मनमोहन सिंह ने खुद को कमजोर प्रधानमंत्री करार दिए जाने को विपक्ष का चालाकी भरा दुष्प्रचार करार दिया है। प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे इसमें कोई एतराज नहीं है, लेकिन मंत्रिमंडल में मतभेद हैं। प्रिंट मीडिया के कुछ चुनिंदा संपादकों के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ब्लैक मनी, टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सभी संभव उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन यह सब एक बार में ही नहीं हो सकता। उन्होंने रामदेव के समर्थकों पर रामलीला मैदान में हुई पुलिस कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण बताया लेकिन कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के ऑफिस में जासूसी पर किए गए सवाल के जवाब में मनमोहन ने कहा कि उन्होंने ऑफिस में संदिग्ध जासूसी की शिकायत की थी और मैंने इंटेलिजेंस ब्यूरो को जांच के आदेश दे दिए थे। अब यह अध्याय बंद हो चुका है। उन्होंने कहा, ' हमें एक मजबूत लोकपाल की जरूरत है, लेकिन यह रामबाण नहीं है। हमने लोकपाल के मामले में एक रास्ता ढूंढ निकाला है और आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। मुझे अपने आप को लोकपाल विधेयक के दायरे में लाने में कोई हिचक नहीं है लेकिन मेरे मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य महसूस करते हैं कि प्रधानमंत्री के पद को लोकपाल के दायरे में लाने से अस्थिरता पैदा होगी। ' प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सिविल सोसायटी के लोगों से बात करेगी लेकिन कोई भी समूह इस बात पर जोर नहीं दे सकता कि उनके विचार अंतिम हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में फेरबदल पर चर्चा जारी है लेकिन उन्होंने इस बात का खुलासा करने से इंकार कर दिया यह कब तक होगा। उन्होंने मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि यह ' आरोप लगाने वाला, अभियोजक और जज' बन गया है। मनमोहन ने यह भी कहा कि मुझे सोनिया गांधी से भरपूर सहयोग मिला, वह कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में बेहतरीन ढंगसे काम कर रही है।
Wednesday, June 29, 2011
Monday, June 20, 2011
मोदी कांग्रेस के युवराज पर भारी
एक राष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक जनता अब केंद्र सरकार से आजिज आ चुकी है और उसे बदलना चाहती है। सर्वे के नतीजे से यह भी पता चला है कि वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तुलना में ज्यादातर लोग राहुल गांधी को बतौर पीएम देखना चाहते हैं। वहीं, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल के बीच जब वोटरों को चुनने का ऑप्शन दिया गया, तो मोदी कांग्रेस के युवराज पर भारी पड़ गए। लेंसऑनन्यूज डॉट कॉम ने 12 से16 जून के बीच 'मूड ऑफ द नैशन नाम' का यह सर्वे कराया। इसमें 14 राज्यों के 40 लोकसभा क्षेत्रों के लगभग चार हजार वोटरों ने हिस्सा लिया। सर्वे के मुताबिक लगभग दो तिहाई (63%) वोटर केंद्र में सरकार बदलने के पक्ष में हैं, जबकि इनके मुकाबले में करीब आधे लोग (32 %) ही मनमोहन सरकार चाहते हैं। लोगों से पूछा गया कि मनमोहन सिंह और राहुल गांधी में से किसे पीएम के रूप में देखना चाहते हैं। इस सवाल के जवाब में 46% वोट राहुल गांधी को और 34% वोट मनमोहन सिंह को मिले। सर्वे में एक चौंकाने वाला तथ्य भी है। इसके