Friday, October 9, 2009

बाकी कुछ बचा तो, मंहगाई मार गई

सड़क किनारे लगने वाली सब्जी की दुकान पर परसादी लाल ने जब एक आलू उठाकर भाव पूछा तो 8 रुपये पाव दाम सुनते ही हाथ से आलू छूट गया। सब्जी वाला जो परसादी की तरह ही परेशान लग रहा था पूछ बैठा, क्या हुआ? बस परसादी के सब्र का बांध टूट गया। आग लगे जा रही है महंगाई में। हम आलू की खेती में बर्बाद होकर दिल्ली में आकर मजूरी कर रहे हैं और वही आलू अब 8 का पाव बिक रहा है। सब्जी वाले को परसादी अपना सा लगा। बोला - बानी से पहचान गया कि अपने उधर का ही है। बताने लगा कि प्याज सात का पाव और नीबू 6 का एक है। कौन खरीदेगा? महंगाई पर शुरू हुई चर्चा चुनावों तक जा पहुंची और चुनावों से नेताओं के ऐश और जनता के संघर्षों पर बात होने लगी। 13 अक्टूबर को हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। तीनों जगह कांग्रेस की सरकारें हैं। जब चुनावों की घोषणा हुई थी तो कांग्रेस तीनों जगह जोरदार जीत के दावे कर रही थी। मगर जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, कांग्रेस को असली चुनौती समझ में आने लगी है। कांग्रेस को विपक्ष की चिंता नहीं क्योंकि तीनों राज्यों में विपक्ष मजबूत नहीं है। असली खतरा उसे परसादी की इस भविष्यवाणी से लग रहा है कि वोट डालने जाएगा कौन? जनता गुस्से में है और जब जनता गुस्से में होती है तो वह यह तय करती है कि वोट किसे नहीं देना। यह नहीं देखती कि वोट कुएं में जा रहा है या खाई में। हालांकि कांग्रेस ऊपरी तौर पर यह कह रही है कि लोकसभा चुनाव में भी महंगाई थी। पार्टी के सीनियर नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि जनता महंगाई की वजह जानती है। महंगाई से कांग्रेस की संभावनाओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पर महंगाई से अंदर ही अंदर चिंतित कांग्रेस के नेता 11 साल पहले दिल्ली विधानसभा के चुनाव को याद कर रहे हैं, जिसमें प्याज ने बीजेपी को रुलाया था और उन्हें सत्ता में पहुंचाया था। तब प्याज 80 रुपये किलो बिक रहा था। बीजेपी को प्याज इतना महंगा पड़ा कि वह आज तक दिल्ली की सत्ता में वापसी नहीं कर सकी है। जनता के संपर्क में रहने वाले कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं को यह जानकारी है कि गरीबों, मजदूरों, किसानों, छोटे दुकानदारों और कम वेतन पाने वाले मुलाजिमों से लेकर मध्यम आय वर्ग तक में परसादी की तरह महंगाई के सवाल पर गुस्सा फैल रहा है। गुरुवार को एक बड़े नेता ने जब आलू-प्याज के भाव सुनकर दालों और चीनी के भाव मालूम किए तो उनके चेहरे पर भी शिकन पड़ गई। कांग्रेस के एक बड़े नेता ने कहा कि जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, वहां हमारी सरकारें हैं। वहां जमाखोरों पर छापे नहीं मारे जाना समझ के बाहर है। देश की राजधानी दिल्ली में अगर जमाखोरों पर कड़ी कार्रवाई की जाए तो पूरे देश में असर पड़ेगा। कांग्रेस के सूत्र मान रहे हैं कि महंगाई तीनों राज्यों में पाटीर् की अच्छी संभावनाओं को खराब कर सकती है।

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