।
लड़की का पीछा क्यों करवाया गया, इसकी कहानी एक मिस्ड कॉल से शुरू हुई। यह मिस्ड कॉल साहब के पर्सनल नंबर पर आई थी। इसके बाद से ही इस युवती को दो महीने अवैध रूप से सर्विलांस पर रखा गया।
न्यूज़ पोर्टल कोबरापोस्ट और गुलेल ने शुक्रवार को खुलासा किया था कि यह सर्विलांस 2009 में गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री और नरेंद्र मोदी के करीबी अमित शाह के कहने पर शुरू किया गया था। दावा यह भी है कि यह आदेश किसी 'साहब' के इशारे पर दिया गया। हालांकि साहब कौन हैं इस बात का खुलासा नहीं हुआ है।
हमारे सहयोगी अखबार मुंबई मिरर के सूत्रों के मुताबिक 62 दिन चले इस सर्विलांस में गुजरात के आठ बड़े पुलिस अधिकारी शामिल थे। इस पूरी कार्रवाई की कमान आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल के हाथों में थी। सिंघल को उस समय अमित शाह का बेहद करीबी माना जाता था। हालांकि उसके बाद से दोनों के रिश्ते बिगड़ गए हैं। अमित शाह और जी एल सिंघल दोनों राज्य में हुए दो अलग-अलग फर्जी एनकाउंटरों के मामले में आरोपी हैं और फिलहाल बेल पर बाहर हैं। अमित शाह जहां सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के आरोपी हैं वहीं सिंघल पर इशरत जहां एनकाउंटर मामले में आरोप लगाए गए हैं।
सिंघल ने शाह से अपनी नजदीकी के बावजूद उनसे हुई बातचीत की कुछ रिकॉर्डिंग्स अपने पास रखी थीं। इस साल जून में सिंघल ने इस बातचीत के 267 रिकॉर्डिंग्स सीबीआई को सौंप दी। इन रिकॉर्डिंग्स में इस पूरे सर्विलांस के मामले की डीटेल्स हैं।
मामले की जानकारी रखने वाले नजदीकी सूत्रों का कहना है कि इस युवती से 'साहब' की मुलाकात पहली बार 2005 में हुई थी। उसने भूकंप प्रभावित भुज में सरकारी पुनर्निर्माण के प्रयासों के तहत एक हिल गार्डन डिजाइन किया था। दोनों की मुलाकात तत्कालीन जिलाधिकारी प्रदीप शर्मा ने कराई थी। शर्मा इस मामले में एक अहम कड़ी के तौर पर सामने आए हैं। इस मुलाकात के दौरान 'साहब' ने उसके काम से खुश होकर युवती की तारीफ की। बाद में 'साहब' ने दूसरे शहर के अपने दफ्तर से भी इस युवती को कॉल किया। प्रफेशनल तारीफ से शुरू हुआ यह रिश्ता बाद में गहराता चला गया। 'साहब' ने बाद में उसे अपना पर्सनल सेल नंबर (******3400) भी दे दिया जिससे वह कभी भी उनसे बात कर सकती थी। कहा जा रहा है कि एक समय यह हाल भी था कि दोनों के बीच एक दिन में 18 बार बात हुई।
इस युवती ने 'साहब' के साथ अपने रिश्ते के बारे में अपने दोस्त भुज के कलेक्टर और दोनों को पहली बार मिलवाने वाले प्रदीप शर्मा को बताया। कथित तौर पर युवती ने शर्मा को साहब के प्राइवेट नंबर से भेजे गए कुछ टेक्स्ट मेसेज भी दिखाए। कहा जा रहा है कि शर्मा ने यह नंबर सेव कर लिया। बाद में 'साहब' के पजेसिव बिहेवियर और एक अन्य कारण से दोनों के संबंधों में समस्याएं आ गईं। साहब चाहते थे कि सार्वजनिक तौर पर यह दिखे कि वह इस युवती को अपनी बेटी की तरह मानते हैं।
प्रदीप शर्मा को इस बारे में पता चला तो साहब के प्राइवेट नंबर पर फोन लगा दिया। कॉल उठाया तो नहीं गया लेकिन इस मिस्ड कॉल से साहब को संदेह हो गया कि आखिर उनका पर्सनल नंबर किसके पास है। कॉल डीटेल्स में शर्मा का नाम सामने आ गया। इस मिस्ड कॉल के बाद से ही युवती और 'साहब' के संबंधों का समीकरण बदल गया।
शर्मा के फोन पर नजर रखी गई और यह बात सामने आ गई कि शर्मा और यह युवती बराबर संपर्क में रहते थे। सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद ही अमित शाह ने इस युवती पर सर्विलांस लगाने का आदेश दिया। कोबरापोस्ट और गुलेल के मुताबिक, 'साहब' इस युवती के बारे में सबकुछ जानना चाहते थे- वह क्या करती है, कहां जाती है, किससे मिलती है। सिंघल इस सर्विलांस की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इसी दौरान अमित शाह से हुई बातचीत उन्होंने रिकॉर्ड करके रखी थी। इन्हीं टेप्स को सीबीआई को सौंपा गया है और इन्हें इशरत जहां केस के पंचनामे में शामिल भी किया गया है।
माना जा रहा है कि कुछ ही दिनों बाद प्रदीप शर्मा को उनकी हरकत का दंड मिल गया। उनके खिलाफ गुजरात सरकार ने आपराधिक मामलों में चार शिकायतें दर्ज कराई हैं। शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया और फिर वह गिरफ्तार भी कर लिए गए। 62 दिनों तक चला सर्विलांस का सिलसिला तब खत्म हुआ जब इस युवती ने शादी कर गुजरात छोड़ने का फैसला किया।
हालांकि, इस युवती के पिता ने शुक्रवार को कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री उनके पुराने पारिवारिक मित्र हैं और उन्होंने ही मुख्यमंत्री से अपनी बेटी का खयाल रखने का निवेदन किया था। उनकी बेटी बेंगलुरु से अहमदाबाद आई थी और उसे अपनी मां के इलाज के सिलसिले में 'ऑड आवर्स' पर बाहर निकलना पड़ता था। उनका कहना है कि गुजरात के मुख्यमंत्री और उनकी बेटी का रिश्ता बाप-बेटी की तरह था।
इस पूरे मामले पर जहां अमित शाह ने हमारे मेसेज या कॉल का कोई जवाब दिया, वहीं सिंघल ने यह कहकर किसी टिप्पणी से इनकार कर दिया कि मामले में अभी जांच चल रही है। उधर, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कोबरापोस्ट और गुलेल के खुलासों को खारिज करते हुए कहा है कि इस पूरे मामले के पीछे कांग्रेस के 'डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट' का हाथ है। गुजरात सरकार के प्रवक्ता और मंत्री नितिन पटेल का कहना है कि गुजरात सरकार इस मामले की पूरी रिपोर्ट देखने के बाद ही कुछ कहेगी।
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