मुताबिक राहुल गांधी और बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी में 53 % मतदाताओं ने मोदी को बेहतर पीएम के रूप में चुना। राहुल गांधी 38% वोट लेकर उनसे काफी पीछे रहे। सर्वे के मुताबिक शहरी इलाकों और उच्च शिक्षित वर्गों में कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को लेकर निराशा है। यह वही तबका है, जो 2009 में कांग्रेस के भारी समर्थन में था। अमेठी लोकसभा सीट से 41 वर्षीय सांसद राहुल को प्रधानमंत्री बनाने के समर्थकों में मुस्लिम महिलाएं, किसान और मजदूरों की संख्या अधिक है। यही तबका कांग्रेस का वोट बैंक भी कहलाता है।
Thursday, June 16, 2011
भ्रष्टाचार के खिलाफ जंतर - मंतर से शुरू हुई मुहिम को दोबारा शुरू कर सकते हैं।
मजबूत लोकपाल कानून बनवाने के लिए आंदोलन चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ जंतर - मंतर से शुरू हुई मुहिम को दोबारा शुरू कर सकते हैं। हजारे ने कहा कि वह लोकपाल बिल को लेकर सरकार के रवैये से निराश हैं। उन्होंने सरकार पर अपने वायदे से पलटने का आरोप लगाया। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही लोकपाल बिल ड्राफ्टिंग को लेकर जॉइंट कमिटी में सरकार और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए। अन्ना ने कहा कि उन्हें ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार एक मजबूत लोकपाल कानून बनाने की इच्छुक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि दो अलग-अलग ड्राफ्ट कैबिनेट को भेजे जाने का विचार हास्यास्पद है और जॉइंट ड्राफ्टिंग कमिटी बनाए जाने के कारण के विपरीत है। हजारे ने कहा, 'यदि सरकार को दो ड्राफ्ट ही भेजने थे तो उसने जॉइंट पैनल बनाने में वक्त क्यों ज़ाया किया? दो ड्राफ्ट (एक सरकार का और दूसरा सिविल सोसायटी का) तो पहले से ही मौजूद थे, उन्हें ही कैबिनेट को भेज दिया जाता।' केंद्र सरकार को कमजोर लोकपाल कानून बनाने के खिलाफ चेतावनी देते हुए हजारे ने कहा कि सिविल सोसायटी इसे कमजोर करने की कोशिश को कतई स्वीकार नहीं करेगी। हजारे ने स्पष्ट तौर पर कहा कि मजबूत लोकपाल कानून के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा और अगर सरकार कमजोर कानून बनाने की कोशिश करेगी तो वह फिर से आंदोलन का रास्ता पकड़ेंगे।
Wednesday, June 8, 2011
16 अगस्त से जंतर मंतर पर देश की आजादी की दूसरी लड़ाई शुरू
अन्ना हजारे ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के मुद्दे पर जनता का साथ नहीं दिया तो वह 16 अगस्त से जंतर मंतर पर देश की आजादी की दूसरी लड़ाई शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि 16 अगस्त से यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक मेरे शरीर में प्राण रहेंगे। हम तब तक लड़ेंगे, जब तक सत्ता पूरी तरह लोगों के हाथ में नहीं होगी। हमें व्यवस्था में बदलाव के लिए आजादी के दूसरे आंदोलन की जरूरत है। जनता ही सांसदों और विधायकों को चुनती है। सरकार को सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए ग्राम सभाओं को ज्यादा से ज्यादा अधिकार देने चाहिए।' उन्होंने कहा, 'सरकार और हम अलग नहीं हैं। एक तरह से हम एक ही हैं। सरकार के दिमाग में खुद के आका होने का भाव है। वह खुद को मालिक समझती है, जबकि उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र बनने के बाद देश की जनता इस देश की मालिक हो गई