Sunday, January 20, 2013

किराए की कोख


 28 साल की कनिमोई 2 बच्चों की मां हैं। वह दूसरी बार किराए की कोख के लिए कमर कस रही हैं। इस फैसले के लिए कनिमोई के पास पर्याप्त कारण हैं। दो महीने पहले कनिमोई के ऑटो ड्राइवर पति की मौत हो गई। पिता का साया उठने के बाद दोनों बच्चों के लिए मां ही अंतिम सहारा रही। जब पहली बार 3 साल पहले किराए की मां बनी तो उन्हें उसके एवज में 3 लाख रुपए देने का वादा किया गया था। लेकिन मिले 2 लाख रुपए।

शराबी पति के इलाज में कनिमोई ने कर्ज लेकर पैसे खर्च किए थे। 2 लाख की रकम उसे चुकाने में खत्म हो गई। कनिमोई ने कहा कि इस बार जो पैसे मिलेंगे उसे बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करूंगी। जल्द ही कनिमोई को सिटी फर्टिलिटी क्लिनिक से किराए की कोख मिलने वाली है। चेन्नै में किराए की कोख का बाजार बड़ी तेजी से पसर रहा है। 10 साल पहले यहां के क्लिनिकों में महज 2 महिलाएं किराए की कोख संभालने वाली थीं। वहीं आज की तारीख में यहां के 13 हॉस्पिटलों में किराए की मां की संख्या 150 हो गई है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं छोटे शहरों और गांवों से आती हैं। चेन्नै फर्टिलिटी रिसर्च सेंटर में पहली बार 2001 में किराए की मां ने बच्चे को जन्म दिया था।

आज की तारीख में केवल देश ही नहीं विदेश से भी संतान की चाहत में कपल्स चेन्नै की ओर रुख कर रहे हैं। किराए की कोखों की संख्या लगातार बढ़ रही है। फर्टिलिटी एक्सपर्ट हॉस्पिटल की डॉक्टर प्रिया सेल्वराज कहती हैं कि किराए की कोख को लेकर हमारे देश में फिलहाल कोई कानून ही नहीं है। सरकार के पास किराए की कोख या फर्टिलिटी क्लिनिकों की रजिस्ट्री तक नहीं है।

जो महिलाएं पैसे के लिए किराए की कोख संभालती हैं उनकी सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं होने की वजह से कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं। इन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह के खतरों का भी सामना करना होता है। ज्यादातर महिलाओं को ब्रोकर क्लिनिक में पैसे का लालच देकर छोटे शहरों और गांव से ला रहे हैं।

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