सब जानते हैं , “अन्ना की टोपी”´ और यह टोपी पिछले वर्ष 2012
में माननीय अन्ना जी द्वारा चलाये गए आंदोलन में खूब चली । मैं भी टोपी पहनकर “ मैं भी अन्ना “ के
नारे लगता था । मैं भी अन्ना आदि, और ऐसा कर मुझे गर्व होता था
कि आंदोलन के जरिये हम भारत को भ्रष्टाचार मुक्त करने मे सफल हो जाएंगे । मतलब यह कि इस टोपी को “अन्ना जी का पर्याय” भारतीय
जनमानस ने अपने लिए मान लिया , इसलिए नहीं कि कुछ अलग होकर लोग भी इस टोपी का प्रयोग अपने फायदे के लिए कर
सकेंगे । मुझे अभी भी शक है कि अन्ना जी ने इस टोपी को पहनकर अपना उल्लू सीधा करने
का अधिकार किसी को दिया है और यदि ऐसा है तो लोग अन्ना जी को भी भूलने मे समय नहीं
लगाएंगे ऐसा मेरा मत है । अन्ना जी आरंभ से
ही राजनीति करने के खिलाफ थे । अतः आज भी कह
रहे हैं कि अन्ना कार्ड से मेरा कोई मतलब नहीं, पैसे से मेरा कोई मतलब नहीं । अन्ना जी मैं आपका
तहे दिल से अभिनंदन करता हूँ । आप पारदर्शी हैं, कोई शक नहीं
फिर भी क्या यह सत्य हैं कि :
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क्या “आप पार्टी “ वाले आंदोलन से पहले “ मैं भी अन्ना “ टोपी
का इस्तेमाल करते थे ?
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यदि नहीं , तो आज अपनी अलग पार्टी बनाकर
भी टोपी का इस्तेमाल क्यों ?
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यह सत्य है कि चंदा तो टोपी को ही मिला । झाड़ू को नहीं ।
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मुझे याद है कि आपने चुनाव के लिए अपना नाम किसी भी
प्रकार से इस्तेमाल करने पर विरोध जताया था तो आज फिर आपके प्रतीक टोपी का इस्तेमाल
क्यों ?
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आपके द्वारा शुद्ध रूप से मना करने के बावजूद टोपी का इस्तेमाल
करके क्या आपका इस्तेमाल चुनाव के लिए नहीं हो रहा है ?
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चुनावी चंदा किसी प्रतीक पर मिलता है जो कि टोपी है ।
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क्या टोपी दिखाकर चंदा मांगना अन्ना जी का इस्तेमाल नहीं है
?
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यदि नहीं, तो फिर टोपी क्यों नहीं उतार
देते और अपनी पूर्व वेषभूषा मे आकर अर्थात बिना टीपी चुनाव ।
अगर “आप पार्टी “ वाले इन तथा कथित नेताओं मे आपका इस्तेमाल नहीं किया तो
“आप पार्टी “ के सभी लोग टोपी का इस्तेमाल क्यों करते हैं ?
कृपया विचार करें और अपने नाम का इस्तेमाल
आपके नाम पर वोट मांगने के लिए न होने दें ।