है।' बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर हुई कार्रवाई की निंदा करते हुए हजारे ने कहा,'रात को सोते लोगों पर लाठियां चलाना मानवता पर कलंक लगाने और लोकशाही का गला घोंटने जैसी घटना है। इसके विरोध में आज हम यहां एकत्र हुए हैं। रामलीला मैदानपर सिर्फ गोली ही नहीं चली। बाकी सारा अन्याय और अत्याचार जलियांवाला बाग की घटना की याद दिलाता है।' उन्होंने कहा, 'हम लोकपाल बिल के लिए जॉइंट ड्राफ्टिंग कमिटी की बैठकें कर रहे हैं। लेकिन सरकार किसी न किसी मुद्दे पर अड़ंगा डाल देती है। अगर सरकार का यही रुख रहा तो हम अप्रैल में हुए आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन करेंगे। हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है।' हजारे ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, 'हम पर झूठे आरोप लगाए गए। सरकार ने हमारे साथी कार्यकर्ता केजरीवाल के पीछे कुछ अधिकारियों को भी लगा दिया। सरकार का यह बर्ताव ठीक नहीं है। अगर सरकार को हम पर संदेह है तो वह चोरी छिपे कोशिशें करने के बजाय हमसे आमने सामने बात करे।' अपने सादगीपूर्ण जीवन के बारे में अन्ना ने कहा, 'मैं एक मंदिर में रहता हूं। मेरे पास महज खाने की एक थाली और बिस्तर है। मेरा कोई बड़ा बैंक बैलेंस नहीं है। मैं अब तक गुंडों से लड़ा हूं और अब भी गुंडों से ही लड़ रहा हूं। मैं अब तक छह मंत्रियों की छुट्टी करा चुका हूं और मेरी कोशिशों के चलते 400 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है। एक पूर्व मंत्री ने मुझे मारने के लिए 30 लाख रुपये की सुपारी दी थी।' उन्होंने कहा, 'यह सब बताने के मायने यह हैं कि हिंसा का रास्ता अपनाए बिना ही, यह सब किया जा सकता है। आपको एक बीज बन कर मिट्टी से जुड़ना होगा। तभी आप आंदोलन खड़ाकर पाएंगे।'
Friday, June 3, 2011
बॉलिवुड ऐक्टर शाहरुख खान ने कहा कि बाबा की मुहिम राजनीति से प्रेरित
बॉलिवुड ऐक्टर शाहरुख खान ने कहा है कि वह ब्लैकमनी के खिलाफ रामदेव के अभियान को सपोर्ट नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि बाबा की मुहिम राजनीति से प्रेरित है। वह नेता बनना चाहते हैं। अपनी फिल्म ' रा.वन ' के प्रमोशन से जुड़े एक कार्यक्रम के सिलसिले में यहां आए शाहरुख से जब पूछा गया कि क्या वह बाबा रामदेव के अनशन को समर्थन देते हैं, तो उन्होंने साफ-साफ कहा, ' कोई सपोर्ट नहीं करूंगा... उनका एजेंडा है... जैसे ही कोई नेता बन जाता है वह ये सब करने लगता है। ' शाहरुख ने कहा, ' जिसका जो काम है, वही करना चाहिए। अगर कोई नेता बनकर ये सब करना चाहता है तो कोई मुद्दा उठाने का यह सही तरीका नहीं है। ' 2 जी घोटाले से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि हाल की घटनाओं से वह निराश हैं। लेकिन, जब उनसे पूछा गया कि क्या वह राजनीति में आना चाहेंगे, तो उन्होंने इसका खंडन करते हुए कहा, ' आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि मैं राजनीति में जाऊं, आप यह क्यों नहीं सोचते कि कोई नेता फिल्म इंडस्ट्री में आए। ' उन्होंने कहा, ' मैं एक स्वार्थी आदमी हूं और चाहता हूं कि मेरे फैंस और दूसरे लोग मेरे काम की तारीफ करते रहें। ' उन्होंने कहा कि वह राजनीति नहीं समझते।
एक-दो को छोड़कर ज्यादातर मुद्दों पर सरकार के साथ सहमति
Thursday, June 2, 2011
रामदेव विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के मुद्दे पर ''आश्वासनों'' की बजाय ''कार्रवाई'' की बात पर अड़े
