अन्ना हजारे ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के मुद्दे पर जनता का साथ नहीं दिया तो वह 16 अगस्त से जंतर मंतर पर देश की आजादी की दूसरी लड़ाई शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि 16 अगस्त से यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक मेरे शरीर में प्राण रहेंगे। हम तब तक लड़ेंगे, जब तक सत्ता पूरी तरह लोगों के हाथ में नहीं होगी। हमें व्यवस्था में बदलाव के लिए आजादी के दूसरे आंदोलन की जरूरत है। जनता ही सांसदों और विधायकों को चुनती है। सरकार को सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए ग्राम सभाओं को ज्यादा से ज्यादा अधिकार देने चाहिए।' उन्होंने कहा, 'सरकार और हम अलग नहीं हैं। एक तरह से हम एक ही हैं। सरकार के दिमाग में खुद के आका होने का भाव है। वह खुद को मालिक समझती है, जबकि उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र बनने के बाद देश की जनता इस देश की मालिक हो गई है।' बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर हुई कार्रवाई की निंदा करते हुए हजारे ने कहा,'रात को सोते लोगों पर लाठियां चलाना मानवता पर कलंक लगाने और लोकशाही का गला घोंटने जैसी घटना है। इसके विरोध में आज हम यहां एकत्र हुए हैं। रामलीला मैदानपर सिर्फ गोली ही नहीं चली। बाकी सारा अन्याय और अत्याचार जलियांवाला बाग की घटना की याद दिलाता है।' उन्होंने कहा, 'हम लोकपाल बिल के लिए जॉइंट ड्राफ्टिंग कमिटी की बैठकें कर रहे हैं। लेकिन सरकार किसी न किसी मुद्दे पर अड़ंगा डाल देती है। अगर सरकार का यही रुख रहा तो हम अप्रैल में हुए आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन करेंगे। हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है।' हजारे ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, 'हम पर झूठे आरोप लगाए गए। सरकार ने हमारे साथी कार्यकर्ता केजरीवाल के पीछे कुछ अधिकारियों को भी लगा दिया। सरकार का यह बर्ताव ठीक नहीं है। अगर सरकार को हम पर संदेह है तो वह चोरी छिपे कोशिशें करने के बजाय हमसे आमने सामने बात करे।' अपने सादगीपूर्ण जीवन के बारे में अन्ना ने कहा, 'मैं एक मंदिर में रहता हूं। मेरे पास महज खाने की एक थाली और बिस्तर है। मेरा कोई बड़ा बैंक बैलेंस नहीं है। मैं अब तक गुंडों से लड़ा हूं और अब भी गुंडों से ही लड़ रहा हूं। मैं अब तक छह मंत्रियों की छुट्टी करा चुका हूं और मेरी कोशिशों के चलते 400 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है। एक पूर्व मंत्री ने मुझे मारने के लिए 30 लाख रुपये की सुपारी दी थी।' उन्होंने कहा, 'यह सब बताने के मायने यह हैं कि हिंसा का रास्ता अपनाए बिना ही, यह सब किया जा सकता है। आपको एक बीज बन कर मिट्टी से जुड़ना होगा। तभी आप आंदोलन खड़ाकर पाएंगे।'
Wednesday, June 8, 2011
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