13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए टेरर अटैक के
मास्टरमाइंड आतंकवादी अफजल गुरु (43) ने पाकिस्तान में 3
महीने की ट्रेनिंग ली थी। हमले वाले दिन से पहले वाली रात यानी 12
दिसंबर को आरडीएक्स से भरी कार को मुखर्जी नगर के पास गांधी
विहार पुलिस बूथ के सामने पार्क किया गया था। ऐसा कार के चोरी होने के डर से उस
जगह को पुलिस की निगरानी की वजह से सुरक्षित जगह मानते हुए किया गया था। उस दिन
आरडीएक्स से भरी कार में विस्फोट न होने का अफजल को अंतिम समय तक अफसोस रहा। यह
बातें खुद अफजल ने जेल के एक अधिकारी को बताई थी।
अफजल ने इस बात का भी खुलासा किया था कि संसद पर आतंकवादी हमला करने के लिए पैसा हवाला के जरिये मंगाया गया था। पाकिस्तान में ट्रेनिंग के दौरान अफजल ने न सिर्फ एके-47 रायफल चलाना सीखा था बल्कि राकेट लॉन्चर और मोर्टार चलाने में भी उसने महारत हासिल की थी। अफजल ने पाकिस्तान में 1990 के आसपास तीन महीने की ट्रेनिंग लेने के बारे में बताया था। हालांकि, कुछ समय बाद पाकिस्तान में रहते हुए उसे यह अहसास होने लगा था कि पाकिस्तानी उसे मोहरा बना रहे हैं। इस बात को समझते हुए उसने एक बार आतंकवाद की राह छोड़ भी दी थी। लेकिन, संसद हमले से पहले उसके साथ निजी तौर पर कुछ ऐसी घटनाएं घटी कि उसे संसद पर हमले को अंजाम देने के लिए तैयार होना पड़ा था।
अफजल ने बताया था कि 'अगर संसद पर आतंकवादी हमले में हमें सफलता मिलती तो वे जम्मू-कश्मीर को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाते और सरकार के साथ बातचीत करते।' अफजल ने बताया था कि उन्हें पूरा भरोसा था कि जिस कार में आईईडी लगाया गया है, उसमें विस्फोट होगा, मगर उसमें ब्लास्ट नहीं हुआ। अंतिम समय तक भी अफजल इस सवाल का जवाब जानने के लिए व्याकुल रहा था कि कार में आखिर विस्फोट क्यों नहीं हुआ था? अफजल ने अपने बचपन और पाकिस्तान पहुंचने की सारी दास्तां बयान की थी। उसने पाकिस्तानी अधिकारी से पाकिस्तान जाकर अन्य आतंकवादियों की तरह ट्रेनिंग लेने के बारे में डिटेल से बताया था।
अफजल ने इस बात का भी खुलासा किया था कि संसद पर आतंकवादी हमला करने के लिए पैसा हवाला के जरिये मंगाया गया था। पाकिस्तान में ट्रेनिंग के दौरान अफजल ने न सिर्फ एके-47 रायफल चलाना सीखा था बल्कि राकेट लॉन्चर और मोर्टार चलाने में भी उसने महारत हासिल की थी। अफजल ने पाकिस्तान में 1990 के आसपास तीन महीने की ट्रेनिंग लेने के बारे में बताया था। हालांकि, कुछ समय बाद पाकिस्तान में रहते हुए उसे यह अहसास होने लगा था कि पाकिस्तानी उसे मोहरा बना रहे हैं। इस बात को समझते हुए उसने एक बार आतंकवाद की राह छोड़ भी दी थी। लेकिन, संसद हमले से पहले उसके साथ निजी तौर पर कुछ ऐसी घटनाएं घटी कि उसे संसद पर हमले को अंजाम देने के लिए तैयार होना पड़ा था।
अफजल ने बताया था कि 'अगर संसद पर आतंकवादी हमले में हमें सफलता मिलती तो वे जम्मू-कश्मीर को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाते और सरकार के साथ बातचीत करते।' अफजल ने बताया था कि उन्हें पूरा भरोसा था कि जिस कार में आईईडी लगाया गया है, उसमें विस्फोट होगा, मगर उसमें ब्लास्ट नहीं हुआ। अंतिम समय तक भी अफजल इस सवाल का जवाब जानने के लिए व्याकुल रहा था कि कार में आखिर विस्फोट क्यों नहीं हुआ था? अफजल ने अपने बचपन और पाकिस्तान पहुंचने की सारी दास्तां बयान की थी। उसने पाकिस्तानी अधिकारी से पाकिस्तान जाकर अन्य आतंकवादियों की तरह ट्रेनिंग लेने के बारे में डिटेल से बताया था।
No comments:
Post a Comment