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत पार्टी के वरिष्ठ नेता योगगुरु बाबा रामदेव की चार जून से काले धन के मुद्दे पर अनशन पर बैठने की योजना से बने हालात पर आज यानी गुरुवार को चर्चा कर सकते हैं। बाबा रामदेव के मुद्दे पर पार्टी और सरकार के बीच झलके मतभेदों की पृष्ठभूमि में शाम को सोनिया की अध्यक्षता में कांग्रेस कोर समूह की बैठक होने वाली है। कोर समूह की बैठक आमतौर पर शुक्रवार को होती है लेकिन एक दिन पहले होने से इस बात का संकेत मिल रहा है कि रामदेव की अनशन की योजना पर पार्टी और सरकार में चिंता कायम है। बड़े नीतिगत मुद्दों पर फैसला करने वाले पार्टी के कोर समूह में प्रणव मुखर्जी, ए.के. एंटनी, पी. चिदंबरम और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल समेत कांग्रेस के आला नेता और सरकार के मंत्री शामिल हैं। कुछ दिन पहले राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में भी रामदेव के अनशन की योजना पर चर्चा की गयी थी और प्रधानमंत्री सिंह ने रामदेव को पत्र लिखकर उनसे अनशन पर नहीं जाने का आग्रह किया था। सिंह ने उन्हें भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटने के लिए व्यावहारिक समाधान तलाशने का वादा भी किया था। सरकार की ओर से बुधवार को यहां हवाईअड्डे पर बाबा रामदेव की अगवानी के लिए चार वरिष्ठ मंत्रियों को भेजे जाने के अभूतपूर्व कदम से कांग्रेस ने दूरी बनाई है और कहा कि यह 'अनावश्यक' था और पार्टी का इससे कुछ लेना- देना नहीं है। दरअसल, सरकार ने गुरुवार को रामदेव को मनाने के लिए मध्य प्रदेश से उनके यहां हवाईअड्डे पर पहुंचने के समय से पहले ही अपने आला मंत्रियों को भेज दिया था। कांग्रेस में टॉप सूत्रों के अनुसार, ''यहां से हवाईअड्डे तक जाने की पूरी कवायद से पार्टी का किसी भी तरह का संबंध नहीं है।'' सरकार चाहती है कि फिर से उस तरह की स्थिति पैदा न हो जो अप्रैल में लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर अन्ना हजारे के आंदोलन से पैदा हुई थी। सरकार के उस समय के आश्वासन का तत्काल कोई परिणाम निकलता प्रतीत नहीं हो रहा। बाबा रामदेव विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के मुद्दे पर ''आश्वासनों'' की बजाय ''कार्रवाई'' की बात पर अड़े हैं। उधर अन्ना हजारे ने कहा है कि प्रत्येक पदाधिकारी को लोकपाल विधेयक के दायरे में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार तभी हरकत में आई है जब रामदेव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह चार जून से अपना आंदोलन शुरू करेंगे। हजारे ने कहा, ''इतने दिन से हम मांग कर रहे हैं, सरकार ने हमारी क्यों नहीं सुनी। अब सरकार सिर्फ इस वजह से दौड़ रही है कि अनशन पर बैठने का समय आ गया है।'' उन्होंने कहा, ''बाबा रामदेव काफी दिन से काले धन को वापस लाने की मांग उठा रहे हैं। सरकार ने इस मुद्दे पर कुछ करने की क्यों नहीं सोची। लोग अब यह जानना चाहते हैं कि सरकार के क्या इरादे हैं।'' गांधीवादी कार्यकर्ता हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। हजारे ने कहा, ''अब हम और खोखले आश्वासन या मौखिक वायदे नहीं चाहते। हम भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ देशभर में तब तक लड़ाई जारी रहेगी जब तक कि हमें वह नहीं मिल जाता जो हम चाहते हैं।''